आजकल ज्यादातर लेनदेन UPI के जरिए किया जा रहा है। हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि 2,000 रुपये से अधिक के UPI पेमेंट पर अब GST लगाई जाएगी। इस खबर से यूजर्स को झटका लगा, लेकिन वित्त मंत्रालय ने 18 अप्रैल को ही इन खबरों पर स्पष्टीकरण जारी कर दिया, जिसमें कहा गया कि 2,000 रुपये से अधिक के यूपीआई लेनदेन पर जीएसटी लगाने पर विचार करने का दावा पूरी तरह से गलत और भ्रामक है। आगे कहा गया कि वर्तमान में सरकार इस तरह के किसी भी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है।
क्या है दावा?
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि UPI के जरिए एक बार में 2,000 की सीमा से ज्यादा के डिजिटल भुगतान को GST के दायरे में लाया जा सकता है। जिसके बाद अब इस पर GST लागू किया जाएगा। आगे कहा गया कि इसका उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा डिजिटल लेन-देन को बढ़ाना है। इस दावे के सामने आने के बाद यूजर्स में बेचैनी बढ़ गई, जिसको देखते हुए सरकार ने शुक्रवार (18 अप्रैल, 2025) को स्पष्टीकरण जारी किया है।
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क्या है सरकार का स्पष्टीकरण?
इन दावों पर सरकार ने कहा कि 2,000 रुपये से अधिक के UPI लेनदेन पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) लगाने पर विचार करने के दावे पूरी तरह से झूठे, भ्रामक और निराधार हैं। अभी सरकार के सामने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया है। आगे लिखा गया कि GST कुछ उपकरणों का इस्तेमाल करके किए गए भुगतान से जुड़े मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) जैसे शुल्कों पर लगाया जाता है। जनवरी 2020 से प्रभावी केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 30 दिसंबर 2019 की राजपत्र अधिसूचना के जरिए व्यक्ति-से-व्यापारी (P2M) यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर हटा दिया है।
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