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कच्चा तेल अर्श से फर्श पर, फिर भी कम नहीं हो रहे पेट्रोल-डीजल के दाम, मनमोहन सरकार में कैसे थे हाल?

पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कमी की कोई उम्मीद दिखाई नहीं दे रही है, जबकि कच्चा तेल लगातार सस्ता हो रहा है। क्रूड ऑयल की कीमतों में नरमी से कंपनियों की लागत कम होती है, लेकिन इसके बावजूद वे घरेलू स्तर पर इसका फायदा आम जनता को देने के मूड में बिल्कुल नहीं हैं।

Author Edited By : Neeraj Updated: Apr 9, 2025 15:53

अमेरिका और चीन के बीच छिड़ी टैरिफ जंग से कच्चे तेल की कीमतें काफी नीचे पहुंच गई हैं। ब्रेंट क्रूड ऑयल 60 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया है, जबकि अगस्त 2024 तक यह 80 डॉलर के आसपास बना हुआ था। इस साल जब डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ का ऐलान किया तब इसकी कीमत 70 डॉलर के नीचे पहुंच गई और अब यह उससे भी नीचे आ गया है। ऐसे में यह सवाल लाजमी हो गया है कि क्या अब जनता की सस्ते पेट्रोल-डीजल की मांग पूरी होगी?

तब दिया था ऊंची कीमतों का हवाला

पेट्रोल-डीजल के दाम जब लगभग हर रोज बढ़ाए जा रहे थे, तब केंद्र सरकार और ऑयल मार्केटिंग कंपनियों का तर्क था कि वैश्विक स्तर पर कच्चा तेल महंगा हो रहा है और इस वजह से मजबूरन घरेलू स्तर पर दाम बढ़ाने पड़ रहे हैं। अब जब ऐसा कुछ नहीं है, तो क्या कंपनियां आम जनता को राहत देंगी? बीच में कई बार ऐसी खबरें आईं कि पेट्रोल -डीजल सस्ता हो सकता है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब कच्चा तेल लगातार सस्ता हो रहा है, इसलिए यह सवाल फिर से पूछा जाने लगा है कि क्रूड ऑयल की घटती कीमतों का फायदा जनता को कब मिलेगा?

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मनमोहन काल में क्या थे दाम?

यदि मनमोहन सिंह के कार्यकाल से तुलना करें, तो मौजूदा सरकार के कार्यकाल में पेट्रोल के दाम आसमान पर हैं, जबकि कच्चा तेल तब से लेकर अब तक काफी नीचे आया है। जुलाई 2008 में क्रूड ऑयल 147 डॉलर के आसपास चल रहा था और अब इसकी कीमत 60 डॉलर के करीब आ गई है। मोटे तौर पर कच्चा तेल 87 डॉलर सस्ता हुआ है, इसके बावजूद तेल कंपनियों ने घरेलू स्तर पर पेट्रोल -डीजल के दाम कम नहीं किए हैं और न ही सरकार इस दिशा में कुछ करती नजर आ रही है। 2008 में दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 50.56 रुपये और डीजल की कीमत 34.80 रुपये थी। आज राजधानी में पेट्रोल 94.77 और डीजल 87.67 रुपये पर मिल रहा है।

इस वजह से महंगा हुआ पेट्रोल

मनमोहन सरकार के दौर में कच्चा तेल रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद भी जनता को सस्ता पेट्रोल और डीजल मिल रहा था। जबकि आज जब कच्चा तेल उस ऐतिहासिक ऊंचाई से काफी नीचे आ गया है, तब पेट्रोल -डीजल उस दौर की तुलना में महंगा है। इसकी एक बड़ी वजह है सरकार द्वारा लगाया गया टैक्स। पेट्रोल-डीजल प्राइस के मुख्य कंपोनेंट होते हैं – बेस प्राइस, माल ढुलाई, डीलर का कमीशन, केंद्र सरकार का एक्साइज शुल्क और राज्य सरकार का वैट। 2008 के मुकाबले अब पेट्रोल का बेस प्राइस काफी ज्यादा है, इस वजह से उस पर वैट भी बढ़ा है। इसी तरह, मनमोहन सरकार में पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी कुल 14.35 रुपये और डीजल पर 4.65 रुपये थी। वहीं, अब सरकार पेट्रोल पर 21.90 रुपये लीटर और डीजल पर 17.80 रुपये लीटर ड्यूटी वसूल रही है।

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क्या और सस्ता होगा क्रूड ऑयल?

पिछले सप्ताह तक पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 19.90 रुपये और डीजल पर 15.80 रुपये थी, जिसमें सरकार ने 2 रुपये की बढ़ोतरी की है। इस बढ़ी हुई ड्यूटी का बोझ कंपनियों को ही उठाना होगा। वहीं, सरकार ने एलपीजी सिलेंडर के दाम सीधे 50 रुपये बढ़ाकर कंपनियों के इस बोझ को कुछ कम करने का प्रयास क्या है, लेकिन आम जनता को कच्चे तेल की घटती कीमत का फायदा पहुंचाने को लेकर वह भी खास दिलचस्पी नहीं दिखा रही है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन और अमेरिका के बीच टकराव कम होने की संभावना बेहद कम हैं, ऐसे में आने वाले दिनों में क्रूड ऑयल के दाम और गिर सकते हैं।

First published on: Apr 09, 2025 03:52 PM

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