दाल सेहत के लिए फायदेमंद होती है। इसमें कई लाभकारी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। मूंग की दाल को अन्य दालों की तुलना में अधिक गुणकारी और सभी के लिए उपयोगी मानी जाती है। इस दाल को प्रोटीन का पावरहाउस माना जाता है। बॉडी बिल्डर्स भी इस दाल को खाते हैं, ताकि मांसपेशियों की वृद्धि हो सके। मूंग की दाल पाचन में भी किसी प्रकार की समस्या नहीं पैदा करती है। मगर हाल ही में इस बात का दावा किया जा रहा है कि मूंग की दाल जहरीली है। इसे खाने से कैंसर हो सकता है। जी हां, इसका संबंध इसकी खेती से है। मूंग की खेती के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले किसी रासायनिक पदार्थ की वजह से कैंसर शरीर में पनप सकता है। आइए जानते हैं इस बारे में सब कुछ।
मूंग दाल और कैंसर का क्या संबंध?
मूंग की दाल की खेती ग्रीष्मकाल में की जाती है। इसकी खेती की अवधि 60 से 70 दिनों की होती है। रिपोर्ट्स की मानें तो मूंग की खेती करते समय इस पर पीला मोजेक वायरस पनपने लगता है। यह मुख्यत: सफेद मक्खियों से फैलने वाला संक्रामक वायरस है। इस वायरस से मूंग की खेती को बचाने के लिए किसान फसलों पर कुछ रसायन जैसे मिथोमिल का प्रयोग करते हैं। इस प्रकार के कुछ अन्य कीटनाशक भी हैं, जिनका इस्तेमाल किसानों द्वारा किया जा रहा है, ताकि फसलों को सुरक्षित रखा जा सके।
कीटनाशकों का प्रभाव
मिथोमाइल व अन्य रसायन पर्यावरण समेत मनुष्यों को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। कीटनाश्क के कण हवा में घुलकर इंसानों के शरीर में प्रवेश कर रहे हैं। वहीं, मूंग की दाल पर इसके कण चिपक जाते हैं, जो खाने के रास्ते इंसानी शरीर में प्रवेश करते हैं। इन कीटनाश्कों का असर आम इंसानों के साथ-साथ किसानों को सबसे ज्यादा होता है। दरअसल, किसान सबसे ज्यादा इस प्रकार के कीटनाश्कों के संपर्क में सबसे पहले और सबसे ज्यादा देर तक रहते हैं।
मिथोमाइल से कैंसर कैसे?
कई हेल्थ रिसर्च इस बारे में खुलासा पहले भी कर चुकी हैं कि कीटनाशक किसानों के लिए जानलेवा हो सकते हैं और ऐसी खेती वाले उत्पादों का सेवन करने वाले उपभोक्ताओं के लिए भी। इस पर अमेरिका में एक रिसर्च भी हुई थी। इस अध्ययन में किसानी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले 69 रसायनों का सैंपल लिया गया था। रिजल्ट में पाया गया कि रसायनों से होने वाले कैंसर की क्षमता धूम्रपान से होने वाले कैंसर के बराबर है।
स्टडी क्या बताती है?
यूनाइटेड स्टेट्स इनवायरनमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी में प्रकाशित एक जर्नल बताता है कि मिथोमाइल एक एन-मिथाइल कार्बामेट कीटनाशक है, जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार की खाद्य और चारा फसलों पर पत्तियों और मिट्टी से उत्पन्न होने वाले कीटों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि जब कोई व्यक्ति मुंह, आंखों या सांस के माध्यम से कीटनाशक के संपर्क में आता है, तो मिथोमाइल के विषाक्त पदार्थ यानी टॉक्सिन्स का असर शरीर पर पड़ता है।
इस रिपोर्ट के माध्यम से पता चलता है कि ऐसी खेती के उपजाई गई सब्जी या अनाज खाने से आपको कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं, जिसमें स्किन से लेकर इंटर्नल ऑर्गन और कैंसर भी शामिल हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
डॉक्टर अमित कुमार शर्मा, एग्रीकल्चर साइंटिस्ट, कृषि विश्वविद्यालय कहते हैं कि ऐसे कीटनाशकों का एकबार इस्तेमाल करने के बाद यह मिट्टी में 5 सालों तक मौजूद रहता है। इससे नई खेती भी प्रभावित हो जाती है और जानवर, जो खेतों में चरने जाते हैं, उनकी सेहत पर भी असर होता है। साथ ही, मूंग की दाल के साथ अभी जो समस्याएं हो रही हैं, उस पर तत्काल बैन लगाना जरूरी है वरना इंसान का खून, लिवर, किडनी और कैंसर जैसी बीमारियां पैदा हो सकती हैं। बता दें कि ऐसी खेती के उत्पादों का सेवन आने वाली नस्लों के लिए भी जानलेवा है।
सुरक्षित खेती के तरीके
- किसान रसायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल की जगह नेचुरल फर्टिलाइजर्स का इस्तेमाल करें।
- ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दें।
- बेमौसमी खेती न करें।
- एक खेत में एक फसल बार-बार न लगाएं।
- कीटनाशकों को दूर करने के लिए प्राकृतिक तरीकों को ढूंढें।
कैसे खाएं मूंग दाल?
- ऑर्गेनिक मूंग दाल चुनें।
- दाल को पकाने से पहले कम से कम 2-3 बार पानी से अच्छे से धो लें।
- इसे भिगोकर कुछ घंटों के लिए रखें।
- पकाने से पहले उस पानी को फेंक दें।
- धोते समय दाल से रंग निकलें तो वह दाल न खाएं।
- बाहर की दाल खाने से बचें।
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