मुंबईः- भ्रष्टाचार मुक्त महाराष्ट्र बनाने के लिए सूबे में अब मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों को लोकायुक्त के दायरे में लाने का फ़ैसला कल नागपुर में हुए कैबिनेट की बैठक में लिया गया। इस फ़ैसले के अनुसार मुख्यमंत्री या फिर मंत्री पर भ्रष्टाचार का आरोप होने के बाद उसकी जाँच अब लोकायुक्त करेंगे नागपुर में आज से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में लोकायुक्त क़ानून में सुधारना का बिल लाया जाएगा नागपुर में इसकी जानकारी मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री ने दी।
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लोकपाल के तर्ज़ पर महाराष्ट्र में भी लोकायुक्त के अधिकार और मज़बूत करने की माँग वरिष्ठ समाजसेवी अन्ना हज़ारे ने लगातार राज्य सरकार से की थी लोकायुक्त क़ानून में और क्या बदलाव किये जा सकते है इसे लेकर अन्ना हज़ारे के अध्यक्षता में एक कमिटी राज्य सरकार ने बनायी थी।हज़ारे कमिटी की रिपोर्ट बिना किसी बदलाव के राज्य सरकार ने स्वीकारते हुए लोकायुक्त क़ानून में बदलाव के लिए कैबिनेट ने मंज़ूरी दे दी।
मौजूदा लोकायुक्त क़ानून के अनुसार भ्रष्टाचार का आरोप लगे किसी भी लोकसेवक पर कारवाई करने की शिफ़ारिश लोकायुक्त सरकार और राज्यपाल से कर सकते थे इतना ही सीमित अधिकार लोकायुक्त के पास था। लेकिन अब भ्रष्टाचार प्रतिबंध क़ानून के सारे अधिकार लोकायुक्त के पास होंगे जिसके तहत भ्रष्टाचार का आरोप लगे या फिर उसमे तथ्य मिलने पर किसी भी लोकसेवक पर कार्रवाई के आदेश लोकायुक्त को मिलेंगे।कुल 5 लोकायुक्त में से मुख्य लोकायुक्त सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड न्यायमूर्ति होंगे 2 हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज होंगे और 2 वरिष्ठ अधिकारी होंगे
प्रस्तावित लोकायुक्त सुधारना क़ानून के तहेत मुख्यमंत्री और मंत्रियों को लोकायुक्त के दायरे में लाया गया है लेकिन मुख्यमंत्री पर कारवाई करने के लिए लोकायुक्त को विधानसभा के दो तिहाई सदस्यों का याने 192 से भी ज़्यादा विधानसभा सदस्यों की मान्यता लेनी पड़ेगी तो मंत्री पर कारवाई करने के लिए लोकायुक्त को राज्यपाल से मंज़ूरी लेनी होगी। इससे अब सवाल उठने लगा है की क्या कारवाई हो पाएगी।
मुंबई/विनोद जगदाले/ 19-12-22
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