Vidur Niti: विदुर महाभारत के एक प्रमुख और अत्यंत बुद्धिमान पात्र थे। वे धृतराष्ट्र के मंत्री, पांडवों के शुभचिंतक और हस्तिनापुर के एक नीतिज्ञ थे। उनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था, लेकिन अपनी बुद्धिमानी, धर्मनिष्ठा और नीतिशास्त्र के ज्ञान के कारण उन्होंने राजसभा में एक विशेष स्थान प्राप्त किया। विदुर को ‘नीति के प्रतीक’ माना जाता है और उनकी कही गई बातें आज भी प्रबंधन, राजनीति और जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन देती हैं।
उनकी नीतियां ‘विदुर नीति’ नामक ग्रंथ के रूप में प्रकाशित हैं, जिसमें जीवन के विभिन्न पहलुओं से जुड़े नीति, नैतिकता और व्यवहारिक ज्ञान का संकलन है। यह न केवल व्यक्तिगत जीवन में सफलता दिलाने में सहायक है बल्कि शत्रुओं से निपटने की कला भी सिखाती है। विदुरजी के अनुसार, किसी भी शत्रु को हराने के लिए शारीरिक बल की नहीं, बल्कि मानसिक बल और बुद्धि की आवश्यकता होती है। वे कहते हैं कि लालच यानी लोभ एक ऐसा अस्त्र है जिससे सबसे शक्तिशाली दुश्मन को भी पराजित किया जा सकता है। आइए जानें कैसे?
ये भी पढ़ें: साल के इन 10 खास दिनों में भूलकर भी न बनाएं-खाएं रोटी, जानिए क्यों मानी जाता है अशुभ?
लोभ से भटकता है लक्ष्य
विदुर नीति के अनुसार, जब कोई व्यक्ति लालच में फंसता है, तो वह अपने वास्तविक लक्ष्य से भटक जाता है। उसका ध्यान भटकाना आसान हो जाता है और वह निर्णय लेने में गलतियां करता है।
दुश्मन में पैदा होता है भ्रम
लालच में डूबा व्यक्ति अपने फायदे के बारे में सोचने लगता है, भले ही वह शत्रु के साथ मिलकर काम कर रहा हो। यही भ्रम उसे कमजोर बना देता है।
बुद्धि हो जाती है भ्रष्ट
जब कोई व्यक्ति लोभ में उलझता है, तो उसकी सोचने-समझने की क्षमता खत्म होने लगती है। विदुर कहते हैं कि लालच इंसान की बुद्धि को पूरी तरह से भ्रष्ट कर देता है, जिससे वह गलत फैसले लेता है।
गलत फैसले से होती है हार की शुरुआत
शत्रु जब एक के बाद एक गलत निर्णय लेता है, तो वह धीरे-धीरे अपनी ही चालों में उलझ जाता है। अंततः वह खुद को कमजोर महसूस करने लगता है और घुटने टेकने लगता है।
ये भी पढ़ें: घर ले आएं चांदी की ये 8 चीजें, जल्द ही चमक जाएगी किस्मत; हर काम में होगी बरकत
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।