Satellite Spectrum Allocation: मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस जियो ने भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए एक नया मोर्चा खोल दिया है। कंपनी ने सरकार से सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के लिए नीलामी आयोजित करने की मांग की है। जियो का मानना है कि इससे सैटेलाइट और टेलीकॉम नेटवर्क के बीच एक बेहतर माहौल बनेगा और यूजर्स को बेहतर सर्विस मिलेगी।
ट्राई ने नहीं दिया कोई जवाब
जियो ने सरकार को इसे लेकर एक पत्र लिखा है और कहा है कि स्टारलिंक और अमेजन कुइपर जैसी वैश्विक कंपनियां भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं शुरू करना चाहती हैं। जियो ने तर्क दिया है कि चूंकि टेलीकॉम कंपनियां स्पेक्ट्रम के लिए नीलामी में भाग लेती हैं, इसलिए सैटेलाइट सर्विस के लिए भी यही प्रोसेस अपनाया जाना चाहिए। कंपनी ने ट्राई यानी टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया से इस संबंध में कई बार कांटेक्ट किया है, लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
कंपनियों को बराबर मौका देने की मांग
जियो ने सरकार से ट्राई को निर्देश देने का अनुरोध किया है कि वह अपने कंसल्टेशन पेपर में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए क्लियर और ट्रांसपेरेंट पॉलिसी तैयार करे। वहीं, कंपनी ने ट्राई के मौजूदा “पहले आओ पहले पाओ” के आधार पर स्पेक्ट्रम आवंटन करने के तरीके की आलोचना की है। जियो का कहना है कि यह तरीका सही नहीं है और सभी कंपनियों को बराबर मौका नहीं देता है।
ये भी पढ़ें : iPhone 15 की लागत जानकर चौंक जाएंगे, जानें एक फोन बेचने पर Apple को कितना होता है फायदा
जियो ने क्या कहा
इस पर जियो ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह सरकार से चाहता है कि ट्राई स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए ऐसी नीतियां बनाए जो दूरसंचार अधिनियम और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप हों। कंपनी का मानना है कि स्पेक्ट्रम आवंटन का प्रोसेस निष्पक्ष, ट्रांसपेरेंट और कॉम्पिटिटिव होना चाहिए।
ये एक नए युग की शुरुआत?
जियो की यह मांग भारत में इंटरनेट बाजार में एक नए युग की शुरुआत का संकेत देती है। सैटेलाइट इंटरनेट से दूरदराज के इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी बढ़ सकती है और उपभोक्ताओं को और ज्यादा ऑप्शंस मिल सकते हैं। आने वाले समय में इस मामले पर सरकार और ट्राई का फैसला महत्वपूर्ण होगा। यह फैसला भारत में इंटरनेट बाजार के भविष्य को आकार दे सकता है। अगर जियो भी सैटेलाइट इंटरनेट लाता है तो ये सीधे Elon Musk के Starlink को टक्कर देगा।