Retail Inflation Data: सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति ने आरबीआई के ‘लक्ष्मण रेखा’ को तोड़ दिया और जनवरी में तीन महीने के उच्च स्तर 6.52 प्रतिशत पर पहुंच गई। इससे पहले जनवरी महीने में सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर में खुदरा महंगाई दर एक साल के सबसे निचले स्तर 5.72 फीसदी पर आ गई थी।
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से खुदरा महंगाई दर को 4 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य तय किया गया है। वहीं महंगाई दर का दायरा 2 से 6 प्रतिशत के बीच रखने की सीमा है।
Retail inflation for January stands at 6.52%; Rural inflation is at 6.85% while urban inflation is at 6.00% pic.twitter.com/vB1B00SORP
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) February 13, 2023
खाने-पीने की सामान के बढ़े दाम
खुदरा महंगाई दर के बढ़ने से खाने-पीने से सामान महंगे होंगे। देश के कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में करीब 40 प्रतिशत हिस्सेदारी सिर्फ Food Price Index की है। खुदरा महंगाई दर में इजाफे के कारणों पर गौर करें तो जनवरी में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 5.94 फीसदी पर जा पहुंची है जो दिसंबर 2022 में 4.19 फीसदी रही थी। यानि खाने-पीने की चीजें जनवरी में महंगी हुई है।
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जनवरी 2022 में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 5.43 फीसदी रही थी। जनवरी 2023 में महंगे दूध का असर खुदरा महंगाई दर पर नजर आ रहा है। दूध और उससे बनने वाले प्रोडक्ट्स की महंगाई दर 8.79 फीसदी रही है। वहीं मीट और मछली की महंगाई दर 6.04 फीसदी, अंडे की 8.78 फीसदी रही है। साग-सब्जियों की महंगाई दर नेगेटिव में है और ये -11.70 फीसदी है। फलों की महंगाई दर 2.93 फीसदी रही। जनवरी 2023 में पान-तंबाकू की महंगाई दर 3.07 प्रतिशत और आवास की महंगाई दर 4.62 प्रतिशत रही है।
मुद्रास्फीति में तेज वृद्धि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक चिंताजनक संकेतक हो सकती है क्योंकि यह न केवल विशाल मध्यम वर्ग की आबादी को नुकसान पहुंचाएगा, बल्कि मांग वृद्धि को भी बाधित करेगा। इसके अलावा, इसका प्रमुख ब्याज दरों पर भी सीधा प्रभाव पड़ेगा क्योंकि केंद्रीय बैंक को अप्रैल में मौद्रिक नीति को और सख्त करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।
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