Gas Causing Dal: दाल भारतीय खानपान का अहम हिस्सा है. दाल खाने पर शरीर को फाइबर, प्रोटीन और विटामिन समेत कई खनिज मिलते हैं जो पूरे शरीर की सेहत को दुरुस्त रखते हैं. लेकिन, दालों में कार्बोहाइड्रेट्स और फाइबर की भरपूर मात्रा होने के चलते बहुत सी दालें पेट में गैस (Stomach Gas) बनाती हैं. ऐसे में दाल सही तरह से ना खाई जाए तो पेट फूल सकता है और पेट में गैस बनने की दिक्कत होती है. यहां जानिए वो कौन सी दालें हैं जिन्हें खाने पर पेट फूलता है. न्यूट्रिशनिस्ट लीमा महाजन ने बताया है कि इन दालों को किस तरह से खाने पर पेट में गैस बनने की समस्या नहीं होती है.
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किस दाल को खाने पर पेट में गैस बनती है | Which Dal Causes Gas
उड़द दाल – उड़द की दाल (Urad Dal) खाने पर पेट फूल सकता है. उड़द दाल को पचाना आमतौर पर मुश्किल होता है. खासतौर से जिन लोगों का पाचन कमजोर होता है उनके पेट में यह दाल जल्दी नहीं पचती और पेट फूलने की वजह बनती है.
चना दाल – प्रोटीन और फाइबर से भरपूर यह दाल पेट फूलने की वजह बन सकती है. चने की दाल सही तरह से ना खाई जाए तो पेट में गैस बन सकती है.
अरहर की दाल – अक्सर ही अरहर की दाल को स्वाद लेकर खाया जाता है. लेकिन अरहर की दाल सही तरह से पकाकर ना खाने पर पेट में गैस हो सकती है.
गैस से बचने के लिए कैस खाएं दाल
न्यूट्रिशनिस्ट लीमा महाजन ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट से एक वीडियो शेयर किया है और बताया है कि किस तरह कौन सी दाल को खाया जाना चाहिए जिससे पेट में गैस ना बने. लीमा ने कहा है कि दालों को अगर भिगोकर खाया जाए तो दाल पचने में मदद मिलती है.
- लाल मसूर, मूंग दाल और अरहर दाल (Arhar Dal) बिना छिलके वाली दाल होती हैं. इन दालों को पकाने से पहले कम से कम 30 मिनट तक भिगोकर रखना चाहिए.
- टूटी हुई छिलके वाली दालों को 2 से 4 घंटे तक भिगोना चाहिए. इससे दालों का फाइबर सॉफ्ट हो जाता है.
- टूटी हुई चना दाल सख्त दाल होती है. इसे कम से कम 2 से 4 घंटे
- साबुत दालों में छिलका होने के चलते इन्हें ज्यादा लंबे समय तक भिगोकर रखना जरूरी होता है. इन्हें कम से कम 6 से 8 घंटे तक भिगोकर रखें.
- लेग्यूम्स जैसे राजमा, चने और छोले कम से कम रातभर या दिनभर भिगोकर रखने के बाद इन्हें पकाना चाहिए. इन्हें भिगोते समय इनमें एक तेजपत्ता, एक मोटी इलायची और एक लौंग भी डाल दें.
- न्यूट्रिशनिस्ट की सलाह है कि हर दाल के साथ हींग, जीरा और अदरक का तड़का जरूर लगाएं. इससे ब्लोटिंग (Bloating) कम होती है.
दाल भिगोकर खाने के क्या फायदे हैं
दाल को भिगोकर खाया जाए तो इसके एंटी-न्यूट्रिएंट्स निकल जाते हैं. ये एंटी-न्यूट्रिएंट्स फाइटिक एसिड और टैनिंस होते हैं जो आयरन, जिंक और कैल्शियम के एब्जॉर्प्शन को ब्लॉक करते हैं. दाल भिगोने पर इसमें मौजूद स्पेशल शुगर हट जाती है जिसे पेट आसानी से नहीं पचा पाता है. दाल पकाने में कम समय लगता है, दाल मुलायम हो जाती है और टेक्सचर भी बेहतर हो जाता है.
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