केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत में रेल भाड़ा सभी पड़ोसी देशों में सबसे कम है। विकसित देशों में तो 10 गुना किराया लिया जाता है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी देशों में भारत के मुकाबले ट्रेन का किराया 10-15 प्रतिशत तक ज्यादा है। रेल मंत्री ने कहा कि रेलवे अपने यात्रियों को कम-से-कम किराए के साथ ही सुरक्षित और उच्च गुणवत्ता वाला सफर कराने के लिए प्रतिबद्ध है। रेल मंत्री वैष्णव ने ये बातें सोमवार को राज्यसभा में रेल मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा के दौरान जवाब देते हुए कही।
दुनिया तक पहुंचेंगे ‘मेड इन बिहार’ रेल इंजन
उन्होंने कहा कि आज हमारे देश से ऑस्ट्रेलिया को मेट्रो के कोच निर्यात होने लगे हैं। उन्होंने कहा कि बिहार के मढौरा स्थित रेल कारखाने में बने 100 लोकोमोटिव इंजन का निर्यात जल्द शुरू होगा। भारत अब ब्रिटेन, सऊदी अरब, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया को रेल डिब्बों के उपकरण निर्यात कर रहा है। उन्होंने इस उपलब्धि को भारतीय रेलवे के विकास और ‘मेड इन इंडिया’ अभियान की सफलता के रूप में पेश किया।
बिहार के मढ़ौरा रेल कारखाने से होगा निर्यात
वैष्णव ने बताया कि बिहार के मढ़ौरा स्थित रेल कारखाने में बने लगभग 100 लोकोमोटिव इंजन जल्द ही निर्यात किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह वही कारखाना है, जिसकी घोषणा पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने की थी, लेकिन उस पर काम शुरू नहीं हुआ था। 2014 के बाद इस परियोजना को गति मिली और अब यह निर्यात के लिए तैयार है। वैष्णव ने गर्व जताते हुए कहा, ‘जिस फैक्टरी की सिर्फ घोषणा हुई थी, उस पर 2014 से काम शुरू किया गया और अब वहां बने लोकोमोटिव इंजन दुनिया में जाने वाले हैं।’
’10 साल में 5 लाख युवाओं को मिली नौकरी’
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने भारतीय रेलवे की तरफ करते हुए कहा कि रेलवे ने पिछले 10 साल में 5 लाख युवाओं को नौकरियां दीं। उन्होंने आगे कहा कि यूपीए सरकार ने 10 सालों के अंदर केवल 4 लाख नौकरियां ही दी थीं। रेल मंत्री ने कहा कि जनसंघ के वक्त से हमारी प्राथमिकता गरीब और लोअर मिडिल क्लास रहा है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कुल मिलाकर महाकुंभ के दौरान भी रेलवे ने अच्छा काम किया, बस एक घटना बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण रही। उसकी जांच हाइलेवल कमेटी कर रही है। उन्होंने विपक्षी राज्य सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि केरल में रेलवे के फ्लाईओवर में राज्य सरकार का सहयोग मिले तो काम जल्दी पूरा हो। वहीं, उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में जमीन अधिग्रहण में बहुत दिक्कत आती है।
‘सब्सिडी पर सालाना करीब 60,000 करोड़ रुपये खर्च’
अश्विनी वैष्णव ने कहा कि अपने बेहतर प्रदर्शन की वजह से रेलवे अपने खर्चों को अपनी कमाई से पूरा कर रहा है। उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर रेलवे की वित्तीय हालत काफी अच्छी है। उन्होंने कहा कि रेलवे माल ढुलाई से रेवेन्यू हासिल करता है और पैसेंजर्स को सब्सिडी देता है। उन्होंने कहा कि रेलवे की प्रति किलोमीटर लागत 1.38 रुपये है जबकि यात्रियों से 72 पैसे ही लिए जाते हैं यानी करीब 47% का डिस्काउंट। उन्होंने बताया कि सब्सिडी पर सालाना करीब 60,000 करोड़ रुपये खर्च होता है।
आज हमारे देश से ऑस्ट्रेलिया को metro के coaches export होने लगे हैं।
Make in India, make for the world. pic.twitter.com/bB8iBRsmuv
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) March 17, 2025
रेलवे का पैसा कहां और कितना होता है खर्च
उन्होंने कहा कि 2023-24 के दौरान भारतीय रेलवे ने 2,75,000 करोड़ रुपये के खर्च के मुकाबले लगभग 2,78,000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू हासिल किया। वैष्णव ने बताया कि खर्च के घटकों में एंप्लॉय कॉस्ट (1,16,000 करोड़ रुपये), पेंशन पेमेंट (66,000 करोड़ रुपये), एनर्जी एक्सपेंडिचर (32,000 करोड़ रुपये) और फाइनेंसिंग कॉस्ट (25,000 करोड़ रुपये) है। वैष्णव ने कहा कि कोरोना महामारी के बाद कई चुनौतियां सामने आ गई थीं। हालांकि, अब इन सभी पर सही तरीके से काबू पा लिया गया है।