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Explained: नेपाल में नई सरकार के बाद लोकतंत्र की नई लहर या गहराया संकट? Gen Z प्रोटेस्ट के बाद उपजी ये 5 चुनौतियां

Nepal new government challenges: नेपाल की नई सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती देश में आर्थिक मंदी की है. देश को आर्थिक संकट से निकालना चुनौतीपूर्ण होगा. यहां युवाओं के पास रोजगार नहीं है. वहीं, अंतरिम सरकार के पास सीमित अधिकार होते हैं. ऐसे में यहां संवैधानिक उलझनें पैदा हो सकती हैं. अगले चुनाव छह महीने में कराने होंगे वहीं इसी बीच फिर आंदोलन होने का डर भी बना हुआ है.

Author Written By: Amit Kasana Author Published By : Amit Kasana Updated: Sep 13, 2025 09:04
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नेपाल हिंसा के बाद क्या चुनौतियां

Nepal new government challenges: नेपाल की नई अंतरिम सरकार बन चुकी है, सुशीला कार्की के नेतृत्व में बनी इस नई सरकार के सामने फिलहाल कई चुनौतियां हैं. Gen Z प्रोटेस्ट के बाद बनी इस नई सरकार से नेपाल में लोकतंत्र की नई लहर आएगी या राजनीतिक संकट और गहराएगा ये बात आने वाला वक्त ही बताएगा? लेकिन अभी नई सरकार के सामने आर्थिक मंदी और भ्रष्टाचार समेत कई मुंह बाए खड़ी हैं.

राजनीतिक जानकारों की मानें तो अभी लोगों को अंतरिम सरकार से काफी उम्मीदें हैं. यदि ये सरकार सफल रही तो नेपाल में लोकतंत्र की नई लहर आएगी और फिर आने वाली सरकारों में इसका असर भी दिखाई पड़ेगा. लेकिन हिंसा से उपजी नई सरकार कहीं असफल रही तो इससे देश आर्थिक मंदी की तरफ चला जाएगा. बता दें ये पहली बार है जब नेपाल में कोई महिला प्रधानमंत्री बनने जा रही है.

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Gen Z को नई सरकार से हैं कई उम्मीदें

नेपाल के इतिहास में वैसे तो 2008 के बाद कोई सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी है. बीते 17 सालों में 13 बार देश में अलग-अलग सरकारें बनी लेकिन कोई भी पार्टी सरकार में अपने 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी. अब वर्तमान की बात करें तो नेपाल की हिंसा में अभी तक 51 लोगों की मौत हो चुकी है.

ये भी पढ़ें: शिवपुरी ही क्यों बना केपी शर्मा ओली का ‘Safe House’, खतरे के समय किन-किन राजनीतिक हस्तियों का रह चुका है ‘ठिकाना’

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पूर्व प्रधानमंत्री समेत कई दिग्गज नेताओं के समक्ष राजनीतिक संकट गहराया

इस हिंसा में प्रदर्शनकारियों ने पूर्व प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली का घर और उनकी पार्टी सीपीएन-यूएमएल का हेडक्वार्टर जला दिया. इसके अलावा करप्शन की जांच के चलते ओली का राजनीतिक सफर खतरे में है. वहीं, नेपाली कांग्रेस के शेर बहादुर देउबा का राजनीतिक सफर खत्म होता दिख रहा है. उनके आवास पर हमले ने उनकी छवि को धूमिल कर दिया है. इसी तरह पुष्प कमल दाहाल (प्रचंड) की सीपीएन-एमसी को युवाओं का साथ खोना पड़ सकता है. युवाओं ने इस आंदोलन में उनके खिलाफ मोर्चा खोल रखा है.

युवाओं के पास नहीं है रोजगार, कुछ दिन शांत रहकर फिर उभर सकता है आंदोलन

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नेपाल की नई सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती देश में आर्थिक मंदी की है. देश को आर्थिक संकट से निकालना चुनौतीपूर्ण होगा. यहां युवाओं के पास रोजगार नहीं है. वहीं, अंतरिम सरकार के पास सीमित अधिकार होते हैं. ऐसे में यहां संवैधानिक उलझनें पैदा हो सकती हैं. अगले चुनाव छह महीने में कराने होंगे वहीं इसी बीच फिर आंदोलन होने का डर भी बना हुआ है.

सेना हटने के बाद सुरक्षा व्यवस्था बहाली और पूर्व सरकार के मंत्रियों की जांच

नेपाल में हालिया विरोध-प्रदर्शन में भ्रष्टाचार एक बड़ा मुद्दा बनकर सामने आया है. पूर्व सरकार के मंत्रियों की अवैध संपत्ति की जांच और नई सरकार को स्वतंत्र जांच करने का अधिकार एक चुनौती होगी. फिलहाल देश में सेना तैनात है, जगह-जगह बख्तरबंद वाहन खड़े हैं. लेकिन सेना के हटने के बाद सुरक्षा व्यवस्था बहाली सरकार के लिए बड़ा टास्क होगा. इस सब के बीच देश की राजनीति में क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखना एक नई परेशानी बनकर सामने आ सकती है.

ये भी पढ़ें: Explained: नेपाल में 17 साल में 13 बार बनी सरकार, किसी का भी पूरा नहीं हुआ कार्यकाल, 2 बार सेना को संभालना पड़ा मोर्चा

First published on: Sep 13, 2025 08:19 AM

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