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जहरीली हुई हवा, AQI हुआ 200 के पार, फेफड़ों के डॉक्टर ने कहा शरीर में दिखें ये 3 लक्षण तो हो जाएं सावधान

वायु प्रदषण शरीर को एक नहीं बल्कि कई तरीकों से प्रभावित करता है. ऐसे में यहां जानिए दिल्ली की जहरीली हवा शरीर पर क्या असर कर सकती है और किन लक्षणों की समय रहते पहचान करना जरूरी है.

Author Written By: Seema Thakur Author Published By : Seema Thakur Updated: Oct 15, 2025 17:22
Delhi AQI
प्रदूषण के कारण फेफड़ों की दिक्कतें हो सकती हैं. Image Credit - AI

Delhi AQI: दिवाली से पहले दिल्ली की एयर क्वालिटी एक बार फिर बिगड़ गई है. हवा की गुणवत्ता खराब होने से दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स Poor कैटेगरी में आ गया है. दिल्ली के AQI को 200 के पार देखकर सरकार की तरफ से सावधानी बरतने के निर्देश जारी किए गए हैं. वायु प्रदूषण (Air Pollution) फेफड़ों की बीमारियों का खतरा कई गुना तक बढ़ा देता है. जहरीली हवा में सांस लेने से इंफ्लेमेशन बढ़ती है, दिल की दिक्कतें होने लगती हैं, फेफड़ों की बीमारियां होती हैं, ऑर्गन डैमेज होता है, दिमाग की सेहत पर असर पड़ता है और खून दूषित होने लगता है सो अलग. ऐसे में अगर आप भी इस जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं तो कुछ लक्षणों के बारे में जान लीजिए. पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. अंकित भारद्वाज कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में बता रहे हैं जो शरीर में नजर आएं तो डॉक्टर से तुरंत जांच कराना जरूरी है. समय रहते इलाज करा लिया जाए तो गंभीर बीमारियों की संभावना कम होती है.

इन लक्षणों का रखें ध्यान

डॉ. अंकित भारद्वाज ने इंस्टाग्राम पर शेयर किए गए एक वीडियो में बताया है कि अगर शरीर में ये 3 लक्षण नजर आ रहे हैं तो पल्मोनोलॉजिस्ट से जरूर मिलना चाहिए.

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सांस फूलना – अगर सांस लेने में दिक्कत आ रही है या सांस फूल रही है हमें पता होना चाहिए कि सांस क्यों फूल रही है. खराब एयर क्वालिटी के चलते ऐसा हो सकता है. इसीलिए डॉक्टर से जांच और इलाज के लिए मिलना जरूरी है.

खांसी – 10 से 15 दिन से ज्यादा अगर खांसी आने की दिक्कत हो तो डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है.
छाती में दर्द – बुखार आ रहा है या छाती में भारीपन है तो यह प्रदूषण के चलते हो सकता है.

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वायु प्रदूषण से सेहत पर क्या असर पड़ता है

  • प्रदूषण के कारण खांसी आ सकती है.
  • सांस फूलने लगती है.
  • बोलते हुए मुंह से हवा निकलती है.
  • श्वसन नली में जलन महसूस होती है.
  • अस्थमा ट्रिगर हो सकता है.
  • आंखों में जलन होती है.
  • क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिजीज हो सकती है. ये फेफड़ों से जुड़ी ग्रूप डिजीज हैं.
  • फेफड़ों के कैंसर (Lung Cancer) का खतरा बढ़ता है.
  • फेफड़ों के काम पर असर पड़ता है. खासतौर से बच्चों के फेफड़े ठीक तरह से काम नहीं कर पाते.
  • वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों की उम्र समय से पहले ही बढ़ जाती है.

अस्वीकरण – इस खबर को सामान्य जानकारी के तौर पर लिखा गया है. अधिक जानकारी के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें या चिकित्सक से परामर्श करें. न्यूज 24 किसी तरह का दावा नहीं करता है.

First published on: Oct 15, 2025 05:22 PM

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