Anupamaa Habits: टीवी सीरियल ‘अनुपमा‘ (Anupamaa) पिछले कई साल से दर्शकों का मनोरंजन करता आ रहा है। शो टीआरपी की लिस्ट में हमेशा नंबर वन पर रहता है। मेकर्स भी नए ट्विस्ट और टर्न लाकर शो को नंबर वन बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो अनुपमा की कहानी इन दिनों अमेरिका में चल रही है। बेशक इस कहानी को फैंस काफी पसंद भी कर रहे हैं लेकिन शो की मुख्य किरदार अनुपमा की कुछ आदतें फैंस को कतई पसंद नहीं आ रही हैं। आज हम आपको बताएंगे अनुपमा की 5 ऐसी आदतें जिन्हें आपको कभी अपनाना नहीं चाहिए।
दूसरों के लिए अपने करियर से समझौता करना
अनुपमा इंडिया से अमेरिका भले ही चली गई हों लेकिन दूसरों के लिए अपने करियर से समझौता करने की उसकी आदत अब तक नहीं बदल सकी है। भले ही अनुपमा अमेरिका अपने सपनों को पूरा करने आई हो लेकिन यहां भी वो पुराने रिश्तों के दलदल में फंस गई है और उनके लिए कई बार अपने सपनों को दांव पर लगा रही है। उम्मीद की जा रही है कि त्याग की देवी अनुपमा रेस्टोरेंट की मालकिन बनने के बाद अपने इस बिहेवियर में बदलाव ला सके।
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अपने आत्मसम्मान को साइड रखकर एक्स के घर रहना
अनुपमा और अजुन तलाक ले चुके हैं। दोनों को साथ देखना आध्या को बिल्कुल पसंद नहीं है। श्रुति भी अनुज को लेकर काफी इनसिक्योर है और आए दिन अनुपमा को उसके घर से बाहर जाने के लिए इशारे देती रहती है, लेकिन अनुपमा बेइज्जती सहने के बाद भी आध्या के लिए अनुज और श्रुति के घर में रह रही है।
बड़ों की सही गलत सब बातें मानना
शो में अब तक की कहानी को देखा जाए तो बा और वनराज हमेशा से एक रहे हैं। कई बार अनुपमा के अहसान को भुलाकर उन्होंने सिर्फ सुनाया और लेक्चर दिया है। इसके बावजूद अनुपमा उनके लिए बलिदान देने से कभी पीछे नहीं हटती। कई बार बा की गलत बातों को सुन लेती है और मान भी लेती है।
बच्चों की गलती को हर बार माफ करना
अनुपमा का सबसे समझदार बेटा समर तो अब नहीं रहा। वहीं तोषू, पाखी और आध्या हमेशा ही अपनी मां की बेइज्जती करने से कभी पीछे नहीं रहते हैं। इन दिनों आध्या की कई हरकत फैंस को गुस्सा दिला देती हैं लेकिन अनुपमा अपने बच्चों की हर गलती को माफ कर देती है। ये जानते हुए भी कि उनकी आदतें बदलने वाली नहीं हैं।
पांच पन्नों का भाषण देना और दूसरों के बारे में सोचते रहना
अगर आप खुद से प्यार नहीं करेंगे तो कोई आपसे प्यार नहीं करेगा। ये सीख अक्सर अनुपमा में दी जाती रही है। कुछ जगहों पर अनुपमा बच्चों को समझाती हैं, जिस पर उसके बच्चे कहते हैं कि पांच पन्नों का भाषण देना बंद करो। इन सब बातों को सुनने के बाद भी अनुपमा दूसरों के बारे में सोचती रहती है।