Allahabad High Court Verdict on Live In Relation: उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट की शादीशुदा मुसलमानों और लिव इन रिलेशन को लेकर अहम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ का कहना है कि इस्लाम के अनुयायी लिव-इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकते। विशेषकर तब, जब वे शादीशुदा हों।
इस्लाम के सिद्धांत शादीशुदा रहते हुए लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने की अनुमति नहीं देते हैं। अगर शादी नहीं हुई है और दोनों बालिग हैं तो वे अपनी मर्जी से अपना जीवन जीने का विकल्प चुन सकते हैं। उस समय स्थिति अलग हो सकती है। जस्टिस एआर मसूदी और जस्टिस एके श्रीवास्तव की पीठ ने यह फैसला सुनाया।
Muslims cannot claim right to live-in relationship; against their customary law: Allahabad High Court
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— Bar and Bench (@barandbench) May 8, 2024
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लिव इन में रहने वाले कपल ने मांगी थी सुरक्षा
हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के याचिकाकर्ताओं को पुलिस सिक्योरिटी देने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता अलग-अलग धर्मों के अनुयायी हैं। उन्होंने दावा किया है कि वे लिव-इन रिलेशन में रहते थे, लेकिन महिला के माता-पिता ने व्यक्ति के खिलाफ बेटी को किडनैप करने और उस पर शादी करने का दबाव डालने का आरोप लगाते हुए पुलिस को लिखित शिकायत दी थी।
इसके बाद लिव इन में रह रहे कपल ने पुलिस सिक्योरिटी मांगते हुए हाईकोर्ट में याचिका दर्ज की। याचिका में बताया गया कि वे दोनों बालिग हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, वे लिव-इन रिलेशन में रहने के लिए स्वतंत्र हैं। मर्जी से लिव इन में रह रहे हैं।
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व्यक्ति शादीशुदा और एक बच्ची का पिता है
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। वहीं जांच में पता चला कि महिला के साथ लिव इन में रह रहा व्यक्ति शादीशुदा है। साल 2020 में उसकी शादी हुई थी और वह एक बेटी का पिता भी है। इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर उन्हें पुलिस सिक्योरिटी देने से मना कर दिया। साथ ही यह भी कहा कि इस्लाम के सिद्धांतों के अनुसार, शादीशुदा मुस्लमान लिव इन रिलेशन में नहीं रह सकता।
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