Sleepmaxxing Benefits: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में चैन की नींद सोना मुश्किल हो गया है। नींद में कमी के कई कारण हो सकते हैं, जैसे काम का प्रेशर, परीक्षा का स्ट्रेस या घंटों फोन पर स्क्रोलिंग। इन सभी कारणों के चलते लोगों में नींद प्रभावित हो रही है। एक हालिया रिपोर्ट में पता चला है कि भारत में भी 61% लोग ऐसे हैं जो नींद न आने की समस्या से परेशान हैं, जबकि दुनिया भर में सिर्फ 22% लोग ऐसे हैं जिन्हें नींद कम आने या न आने की समस्या है। इसका साफ मतलब है कि अच्छी और बेहतर नींद को लेकर भारत काफी पीछे है। देश में युवा 6 घंटे की पर्याप्त नींद लेने में भी असमर्थ हैं।
‘नींद’ एक नई चिंता
नींद दुनियाभर के लोगों के लिए एक नई चिंता बन गई है। हालांकि, नींद को लेकर लोगों में यह चिंता भी बढ़ी है कि पर्याप्त नींद कैसे ली जाए। कोविड के बाद से ही लोगों में नींद को लेकर धारणा बदल गई है। रात में बेहतर नींद ना आना एक चिंताजनक विषय तो है ही, मगर कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें रात को नींद ना आने के साथ-साथ दिनभर में भी नींद नहीं आती है, जो सेहत के लिए और भी ज्यादा खतरनाक है।
स्लीपमैक्सिंग क्या है?
स्लीपमैक्सिंग, सोशल मीडिया पर सोने को लेकर एक नए ट्रेंड की तरह फैल रहा है। फेमस इंफ्लूएंसर्स और हेल्थ एक्सपर्ट्स भी इसको प्रमोट कर रहे हैं। इन लोगों के अनुसार नींद में सुधार के लिए आप अपनी डेली लाइफ में कुछ बदलाव कर सकते हैं। ये नींद के लिए ऐसे सुझाव देते हैं, जिससे नींद की क्वालिटी बढ़िया होती है। स्लीपमैक्सिंग में कुछ चीजों का इस्तेमाल किया जाता है जो नींद बढ़ाने के लिए होती हैं।
क्या हैं नींद बढ़ाने वाले टूल्स?
- माउथ टेप
- मैग्नीशियम ऑयल
- स्लिप ट्रैकर्स
- जॉ स्टैप्स
- रेड लाइट थेरेपी
- मेलाटोनिन सप्लीमेंट्स
- अश्वगंधा
इन सभी चीजों का इस्तेमाल नींद की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। कुछ एक्सपर्ट्स इन उपकरणों के अलावा भी ऐसी कई चीजों के बारे में बताते हैं जो नींद के लिए बेहतर हो सकती हैं। जैसे कि सोने से पहले जर्नलिंग करना (अपने विचारों और भावनाओं को किसी डायरी या नोटबुक में लिखना), सोने से पहले थोड़ी स्ट्रेचिंग या मेडिटेशन करना।
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स्लीपिंग टूल्स का बढ़ता मार्केट
साल 2024 में पिछले कुछ समय के मुकाबले नींद को लेकर इस्तेमाल किए जाने वाले टूल्स, दवाओं और सप्लीमेंट्स की बिक्री बढ़ी है। हालांकि, नींद के लिए इन चीजों का इस्तेमाल अमेरिका में ज्यादा किया जा रहा है। नींद के प्रति इस प्रकार का जुनून सीधा-सीधा संकेत है कि लोग नींद न आने की समस्या से पीड़ित हैं इसलिए इन चीजों के प्रति आकर्षित हो रहे हैं।
नींद के लिए क्यों परेशान हैं लोग?
नींद स्वास्थ्य के लिए कितनी जरूरी है, इस बात के बारे में लोगों के अंदर अब जागरूकता बढ़ी है। नींद मनोचिकित्सकों ने नींद की कमी वाले रोगियों की जांच में पाया कि लोगों में नींद ना आने का सबसे बड़ा कारण उनकी लाइफस्टाइल ही है। लोग फिजिकल एक्टिविटीज करने से बच रहे हैं, जिससे उनका शरीर थकावट महसूस नहीं करता है। लोगों का स्क्रीन टाइम भी इतना बढ़ गया है जो नींद को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है।
स्लीपमैक्सिंग के फायदे
जाहिर है, स्लीपमैक्सिंग टेकनीक से बेहतर नींद आएगी। नींद अच्छी आने से सेहत को लाभ होगा। इससे ब्लड शुगर लेवल नियंत्रित होगा, इम्युनिटी मजबूत होगी और वेट भी मेंटेन रहेगा। इसके अलावा मूड स्विंग्स, ब्रेन फंक्शनिंग भी सही रहेगी।
क्या स्लीपमैक्सिंग के कोई नुकसान भी हैं?
कुछ हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि स्लीपमैक्सिंग सोने के लिए फॉलो की जाने वाली एक तकनीक है जो कि लम्बे समय के स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। ऐसा करने से इंसान हमेशा नींद के लिए किसी उपकरण या तरीके पर निर्भर हो सकता है। नींद के लिए उपयोग की जाने वाली चीजें जैसे माउथ टेप या मैग्नीशियम ऑयल कुछ लोगों के लिए हानिकारक भी हो सकती हैं।
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