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चांद पर मिला दुर्लभ ‘खजाना’! चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम के डेटा की रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा

Chandrayaan-3 Lander Vikram Data Research: चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के डेटा की रिसर्च से चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इस डेटा के मुताबिक, चांद पर दुर्लभ चीजें मौजूद हैं। चंद्रमा पर वह चीज मौजूद हो सकती है, जिसकी तलाश अंतरिक्ष वैज्ञानिक कर रहे हैं।

Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Mar 11, 2025 09:51
Chandrayaan-3 Lander Vikram on Moon
Chandrayaan-3 Lander Vikram on Moon

Chandrayaan-3 Lander Data Research: चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चांद पर सो रहा है, लेकिन उसके डेटा की रिसर्च से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। विक्रम लैंडर पर कई तरह के इंस्ट्रूमेंट्स लगे हैं, जिनमें उसने खत्म होने से पहले डेटा जुटाया था। उस डेटा के अनुसार, चांद की धरती पर दुर्लभ चीज मिली है। जिस चीज की तलाश में चंद्रयान-3 मिशन शुरू किया गया था, वह चीज चंद्रमा पर मिल सकती है। जी हां, चांद पर पानी की बर्फ पहले से कहीं ज्यादा हो सकती है।

चंद्रयान-3 पर लगे उपकरणों में से एक से मिले डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्रों की बाहरी जगहों पर पानी की बर्फ मौजूद हो। अहमदाबाद स्थित फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी में सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरीमेंट (ChaSTE) के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा से जुटाए गए डेटा की रिसर्च की और अपनी रिपोर्ट में चांद पर जीवन होने के संकेत मिलने की संभावना जताई, जो अगर सच साबित हुई तो चांद पर इंसानी बस्ती बसाने का वैज्ञानिकों का सपना सच हो सकता है।

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चंद्रमा की 2 सतहों के बीच तापमान में अंतर मिला

‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, चंद्रमा की सतह और उसके सब-सर्फेस के तापमान में काफी अंतर है। चंद्रमा के उन इलाकों, जहां सूरज की किरणें नहीं पड़तीं और ध्रुवीय इलाकों में तापमान एक समान हो सकता है और इनकी सतह के नीचे पानी वाली बर्फ हो सकती है। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च नेचर पब्लिकेशन के एक जर्नल में प्रकाशित कराई है।

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अहमदाबाद की लैब में जो एक्सपेरिमेंट किया गया, वह एक प्रकार का थर्मामीटर है, जो ध्रुवीय क्षेत्रों में चंद्रमा की सतह और सब-सर्फेस का तापमान मापता है। अब से पहले इन इलाकों के तापमान का अनुमान सैटलाइट से मिली जानकारी पर लगाया जाता था। ChaSTE ने पहले यह संकेत दिया था कि चंद्रमा की सतह के तापमान और उसके नीचे की परत के बीच 60 डिग्री सेल्सियस का अंतर हो सकता है। अब तक समझा जा रहा था कि पानी वाली बर्फ केवल चंद्रमा के ध्रुवीय इलाकों में है, खासकर उन गड्ढों के नीचे जहां सूर्य की किरणें नहीं पहुंचती। चंद्रयान-3 भी दक्षिणी ध्रुव से करीब 70 डिग्री दक्षिण दिशा में लैंड हुआ था।

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तीनों मून मिशन से अब तक हुए खुलासे

बता दें कि अक्टूबर 2008 में लॉन्च हुए पहले मून मिशन चंद्रयान ने चांद पर पानी होने की पुष्टि की थी। चंद्रयान-1 की रिसर्च में साउथ पोल पर पानी होने के संकेत मिले थे। इसलिए चंद्रयान-3 को भी साउथ पोल में ही उतारा गया, जो हमेशा अंधेरे में डूबा रहता है, क्योंकि सूरज की किरणें वहां नहीं पहुंचतीं। अब चंद्रयान-3 के डेटा से पता चला है कि बर्फीली चादर साउथ पोल के नीचे ही नहीं, बल्कि उससे आगे भी हो सकती है, जहां सूरज की किरणें पहुंचती हैं।

 

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Khushbu Goyal

First published on: Mar 11, 2025 09:21 AM

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