नई दिल्ली: खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर पांच महीने के उच्च स्तर 7.41% सालाना पर पहुंच गई है। अगस्त में 7 फीसदी और जुलाई में खुदरा महंगाई दर 6.71 फीसदी रही थी। भारत में खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर 7.41% हो गई जो लगातार नौवें महीने भारतीय रिजर्व बैंक की लिमिट से ज्यादा है।
बता दें कि आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर का अनुमान 6.7 फीसदी पर रखा है। नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि खुदरा मुद्रास्फीति तीन तिमाहियों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है, जिसका अर्थ है कि उसे सरकार को रिपोर्ट करना होगा कि वह लक्ष्य को पूरा करने में विफल क्यों रही और वह क्या कार्रवाई करेगी।
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सितंबर में वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति अर्थशास्त्रियों के रॉयटर्स पोल में 7.3% पूर्वानुमान से अधिक थी, और पिछले महीने 7% से ऊपर। सितंबर महीने में शहरी और ग्रामीण दोनों ही इलाकों में खुदरा महंगाई दर में भारी उछाल देखने को मिला है। शहरी इलाकों में खुदरा महंगाई दर 7.27 फीसदी रहा है जो अगस्त में 6.72 फीसदी था जबकि ग्रामीण इलाकों में खुदरा महंगाई दर 7.56 फीसदी रहा है जो अगस्त में 7.15 फीसदी रहा था। शहरी इलाकों में खाद्य महंगाई दर 8.65 फीसदी रहा है जो अगस्त में 7.55 फीसदी रहा था। जबकि ग्रामीण इलाकों में महंगाई गर सितंबर महीने में 8.53 फीसदी रहा है जो अगस्त में 7.60 फीसदी रहा था।
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अर्थशास्त्रियों ने कहा कि आरबीआई के एमपीसी ने मई के बाद से दरों में 190 आधार अंकों की वृद्धि की है, और व्यापक रूप से 5-7 दिसंबर से अपनी अगली बैठक में दरों में कम से कम 25 बीपीएस की वृद्धि की उम्मीद है। इस साल डॉलर के मुकाबले भारत के रुपये के 10% से अधिक मूल्यह्रास ने उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए आयात महंगा कर दिया है। सितंबर में ईंधन और बिजली की कीमतों में साल-दर-साल 11.44% की वृद्धि हुई, जबकि पिछले महीने इसमें 10.78% की वृद्धि हुई थी, जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है।
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