International Organization For Mediation: वैश्विक स्तर पर अपनी साख और ताकत बढ़ाने के लिए अमेरिका और चीन में हमेशा से ही प्रतिद्वंद्विता चलती रही है। यही वजह है कि विश्व की ये दो बड़ी शक्तियां हमेशा एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ में रहती हैं। भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव हो या फिर रूस-यूक्रेन के बीच…अमेरिका ने हर बार क्रेडिट लेने और मध्यस्थता का दिखावा करने का कोई मौका नहीं छोड़ा है। दुनिया के कई देशों के बीच अमेरिका और चीन के संबंध काफी जुदा रहते हैं। अब जब वैश्विक स्तर पर कई देशों के बीच तनाव देखने को मिल रहा है, ऐसे में चीन भी ‘नेतागिरी’ करने और दो देशों के बीच मध्यस्थता करवाकर क्रेडिट लेने में आगे रहना चाहता है। यही वजह है कि चीन ने यूनाइटेड नेशंस का विकल्प तैयार कर लिया है। उसने 33 देशों के साथ मिलकर एक नए ग्रुप का गठन किया है। जिसे ‘इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर मीडिएशन’ नाम दिया गया है। इस ग्रुप का क्या काम होगा और चीन ने यूएन का विकल्प क्यों तैयार किया है, आइए जानते हैं…
पाकिस्तान भी शामिल
चीन के नेतृत्व में बनाए गए वैश्विक मध्यस्थता समूह में पाकिस्तान, इंडोनेशिया, बेलारूस जैसे देशों के अलावा दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों के संगठन (ASEAN) में मौजूद कई देश शामिल हैं। क्यूबा और जिम्बाब्वे भी इसमें शामिल हैं। इन देशों के प्रतिनिधियों ने हांगकांग में चार्टर पर दस्तखत किए हैं। अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता संगठन (आईओमेड) की स्थापना हांगकांग में एक सम्मेलन में की गई। जिसमें 85 देशों के अलावा 20 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लगभग 400 उच्च-स्तरीय प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। जिसकी अध्यक्षता चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने की। इस ग्रुप का काम जंग के हालातों में मध्यस्थता की कोशिश करना होगा। संगठन का मुख्यालय हांगकांग में होगा।
Mediation promotes peace. 🕊
The establishment of International Organization for Mediation (IOMed) in Hong Kong, China will provide a fresh, complementary approach to resolving international disputes—offering humanity a new path toward harmonious relations. pic.twitter.com/7aPeEPE2ZM
---विज्ञापन---— Mao Ning 毛宁 (@SpoxCHN_MaoNing) May 30, 2025
यूनाइटेड नेशंस का स्थायी सदस्य है चीन
चीन यूनाइटेड नेशंस (UN) का हिस्सा है। वह यहां 5 स्थायी सदस्यों में शामिल है। चीन के अलावा फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका इसके परमानेंट मेंबर हैं। इन देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत स्थायी सीट दी गई है। खास बात यह है कि इन देशों के पास सुरक्षा परिषद में किसी भी प्रस्ताव को वीटो करने का अधिकार होता है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के 193 सदस्य देश हैं। भारत इसका सदस्य देश है। यूएन की स्थापना अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा, विभिन्न देशों के बीच सहयोग और मानव अधिकारों की रक्षा करने के उद्देश्य से की गई थी।
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दुनियाभर के देशों के लिए चौधरी बनना चाह रहा है चीन
दरअसल, चीन और अमेरिका के बीच संयुक्त राष्ट्र में कई बार विभिन्न मुद्दों पर मतभेद देखने को मिले हैं। चीन कई बार अमेरिका की अंतर्राष्ट्रीय नेतृत्व भूमिका को लेकर चिंता जता चुका है, तो वहीं अमेरिका को चीन की बढ़ती वित्तीय भूमिका को लेकर हमेशा टेंशन रही है। दोनों देशों के बीच व्यापार, सुरक्षा और टेक्नोलॉजी को लेकर हमेशा प्रतिद्वंद्विता रही है। अब नया ग्रुप बनाकर चीन सभी का लीडर बनना चाह रहा है। वह चाहता है कि वैश्विक स्तर पर उसका प्रभाव बढ़े। कई देशों के बीच मध्यस्थता करवाकर अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर क्रेडिट ले सके। चीन कई देशों पर अपना प्रभाव जमाना चाहता है। चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। ऐसे में वह अमेरिका से आगे निकलकर वैश्विक शासन में अधिक मुखर भूमिका निभाना चाहता है। बताते चलें कि अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। उसकी इकोनॉमी 30.51 ट्रिलियन डॉलर की है, जबकि चीन का स्थान दूसरा है। उसके पास 19.23 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी है।
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