OBC Reservation in UPSC: सिविल सेवा परीक्षाओं में आरक्षण को लेकर मेंटर विकास दिव्यकीर्ति ने कई बड़े खुलासे किए हैं। उन्होंने एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा कि कैसे नियमों में लूप होल्स होने के कारण कैंडिडेट सरकार की नीतियों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं आरक्षण के पक्ष में रहता हूं। लेकिन आरक्षण की व्यवस्था में बहुत सारी खामियां हैं। उन्होंने पूजा खेड़कर मामले के जरिए बताया कि कैसे लोग ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण नीतियों का फायदा उठाकर सिविल सेवा की परीक्षा पास कर लेते हैं।
विकास दिव्यकीर्ति ने कहा कि ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण में कई सारे पेंच हैं। नियम है कि अगर आप ओबीसी से हैं लेकिन क्रीमी लेयर में हैं तो आपको जनरल माना जाएगा। एक नियम के अनुसार अगर माता या पिता में से कोई क्लास 1 और क्लास 2 जाॅब में हैं तो आप ओबीसी कैटेगरी में नहीं हो सकते आप क्रीमीलेयर में चले जाते हैं। लेकिन अगर आपके माता-पिता ग्रुप सी और डी में है और आपकी आय 8 लाख रुपये से ज्यादा भी हो तो आप ओबीसी में रहते हैं।
कृषि से होने वाली आय नहीं गिनी जाती
आईएएस मेंटर ने कहा कि इतना ही नहीं कृषि से होने वाली आय की गिनती भी नहीं होती है। ओबीसी में जितने भी कैंडिडेट है उनकी खुद की आय नहीं गिनी जाती। केवल आपके माता-पिता की काउंट होती है। जबकि ईडब्ल्यूएस में सभी की इनकम काउंट होती है। उन्होंने एक उदाहरण के जरिए इसे समझाया भी। उन्होंने कहा कि मान लीजिए मेरे पिताजी आईएएस अफसर हैं। दो साल में रिटायर होने वाले हैं। मैं ओबीसी में हूं। लेकिन मुझे इसका फायदा नहीं मिलेगा क्योंकि मैं क्लास-1 की जाॅब में हैं। उन्होंने इतना पैसा बना लिया है कि हर महीने लाखों का किराया आता है। जीवनभर काम चल जाएगा। मैंने उनसे कहा कि मुझे भी अफसर बनना है तो उन्होंने रिजाइन कर दिया। अब मुझ पर यह सीमा लागू नहीं होती।
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ओबीसी में ऐसे होता है खेल
ऐेसे में मुझे पर उनकी प्राॅपर्टी की सीमा लागू होगी। अब मेरे पैरेंट्स गिफ्ट डीड के जरिए सारी प्राॅपटी मेरे नाम कर देंगे। अब उनकी इनकम रह गई 6 लाख और मेरी हो गई 60 लाख। ओबीसी आरक्षण के लिए मेरा इनकम क्राइटेरिया नहीं है ऐसे में अगर में महीने में 60 लाख रुपये भी कमा रहा हूं तो मैं ओबीसी से यूपीएससी की परीक्षा दूंगा और मुझे इसका फायदा मिलेगा।
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