Avnish By Gadar 2 Review: दर्शक लंबे समय से सनी देओल (Sunny Deol) और अमीषा पटेल (Ameesha Patel) की फिल्म ‘गदर 2’ (Gadar 2) का वेट कर रहे थे, जो आज खत्म हो चुका है। 22 साल बाद फिल्म आज (11 अगस्त) रिलीज़ हो गई है और इससे पहले कि फिल्म कैसी है ये आप जाने, आपको ये जानना चाहिए कि इस फिल्म के लिए दीवानगी कैसी है? पहले दिन का शो देखने के लिए गदर के फैंस ने छुट्टियां ले ली हैं। सनी देओल (Sunny Deol Gadar 2) के चाहने वाले नाइट शिफ्ट करने के बाद नींद लेने की जगह मल्टीप्लेक्सेज़ में भर-भर के आ रहे हैं। गदर के पोस्टर के साथ तस्वीरें खिंचवाने का सिलसिला देशभर के थियेटर में जारी है।
फिल्म की एडवांस ओपनिंग (Gadar 2 Opening) ने रिकॉर्ड तोड़ रखा है और ये सब तब है जब देश के तमाम क्रिटिक्स ने 22 साल पहले ‘गदर’ को ‘गटर’ बताया था, लेकिन फिल्म ब्लाकबस्टर साबित हुई। इस बार भी ‘गदर’ पर स्टार्स की बारिश नहीं होने वाली, लेकिन प्यार की बारिश से ‘गदर 2’ हो रहा है।
View this post on Instagram---विज्ञापन---
यह भी पढ़ें: सच्ची है Gadar 2 के ‘तारा सिंह’ की प्रेम कहानी, असल जिंदगी में बूटा सिंह को मिला धोखा; जानें कौन हैं ये शख्सियत?
22 साल बाद तारा सिंह की हुई वापसी
‘गदर 2’ के तारा सिंह एक बार फिर वापस आ गया है। कहानी 22 साल आगे खिसक कर 1971 में आ पहुंची है। तारा और सकीना प्यार से एक दूसरे के साथ रहते हैं। उनका बेटे जीता (Utkarsh Sharma) का दिल पढ़ाई में कम और एक्टिंग में ज़्यादा लगता है। वो मुंबई जाकर हीरो बनना चाहता है, लेकिन तारा सिंह चाहता है कि जीता पढ़ाई में दिल लगाए, जिससे उसकी तरह ट्रक ड्राइवर बनने की जगह, आर्मी ऑफिसर बने।
मगर जीते की ज़िद के आगे तारा और सकीना हार जाते हैं। उसे जन्मदिन पर बाइक दिलाते हैं। दूसरी ओर बॉर्डर पर हालात ख़राब हो रहे हैं। पाकिस्तान में हिंदुस्तान के ख़िलाफ़ क्रश इंडिया मोमेंट चल रहा है। तारा की दी चोट, पाकिस्तान अब तक नहीं भूला है। सकीना के अब्बू अशरफ़ अली को फांसी दी जा चुकी है और पाकिस्तान की आर्मी का मेजर जनरल हामिद इकबाल (Manish Wadhwa) किसी भी हालात में तारा से बदला लेना चाहता है।
ऐसी ही फिल्म की कहानी
हिंदुस्तान से नफरत के लिए हामिद इक़बाल की अपनी वजहे हैं। पहले आधे घंटे तक फिल्म आपको बोर करती है। थियेटर खाली रहता है बस ‘मैं निकला गड्डी लेकर’ गाने को लेकर, लोगों को थोड़ी एक्साइटमेंट आती है। कहानी करवट लेती है। जब बॉर्डर पर पाकिस्तान से मुठभेड़ के दौरान ल्यूटिनेंट कर्नल तारा सिंह, हिंदुस्तानी आर्मी तक हथियारों को पहुंचाने के लिए तारा सिंह की मदद मांगता है।
पिता को बचाने पाकिस्तान जाता है जीते
तारा मदद तो करता है। पाकिस्तानी आर्मी को खदेड़ देता है, लेकिन इस मुठभेड़ में वो गायब हो जाता है। सकीना और जीता, तारा सिंह की गुमशुदगी से बेचैन हो उठते हैं। ऐसे में जीता, फिर ज़िद पर अड़ता है फर्ज़ी पासपोर्ट से तारा सिंह को वापस भारत लाने पाकिस्तान पहुंच जाता है। यहां नकली पहचान से जीते की मुस्कान से प्रेम कहानी शुरु होती है, लेकिन जेल पहुंचकर जीते को पता चलता है कि तारा को पाकिस्तानी आर्मी पकड़ ही नहीं पाई।
कहानी में अचानक आता है ट्विस्ट
कहानी में ट्विस्ट और अब तारा को अपने बेटे को बचाने के लिए एक बार फिर पाकिस्तान जाना है। पूरी मिलिट्री से भिड़ना है। देश भक्ति के नारे लगाने हैं। फिल्म की कहानी में उतने ही झोल है, जितने फर्स्ट पार्ट में थे। मतलब आप लॉजिक निकालकर तो दिखाइए तो आपको भारत रत्न से नवाज़ा जाएगा, लेकिन तारा सिंह की देश भक्ति और हीरोगिरी पर कभी शक नहीं करना चाहिए। डायरेक्टर अनिल शर्मा ने दर्शकों के सामने सनी देओल को अलग अंदाज में पेशा किया।
फिल्म बार-बार फ्लैश में जाती है
‘गदर 2’ बार-बार फ्लैश बैक में जाी है। आपको वो नॉस्टाल्जिया फील कराने की कोशिश करती है, जो आपने 22 साल पहले महसूस किया था। फिल्म के दो ही गाने आपको फिल्म के बाद याद रहते हैं ‘घर आजा परदेसी’ और ‘मैं निकला गड्डी लेकर’ लेकिन बस इतना ही काफ़ी है। 2 घंटे 50 मिनट की गदर आपको पूरा एंटरटेन करती है। ‘हिंदुस्तान ज़िंदाबाद’ वाली फीलिंग से भर देती है।
कैसा है फिल्म का एक्शन?
वहीं अगर फिल्म में दिखाए गए एक्शन की बात करें तो, सनी देओल की चीख ही, आपका जोश बढ़ाने के लिए काफ़ी है। बाकि वो जब तारा के हैंडपप उखाड़ने से पहले ही पाकिस्तान में भगदड़ मच जाती है। बिजली का खंभा उखाड़कर, तारा सिंह पूरी पाकिस्तानी आर्मी के टैंकर उड़ा देता है। ‘गदर 2’ (Gadar 2 Review) थियेटर में व्हॉट ए मूवी कहने वालों की फिल्म नहीं है। ये फिल्म मास की है। छोटे सेंटर्स पर ऐसा धमाका करने वाली है कि इसके स्टार्स मायने नहीं रखते। हमारी और से इस फिल्म को 5/3 स्टार मिलते हैं।