Assembly Elections 2023: 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भारी जीत के बाद अब पार्टियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने किए वादों को पूरा करने की होगी। सभी दलों ने मतदाताओं को लुभाने के लिए लोकलुभावन वादे कर दिए। लेकिन इन्हें पूरा कर पाना इतना आसान नहीं होगा। पार्टियों को चुनावी वादों से राज्य सरकार पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। अब सवाल है कि पैसा कहां से आएगा। चुनावों में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बीजेपी को जीत मिली है। वहीं तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार बनेगी, जबकि मिजोरम में ZPM को बहुमत मिला है।
राजस्थान
भाजपा ने अपने घोषणापत्र में उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को प्रति एलपीजी सिलेंडर 450 रुपये की सब्सिडी, 2.5 लाख सरकारी नौकरियां और पीएम-किसान योजना के तहत किसानों को वित्तीय सहायता बढ़ाने का वादा किया था। लड़कियों और महिलाओं के लिए हर जिले में एक ‘महिला थाना’ बनाने की बात कही गई थी। साथ ही यह भी कहा गया था कि हर पुलिस स्टेशन में ‘महिला डेस्क’ बनाया जाएगा। न्यूज़लॉन्ड्री ने कहा कि बीजेपी की ग्रामीण गारंटी से सरकारी खजाने पर 9,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।
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मध्य प्रदेश
एमपी में बीजेपी ने गेहूं के लिए 2,700 रुपये प्रति क्विंटल और धान के लिए 3,100 रुपये एमएसपी देने का वादा किया था। ‘लाडली बहना’ के लाभार्थियों के लिए घर का भी वादा किया गया। यह भी कहा गया था कि गरीब परिवारों की लड़कियों को स्नातकोत्तर तक मुफ्त शिक्षा, 12वीं कक्षा तक गरीब छात्रों को मुफ्त शिक्षा और लाडली बहना और ‘पीएम उज्ज्वला’ योजना के लाभार्थियों को 450 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर देगी। न्यूजलॉन्ड्री के मुताबिक शिवराज सिंह चौहान सरकार ने अकेले कृषि योजनाओं पर 56,000 रुपये खर्च करने की कसम खाई है।
छत्तीसगढ़
भाजपा ने अपने घोषणापत्र में किसानों से 3,100 रुपये प्रति क्विंटल की दर से 21 क्विंटल प्रति एकड़ धान खरीदने की बात कही थी। गरीब परिवारों को 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर देने का भी वादा किया गया। न्यूज़लॉन्ड्री ने अनुमान लगाया कि भाजपा के चुनावी वादों से राज्य को 38,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
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