Vidhu Vinod Chopra Birthday special: बॉलीवुड की चमक-दमक के बीच कुछ ऐसे नाम हैं जो सिर्फ फिल्मों के लिए जीते हैं। विधु विनोद चोपड़ा ऐसा ही एक नाम है। कभी परिवार के खिलाफ जाकर, तो कभी रिश्तों में उतार-चढ़ाव झेलते हुए, उन्होंने सिनेमा को 45 साल से ज्यादा दिए और आज भी उनका काम नई पीढ़ी के लिए मिसाल है।
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बचपन और पिता का विरोध
विधु विनोद चोपड़ा का फिल्ममेकर बनने का सपना आसान नहीं था। जब उन्होंने पिता से कहा कि वो डायरेक्टर बनना चाहते हैं, तो उन्हें साफ मना कर दिया गया। उनके पिता का कहना था कि “बॉम्बे जाकर भूखा मर जाएगा।” यहां तक कि एक बार उन्होंने विधु को थप्पड़ भी मारा। लेकिन विधु ने हार नहीं मानी और फिल्मों की ओर बढ़ते चले गए।
तीन शादियों का किस्सा
विधु विनोद चोपड़ा की निजी जिंदगी भी काफी चर्चा में रही। उन्होंने तीन बार शादी की। उनकी पहली पत्नी थीं एडिटर रेनू सलूजा, जो खुद एक टैलेंटेड फिल्म एडिटर थीं। इसके बाद विधु ने शबनम सुखदेव से शादी की, लेकिन ये रिश्ता भी ज्यादा नहीं चला। उनकी तीसरी और मौजूदा पत्नी हैं फिल्म समीक्षक और लेखिका अनुपमा चोपड़ा। अनुपमा और विधु का रिश्ता आज भी मजबूत है और दोनों साथ में काम भी करते हैं।

करियर की शुरुआत और 45 साल का सफर
विधु ने 1970 के दशक में अपने करियर की शुरुआत की। उनका पहला बड़ा काम शत्रु और ‘खामोश’ जैसी फिल्में रहीं, जिनसे उनकी अलग पहचान बनी। लेकिन असली शोहरत उन्हें ‘परिंदा’, ‘1942: अ लव स्टोरी’, ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’, ‘लगे रहो मुन्ना भाई’ और ‘3 इडियट्स’ जैसी फिल्मों से मिली। उन्होंने न सिर्फ फिल्मों का निर्देशन किया, बल्कि बतौर प्रोड्यूसर भी कई बड़े प्रोजेक्ट्स को नई ऊंचाई दी। 47 साल का यह सफर हिंदी सिनेमा में उनके योगदान को बेहद खास बनाता है।
सिनेमा के लिए प्यार
12 फेल जैसी मास्टरपीस फिल्म के डायरेक्टर विधु उन डायरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स में गिने जाते हैं, जिन्होंने हमेशा क्वालिटी सिनेमा पर ध्यान दिया। उन्होंने कभी सिर्फ पैसे कमाने के लिए फिल्में नहीं बनाईं। ‘3 इडियट्स’ और ‘12 फेल’ जैसी फिल्में इसका उदाहरण हैं, जिन्होंने समाज को सोचने पर मजबूर किया। उनका मानना है कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि सीख और बदलाव का जरिया भी है।
आज भी इंडस्ट्री का अहम हिस्सा
45 साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी विधु इंडस्ट्री का अहम हिस्सा हैं। उनकी कहानियां, उनकी सोच और उनकी मेहनत आज भी फिल्ममेकर्स और ऑडियंस दोनों को इंस्पायर करती हैं। उनकी लाइफ इस बात का सबूत है कि अगर सपनों के पीछे मेहनत से भागा जाए, तो कोई भी मंजिल नामुमकिन नहीं।
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