सोनाली भदौरिया: करण जौहर की फिल्म रॉकी और रानी की प्रेम कहानी (RARKPK Review) रिलीज हो गई है। इस फिल्म का इंतजार खास तीन वजहों से था। पहला रणवीर सिंह का कमबैक- 83, जयेशभाई जोरदार और फिर सर्कस की लुटिया डूबने के बाद रणवीर को बस धर्मा की इस बिग फिल्म का ही सहारा था।
दूसरा फिल्ममेकर करण जौहर भी इस फिल्म से कमबैक कर रहे हैं। ए दिल है मुश्किल के 7 साल बाद करण डायरेक्शन की कमान संभाल रहे हैं। तीसरा बड़े पर्दे पर पड़े सूखे को मिटाने के लिए एक बड़ी फिल्म की ज़रूरत।
यह भी पढ़ें- 25 कमरों की आलीशान हवेली में रहते थे फिल्म इंडस्ट्री के ‘भगवान’, लेकिन आखिरी वक्त चॉल में बीता, जानें क्यों?
मल्टीस्टारर और रॉमकॉम ड्रामा है ‘Rocky Aur Rani Kii Prem Kahani’
रॉकी और रानी की प्रेम कहानी मल्टीस्टारर और रॉमकॉम ड्रामा है। ह्यूज बजट के साथ बनी धर्मा प्रोडक्शन की फिल्म है जिससे उम्मीदें भी ज्यादा हैं और करण इन उम्मीदों पर खरे उतरते हैं और रणवीर के करियर को फिर उड़ान देते हैं, लेकिन कुछ कमियों के साथ…
कहानी
रॉकी और रानी की प्रेम कहानी दो परिवारों की कहानी है। एक तरफ है रंधावा और दूसरी तरफ चैटर्जीज। आलिया भट्ट यानी की रानी चटर्जी पढ़ी-लिखी बंगाली लड़की हैं, जो अपनी आइडियोलॉजी को खुलकर सामने रखती है।
धनलक्ष्मी स्वीट्स के एक लौते वारिस हैं रॉकी रंधावा
वहीं रणवीर सिंह मतलब रॉकी रंधावा धनलक्ष्मी स्वीट्स के एक लौते वारिस हैं, जिनके घर में बहुएं पर्दे में रहती हैं और मर्द कमाते हैं। समः लीजिए कि वो घर नहीं महल में रहते हैं। फिल्म की शुरुआत होती है रणवीर सिंह के एंट्री सॉन्ग से जिसकी उन्हें सख्त जरूरत थी।
धनलक्ष्मी को नहीं पसंद नाच गाना
व्हाट ए हार्टथ्रॉब जी… जिसमें अनन्या, सारा, जाह्नवी और वरुण धवन करण जौहर के सभी शागिर्द कैमियो करते दिखेंगे, लेकिन रॉकी की दादी धनलक्ष्मी बनीं जया बच्चन को लड़के का नाच गाना पसंद नहीं ये भी समझ आ जाता है। पता चलता है कि रॉकी के दादी कंवल लुंड यानी के धर्म पाजी जो अपनी याददाश्त खो चुके हैं, वो जामिनी को पुकारते हैं।
एक और अधूरी प्रेम कहानी
सालों बाद किसी का नाम सुनकर रॉकी उन्हें ढूंढने लगते हैं और मजा तब आता है जब पता चलता है कि रानी की दादी शबाना आजमी ही जामिनी हैं, यानी कि ये कहानी रॉकी रानी की प्रेम कहानी तो है लेकिन इस कहानी में एक और अधूरी प्रेम कहानी है कंवल और जामिनी की।
रॉकी और रानी की कोशिशें
धनलक्ष्मी व्यापार में डूबी है अपने बेटे को उसके पिता से दूर रखती है क्योंकि वो कहीं उनकी तरह शायर ना बन जाए। वहीं कंवल को सब याद आ जाए इसके लिए रॉकी और रानी की कोशिशें उन्हें करीब लाती हैं।
परफॉर्मेंस
रणवीर सिंह से शुरुआत करते हैं। आप उन्हें स्टैंडिंग ओवेशन दे सकते हैं रणवीर बॉलीवुड के रॉकी भाई हैं। उनकी परफेक्ट बॉडी हो, डांस सीक्वेंस हो, उनका दिल्ली वाला स्वैग हो, मस्तमौला अंदाज हो या फिर बच्चों जैसा उनका रोना हो, रणवीर दिल छू लेते हैं। पहले लगा था कि बैक टू बैक हिट देने वाली आलिया उन्हें कहीं खा जाएंगी लेकिन मिस्टर सिंह इज पावरफुल.. बल्कि रणवीर अपनी एक छाप आप पर छोड़ जाएंगे।
आलिया के लुक्स बने सेंटर ऑफ अट्रैक्शन
फिल्म में आलिया के लुक्स फिल्म का सेंटर ऑफ अट्रैक्शन हैं। मनीष मल्होत्रा की शिफॉन साड़ी में बंगाली बोलती आलिया जंचती हैं। भले ही रणवीर-आलिया लीड स्टार्स हैं लेकिन कहानी की जान हैं धर्मेंद्र- आपको उन्हें बार बार स्क्रीन पर देख कर प्यार आएगा।
धर्मेंद्र ने भी जाता दिल
धर्मेंद्र ने दिल जीत लिए हैं… शबाना और जया अपने किरदारों में बेस्ट हैं, शबाना की बंगाली तो अच्छी लगती है लेकिन जया की अगर पंजाबी को नजर अंदाज कर दें तो अच्छा रहेगा। कैसे लेजेंड्री एक्टर फिल्म को और खास बना देते हैं उसका पक्का सबूत ये फिल्म है। एक और शख्स जिसकी तारीफ बनती है वो हैं तोटा रॉय चौधरी।
म्यूजिक
फिल्म का म्यूजिक अच्छा है, लेकिन बहुत अच्छा नहीं। गाने और बेहतर हो सकते थे, जो जुबान पर चढ़ जाते क्योंकि करण की फिल्म से ये उम्मीद भी तो रहती ही है ना। हां फिल्म का लास्ट सॉन्ग गुड़माई के दिन आ गए शादी के लिए एक नया ट्रैक जरूर हो सकता है।
सिनेमेटोग्राफी
करण जौहर ने ये प्रूफ कर दिया है कि वो 7 साल हो या फिर 70 बाद डायरेक्शन की कमान संभाले अपने काम में करण माहिर हैं। के3जी की झलक दिखाती हुई इस फिल्म में इमोशंस भी हैं, कॉमेडी भी और ड्रामा भी। करण ने सब कुछ बटोर कर कहानी को समेटे है।
जनरेशन गैप को दिखाते हुए दो अलग अलग एरा के लव को भी मिस्टर जौहर ने बारीकी से परोसा है। वक्त के साथ बदलाव कितना जरूरी है ये करण ने बखूबी समझा है तभी उन्होंने इस बदलाव को कहानी में दिखाने की कोशिश भी की है।
स्क्रीन प्ले
सब कुछ अच्छा होने के बावजूद फिल्म का स्क्रीनप्ले थोड़ा स्लो है। फर्स्ट हाफ लंबा लगता है, रॉकी और रानी को एक दूसरे से प्यार कैसे और कब हो जाता है ये बहुत क्युइक है। कहानी में गानों का ज़्यादा यूज भी खलता है। बाकी 168 मिनट की जगह फिल्म अगर 150 मिनट की होती तो बेहतर रहता।
फिल्म को 4 स्टार
रॉकी और रानी की प्रेम कहानी में स्टीरियोटाइप को तोड़ा गया है। आज के दौर को दिखाया गया है कि एक अच्छी परफेक्ट कास्टिंग हैं। अगर फर्स्ट हाफ थोड़ा पेस पकड़े हुए रहता तो फिल्म पर से निगाहें हटाने का मौका ना मिलता। इस फिल्म को 4 स्टार।