राजीव रंजन, नई दिल्ली: हाल ही में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के डाटा से पता चला कि पिछले एक साल में 1 लाख 63 हजार लोगों ने सुसाइड की। इनमें से एक तिहाई सुसाइड केस के मामलों में मानसिक रोग को कारण बताया गया। इस मामले में न्यूज24 ने विशेषज्ञों की राय ली जिसमें चौंकाने वाली बातें सामने आईं।
देश में हर पांच साल में मानसिक रोगियों की संख्या एक तिहाई से ज्यादा हो रही है। ये बहुत चिंताजनक है कि कोरोना महामारी से हम अभी निपट भी नहीं पाए हैं कि देश में मानसिक महामारी का खतरा मंडराने लगा है। हर घर में डिप्रेशन के शिकार मरीज देखे जाने लगे हैं। पति-पत्नी, मां-बेटी, पिता-बेटे के रिश्तों में तनाव आम बात है।
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बच्चे भी डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं, ये गंभीर है
सबसे गंभीर ये कि बच्चे भी डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। मां-बाप का अनावश्यक दबाव उन्हें मानसिक रूप से बीमार कर रहा है। रांची के दो बड़े मानसिक रोगियों के अस्पताल के एक्सपर्ट्स ने बताया कि स्कूल के बच्चे भी डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं। देश की सबसे बड़ी समस्या पैरेंटिग होती जा रही है। बच्चों को अव्वल आने का दबाव उन्हें मानसिक रूप से कमजोर कर रहा है। कोरोना के बाद फोन और टैब उन्हें वर्चुअल दुनिया का तरफ ले जा रहा है।
‘बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखना व्यवहारिक नहीं’
कांके स्थित केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (सीआईपी) के डायरेक्टर डॉक्टर बासुदेव दास ने कहा कि बच्चों को सोशल मीडिया से दूर रखना व्यवहारिक नहीं है, पर पेरेंट्स को निगरानी रखनी होगी। रिनपास की विभागाध्यक्ष का कहना है कि बच्चों को समय न दे पाने की वजह से पैरेंट्स अपनी कमी को बच्चों की जिद पूरी करके कर रहे हैं। वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी कमियों को उजागर करके मजबूत पक्ष की अनदेखी कर रहे हैं, इसलिए वैवाहिक संबंधों में भी तनाव देखा जा रहा है।
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‘लोग अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए डिप्रेशन का बहाना ढूंढ रहे हैं’
उन्होंने कहा कि बहुत से मामलों में डिप्रेशन शब्द का मिसयूज हो रहा है। लोग अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए डिप्रेशन का बहाना ढूंढ रहे हैं। दरअसल, सामाजिक जीवन सिकुड़ता जा रहा है और लोग अपनी जिंदगी को परिवार तक सीमित करते जा रहे हैं। मानसिक तौर पर मजबूती के लिए आवश्यक है कि आप अपने गम और खुशियां परिवार के बाहर भी डिस्कस करें।
‘रात को वाई-फाई बंद करने से भी आधी समस्या का हल हो सकता है’
रांची के रिनपास के मनोचिकित्सक सिद्धार्थ सिन्हा का कहना है कि केवल वाई-फाई राउटर को रात 11 बजे से लेकर सुबह आठ बजे तक ऑफ कर देने से भी आधी समस्या का हल हो सकता है। बच्चों से लेकर अधेड़ और बुजुर्ग भी सोशल मीडिया पर समय निर्धारित कर लें तो समस्या पर बहुत हद तक काबू पाया जा सकता है। सामाजिक संबंधों का दायरा बढ़ाने के लिए खुद के बजाए समाज के लिए जीना भी जीवन का ध्येय होना चाहिए।
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