Kantara: Chapter 1 Hindi Review (Ashwani Kumar): साल 2012 में ‘कांतारा’ के क्लाइमेक्स में जो सीन देखकर आपके होश-ओ-हवास उड़ गए थे. इस बार ‘कांतारा चैप्टर-1’ में वैसा अहसास एक नहीं कई बार होगा और क्लाइमेक्स में आपके हाथ-पैर थरथराने लगेंगे, क्योंकि ऋषभ शेट्टी ने ‘कांतारा चैप्टर-1’ से कनार्टका के जंगलों के अंदर छिप ईश्वर वन यानि कांतारा की रक्षा के लिए जो रूप लिया है, उससे सीधे ईश्वर झलकता है.
अत्याचारी राजा से शुरू हुई कहानी
फिल्म की शुरुआत कदंबा साम्राज्य के ऐसे अत्याचारी राजा से शुरु होता है, जो कांतारा के आदिवासियों को अपने महल बनाने के लिए गुलाम बनाता है और अचानक जब ईश्वर वन के मसालों को देखता है, तो वो कांतारा की ऐसी दुनिया में कदम रख देता है, जहां बुरी नीयत से साथ प्रवेश, सीधा मौत से टक्कर है. पहले 10 मिनट में ही आपको पंजुर्ली दैव का रौद्र रूप देखने को मिल जाता है और हां वहां ऋषभ शेट्टी नहीं है.
ब्रह्म राक्षस का डर
देव के इस तांडव को देखकर राजा का छोटा बेटा वहां से भागता है और पूरे जीवन तक ब्रह्म राक्षस से डर कर बिताता है, लेकिन राजा राजशेखर का बेटा कुलशेखर जब राजा बनता है, तो सत्ता और ताकत के नशे में चूर वो कांतारा को जीतने की हर मुमकिन कोशिश करता है और उसके सामने पहाड़ की तरह खड़ा होता है- शिवा के पूर्वज- बर्मे…
क्लाइमेक्स में मां चामुंडा
कांतारा की दुनिया और कंदब राज्य की दुनिया में राजकुमारी कनकवथी के चलते बर्मे का साथ तो जुड़ता है, लेकिन फिर ये कहानी ऐसा मोड़ लेती है कि आप सोच भी नहीं सकते. मां पार्वती के बनाए बगीचे- ईश्वर वन और कांतारा के लोगों को बचाने के लिए देव गुलिगा अवतार और क्लाइमेक्स में मां चामुंडा को देखकर आप कांपने लगेंगे.
‘कांतारा चैप्टर-2’ का ऐलान
ऋषभ शेट्टी को पता था कि कांतारा के बाद इसे नेशनल अवॉर्ड मिलने के बाद… लोगों की इतनी तारीफे मिलने के बाद, उनसे क्या उम्मीदें हैं? और ऋषभ ने यकीन मानिए, उन उम्मीदों से भी आगे बढ़ने का काम किया है. ये कहानी सिर्फ एक गांव, एक जंगल, एक वन की रक्षा की नहीं रह गई… बल्कि देवों की हो गई है और ऋषभ का भरोसा अपनी कहानी और प्रेजेंटेशन पर ऐसा है कि इस कहानी के खत्म होते ही उन्होंने ‘कांतारा चैप्टर-2’ का ऐलान कर दिया है.
दमदार है प्रीक्वेल
टेक्निकली, स्केल वाइज, ग्राफिक्स वाइज, कहानी के प्रेजेंटेशन और वॉर सेक्वेंस में आपको ये कांतारा का एक बेहद दमदार प्रीक्वेल देखने को मिलता है, जो पिछली फिल्म से एक्सपीरियंस और प्रेजेंटेशन के मामले में कहीं आगे है, लेकिन उसकी आत्मा वही है। कांतारा और कदंबा साम्राज्य के बीच कनेक्शन जोड़ने और राजकुमारी कनकवथी और कांतारा के रक्षक बर्म के बीच कहानी का ब्रिज जोड़ने में आपको शुरुआत में कुछ सीन हल्के लग सकते हैं, लेकिन वो इस देव और राक्षसी शक्तियों के बीच टकरार का मैदान तैयार करते हैं और इंटरवल ब्लॉक में आप चौंक जाते हैं.
कहानी में दम
सेकेंड हॉफ में सारी लोक-कथाएं, जो फर्स्ट हॉफ में मजाक में कहीं गई थीं, वो जिंदा होकर आपके सामने आ जाता है और समझ आता है कि इस कहानी में हर बात, हर किरदार का अपना एक रोल है. राइटर, डायरेक्टर, और इस कहानी के हीरो ऋषभ शेट्टी ने कांतारा चैप्टर वन में बेमिसाल काम किया है.
शानदार परफॉरमेंस
कांतारा के ईश्वर वन से लेकर कंदब साम्राज्य में बंदरगाह, महल, रथ, बाजार हर डिटेल गौर करने लायक है. अरविंद एस कश्यप की सिनेमैटोग्राफी इस फिल्म में आपको ट्रांस में लेकर जाती है और साथ में अजनीश लोकनाथ का बैकग्रांउड स्कोर कांतारा की दुनिया को और भी मिस्टीरियस बनाती है. ऋषभ शेट्टी ने एक और सोच से भी शानदार परफॉरमेंस दी है और साबित किया है कि कांतारा की सक्सेस कोई संयोग नहीं था. कनकवथी बनी रुक्मिणी वसंत का स्पेशल मेंशन किया जाना चाहिए, उनके कैरेक्टर के डायमेशन और परफॉरमेंस ने इस कहानी का ग्राफ बढ़ा दिया है.
‘कांतारा’ को 4 स्टार
गुलशन देवैया का कैरेक्टर जैसे अय्याश राजा की लाइन पर लिखा गया है, उन्होंने अच्छी परफॉरमेंस दी है लेकिन राजा राजशेखर बने जयराम ने सबको चौंका दिया है और एक शानदार परफॉरमेंस दी. दशहरे के मौके पर जंगल की रक्षा के लिए, भगवान शिव और मां चामुंडा के गण, देवताओं की ये कहानी, एक परफेक्ट रिलीज है। इसे मिस मत कीजिए। ‘कांतारा’ को 4 स्टार.
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