The Traitors: करण जौहर के शो ‘द ट्रेटर्स’ का बज बना हुआ है। इस शो के 6 एपिसोड रिलीज हो चुके हैं और हर एपिसोड के बाद फैंस की एक्साइटमेंट पहले से भी ज्यादा बढ़ जाती है। वहीं, कुछ लोग इस शो की तुलना सलमान खान के शो ‘बिग बॉस’ से भी कर रहे हैं। हालांकि, ये दोनों शो एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं और इनका आपस में कोई लेना-देना नहीं है। ‘द ट्रेटर्स’ और ‘बिग बॉस’ के फॉर्मेट में 5 ऐसे बड़े अंतर हैं, जिसके कारण इन दोनों शोज की तुलना एक-दूसरे से नहीं की जा सकती। अब वो 5 चीजें क्या हैं? जो इन दोनों रियलिटी शोज को अलग बनाती हैं? चलिए जानते हैं।
मेकर्स की दखलंदाजी
‘बिग बॉस’ में आपने देखा होगा कि शो को ज्यादा मजेदार बनाने के लिए मेकर्स रोज नए ट्विस्ट एंड टर्न्स लाने की कोशिश करते हैं। इस शो में सब कुछ मेकर्स के हाथ में होता है कि किसे शो में लम्बा रखना है, किसे निकालना है और किसे कितना दिखाना है? इतना ही नहीं शो कौन जितेगा? ये भी आजकल मेकर्स ही तय करने लगे हैं। वहीं, ‘द ट्रेटर्स’ का एक फिक्सड फॉर्मेट है और वो रूल्स के मुताबिक चल रहा है। शो में मेकर्स कुछ जबरदस्ती करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं।
लिमिटेड एपिसोड्स
‘बिग बॉस’ जहां महीनों तक चलता रहता है और कई बार तो 3 महीने के बाद ये शो एक्सटेंड भी हो जाता है। वहीं, ‘द ट्रेटर्स’ के एक सीजन में कुल 10 की एपिसोड होने वाले हैं। ‘बिग बॉस’ का हर रोज एक एपिसोड आता है और ‘द ट्रेटर्स’ के हफ्ते में 3 एपिसोड आ रहे हैं वो भी एक ही दिन पर। ऐसे में फैंस शो से ऊब नहीं रहे।
फेयर एलिमिनेशन
‘बिग बॉस’ के एलिमिनेशन पर अक्सर सवाल उठते हैं। फैंस को ‘बिग बॉस’ में होने वाले अनफेयर एलिमिनेशन से काफी शिकायतें रहती हैं। कभी मेकर्स साजिश रचकर किसी को बाहर निकाल देते हैं, तो कभी बाहर हो चुके कंटेस्टेंट को जबरन दूसरा मौका दे देते हैं। दूसरी तरफ ‘द ट्रेटर्स’ का एलिमिनेशन प्रोसेस काफी सिंपल है। या तो ट्रेटर्स किसी इनोसेंट का मर्डर करते हैं या फिर सर्कल ऑफ शक में एक कंटेस्टेंट आउट हो जाता है।
होस्ट का कंटेस्टेंट्स से कनेक्शन
‘बिग बॉस’ के हर सीजन में होस्ट और कंटेस्टेंट्स के बीच एक खास कनेक्शन देखने को मिलता है। अक्सर सलमान शो में कंटेस्टेंट्स को गाइड करते हुए नजर आते हैं। वो उन्हें न सिर्फ उनकी खामियां बताते हैं, बल्कि उन्हें सही रास्ता भी दिखाते हैं। साथ ही अगर कोई अच्छा करता है, तो सलमान उसकी नेशनल टीवी पर तारीफ भी करते हैं। हालांकि, करण जौहर का इस शो में कंटेस्टेंट्स से कोई लेना-देना नहीं है। वो ना तो किसी की तारीफ करते हैं और ना ही बुराई। वो आते हैं और प्रोफेशनली अपना काम करके चले जाते हैं। करण और कंटेस्टेंट्स के बीच 0 कनेक्शन दिखाई दे रहा है।
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ऑडियंस पावर
‘बिग बॉस’ का खेल काफी हद तक ऑडियंस के बलबूते पर चलता है। लोग ना सिर्फ शो देखते हैं, बल्कि वक्त-वक्त पर इस शो का हिस्सा भी बनते हैं। चाहे वोटिंग हो या फिर कंटेस्टेंट्स को शो में उनके खेल का रिव्यू देना या फिर उन पर सवाल खड़े करना, ये सब सलमान खान के शो का हिस्सा है। दूसरी तरफ करण जौहर के शो में ऑडियंस पावरलेस है। लोग सिर्फ ये शो देख सकते हैं, इसे इन्फ्लुएंस नहीं कर सकते।