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KBC 16: अजमल कसाब को पहचानने वाली ‘देविका’ कौन? जिसे आतंकवादी ने मारी थी गोली

KBC 16:  कौन बनेगा करोड़पति 16 में 26/11 आतंकी हमले में शहीद हुए नायकों को श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान वो लड़की भी आई जिसने अजमल कसाब को कोर्ट में जाकर पहचाना। जानते हैं कौन है वो? 

Edited By : Hema Sharma | Updated: Nov 27, 2024 11:40
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KBC 16: बॉलीवुड सुपरस्टार अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) का ज्ञान दार, शानदार शो ‘कौन बनेगा करोड़पति 16’ (kaun banega crorepati 16) का हालिया एपिसोड बहुत ही खास रहा। इसमें 26/11 मुंबई (26/11 attack) के फ्रंटलाइन  विश्वास नांगरे पाटिल (Vishwas Nangre Patil) , अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, महाराष्ट्र और संजय गोविलकर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक आए। उन्होंने उस रात के बारे में बात की जिससे पूरी मुंबई दहल गई थी। संजय गोविलकर ने उस लड़की के बारे में बताया जो एक 9 साल की आम बालिका थी। जिसे गोली लगी लेकिन उसने फिर भी अपनी बहादुरी का परिचय दिया। आइए जान लेते हैं उस लड़की के बारे में कि कौन है वो जिसने अजमल कसाब को कोर्ट में जाकर पहचाना?

कौन हैं देविका?

संजय गोविलकर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जो 26/11 मुंबई अटैक के फ्रंटलाइन नायक हैं ने बीते दिन बिग बी के शो केबीसी 16 में उस भयानक रात के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि कैसे उस रात लोगों को मारा जा रहा था। संजय ने ऑडियंस में बैठी एक आम लड़की के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि उस रात जब रेलवे स्टेशन पर लोगों को गोली लगी थी तो उनमें से एक मैं भी था और एक लड़की देविका भी है जो इस समय हमारे साथ बैठी हैं। वो बोले कि मैं और देविका दोनों को गोली लगी थी और दोनों ही बच गए थे।

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देविका ने बताई उस रात की कहानी

देविका से अमिताभ बच्चन ने पूछा कि उस रात क्या हुआ था। इस पर वो बोलीं की मैं उस रात अपने पापा के साथ पूना जाने के लिए बांद्रा से सीएसटी गई थी। उस समय मेरी उम्र 9 साल 11 महीने की थी। मैं वहां खड़ी ट्रेन का इंतजार कर रही थी। उतने में ही अचानक से बम विस्फोट की आवाज आती है, लोग भागने लगते हैं और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है? किसी के हाथ पर गोली लगी किसी के पैर तो किसी के सिर पर। मैं अपने पापा के साथ भाग रही थी तो मेरे सीधे पैर पर गोली लग गई। पापा ने दोनों आतंकवादियों का चेहरा देख लिया था।

कोर्ट में की कसाब की पहचान

देविका ने बताया कि उन्होंने देखा कि कसाब अंधाधुंध फायरिंग कर रहा था। फिर 10 जून 2009 को उन्होंने और उनके पापा ने कोर्ट में कसाब को पहचाना। जब मैं कोर्ट रूम में मैं गई थी तो मैं बैसाखी से चलती थी और मेरे मन में आया कि मैं उसे इस बैसाखी से ही मार दूं। तब से मेरा सपना है कि मैं बड़ी होकर एक ऑफिसर बनूं और देश से आतंकवाद को खत्म कर दूं।

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Edited By

Hema Sharma

First published on: Nov 27, 2024 11:40 AM

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