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Center’s Ordinance: विपक्षी एकता को तगड़ा झटका, पटना की बैठक में केजरीवाल-खड़गे की नोंकझोक, जानें क्यों?

Center’s Ordinance: मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट हो रहे विपक्षी दलों को पटना की पहली मीटिंग में तगड़ा झटका लगा है। बैठक में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच तीखी नोंकझोक हुई। आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय अध्यादेश मुद्दे पर कांग्रेस का रुख पूछा। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आप की मुख्य प्रवक्ता […]

Edited By : Bhola Sharma | Updated: Mar 1, 2024 15:41
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Center Ordinance

Center’s Ordinance: मोदी सरकार के खिलाफ एकजुट हो रहे विपक्षी दलों को पटना की पहली मीटिंग में तगड़ा झटका लगा है। बैठक में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच तीखी नोंकझोक हुई। आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने केंद्रीय अध्यादेश मुद्दे पर कांग्रेस का रुख पूछा। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आप की मुख्य प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ के इस आरोप को उठाया कि भाजपा के साथ समझौते के कारण कांग्रेस कोई रुख नहीं अपना रही है।

इसके बाद आप ने दो टूक कहा कि वह शिमला में होने वाली विपक्षी दलों की अगली बैठक में हिस्सा नहीं लेगी, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है। कांग्रेस को सार्वजनिक रूप से केंद्रीय अध्यादेश का विरोध करना होगा।

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संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस से नदारद, जारी किया लेटर

बैठक के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी अरविंद केजरीवाल या भगवंत मान नजर नहीं आए। आप पार्टी की तरफ से एक बयान जरूर जारी किया है। जिसमें कहा कि पटना में समान विचारधारा वाली पार्टी की बैठक में कुल 15 दल शामिल हुए। जिनमें से 12 का राज्यसभा में प्रतिनिधित्व है। कांग्रेस को छोड़कर अन्य सभी 11 दलों ने ने स्पष्ट रूप से केंद्रीय अध्यादेश के खिलाफ अपना रुख स्पष्ट किया। घोषणा कि वे राज्यसभा में इसका विरोध करेंगे।

अन्य राज्यों के अधिकारों को जा सकता है छीना

अध्यादेश का उद्देश्य न केवल दिल्ली में एक निर्वाचित सरकार के लोकतांत्रिक अधिकारों को छीनना है, बल्कि यह भारत के लोकतंत्र और संवैधानिक सिद्धांतों के लिए भी एक महत्वपूर्ण खतरा है। यदि चुनौती न दी गई तो यह खतरनाक प्रवृत्ति अन्य सभी राज्यों में फैल सकती है। जिसके परिणामस्वरूप लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राज्य सरकारों से सत्ता छीन ली जा सकती है। इस काले अध्यादेश को हराना बहुत जरूरी है।

कांग्रेस के इरादों पर संदेह

आम आदमी पार्टी ने कहा कि कांग्रेस ने अभी तक काले अध्यादेश पर अपना रुख सार्वजनिक नहीं किया है। हालांकि, कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब इकाइयों ने घोषणा की है कि पार्टी को इस मुद्दे पर मोदी सरकार का समर्थन करना चाहिए। लेकिन बैठक में कांग्रेस ने समर्थन नहीं दिया।

कांग्रेस की चुप्पी उसके वास्तविक इरादों पर संदेह पैदा करती है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने संकेत दिया है कि उनकी पार्टी अनौपचारिक या औपचारिक रूप से राज्यसभा में इस पर मतदान से दूर रह सकती है। इस मुद्दे पर कांग्रेस के मतदान से दूर रहने से भाजपा को भारतीय लोकतंत्र पर अपने हमले को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिलेगी।

कांग्रेस जहां, वहां हम नहीं

अध्यादेश संविधान विरोधी, संघवाद विरोधी और पूर्णतया अलोकतांत्रिक है। इसके अलावा यह इस मुद्दे पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को उलटने का प्रयास करता है और न्यायपालिका का अपमान है। कांग्रेस की झिझक और टीम प्लेयर के रूप में कार्य करने से इनकार, विशेष रूप से इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर, AAP के लिए किसी भी गठबंधन का हिस्सा बनना बहुत मुश्किल हो जाएगा जिसमें कांग्रेस भी शामिल है।

जब तक कांग्रेस सार्वजनिक रूप से काले अध्यादेश की निंदा नहीं करती और घोषणा नहीं करती कि उसके सभी 31 राज्यसभा सांसद राज्यसभा में अध्यादेश का विरोध करेंगे, AAP के लिए समान विचारधारा वाले दलों की भविष्य की बैठकों में भाग लेना मुश्किल होगा जहां कांग्रेस भागीदार है। अब समय आ गया है कि कांग्रेस तय करे कि वह दिल्ली की जनता के साथ खड़ी है या मोदी सरकार के साथ।

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Edited By

Bhola Sharma

Edited By

rahul solanki

First published on: Jun 23, 2023 06:09 PM

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