Metabolic Syndrome: मेटाबोलिक सिंड्रोम यानि मेटाबॉलिक सिंड्रोम हार्ट डिजीज को जोखिम कारकों का एक समूह है जो स्ट्रोक और शुगर के विकास की संभावना को बढ़ाता है। जब कोई मरीज इन स्थितियों से गुजरता है, तो आगे चलकर दिल से जुड़ी बीमारियों की संभावना ज्यादा हो जाती है। हाई ब्लड प्रेशर बहुत ही गंभीर बीमारी है। जिस मरीज को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है, उनका ग्लूकोज लेवल बढ़ जाता है।
इसकी वजह से ओबेसिटी और ब्लीडिंग की परेशानी होती है, जिसे मेटाबोलिक सिंड्रोम कहा जाता है। ज्यादा संभावना है मरीज को दिल से जुड़ा खतरा हो सकता है। मेटाबोलिक सिंड्रोम ज्यादातर 23 % लोगों को प्रभावित करता है, जिसमें फैटी बिल्डअप (fatty buildups) से संबंधित बीमारी डायबिटीज, स्ट्रोक जैसी बीमारियों को जोखिम में रखता है।
मेटाबोलिक सिंड्रोम के कारण
- पेट या पेट के आसपास बहुत ज्यादा फैट का जमा होना।
- टाइप 2 डायबिटीज होने का रिस्क।
- हाई ब्लड प्रेशर।
- हाई ट्रीग्लिसराइड्स (एक प्रकार का फैट) होना।
- खून में अच्छे कोलेस्ट्रॉल लेवल का कम होना।
मेटाबोलिक सिंड्रोम के लक्षण
इससे जुड़े अधिकतर विकारों में संकेत या लक्षण नहीं होते हैं। एक संकेत है वह बड़ी कमर परिधि (Large Waist Circumference) है। अगर आपका ब्लड शुगर ज्यादा है, तो आप डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं- जैसे- प्यास लगना और जल्दी पेशाब का आना, थकान, धुंधला दिखना ये सारे लक्षण शामिल हैं।
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डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए
अगर आपको लगता है कि मेटाबोलिक सिंड्रोम का एक भी ऐसा लक्षण दिख रहा है तो डॉक्टर से जरूर मिलें।
मेटाबोलिक सिंड्रोम के अन्य कारण
- आयु
- मेटाबोलिक सिंड्रोम का फैमिली हिस्ट्री
- व्यायाम न करना
- जिन महिलाओं को पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome) हुआ है।
जीवनशैली में लाएं बदलाव
- व्यायाम करें
- स्वस्थ आहार लें
- वजन घटाएं
- धूम्रपान न करें
Disclaimer: इस लेख में बताई गई जानकारी और सुझाव को पाठक अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। News24 की ओर से किसी जानकारी और सूचना को लेकर कोई दावा नहीं किया जा रहा है।