राजस्थान के भोपालगढ़ गांव की रहने वाली प्रीति ने साबित कर दिया कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर इरादा मजबूत हो तो हर सपना पूरा किया जा सकता है। एक साधारण से परिवार की बेटी, जिसके पिता एक चरवाहे हैं और घर की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है उन्होंने 12वीं कक्षा में साइंस स्ट्रीम में टॉप करके पूरे जिले का नाम रोशन कर दिया है।
पिता की आंखों में खुशी और गर्व
जब रिजल्ट आया और प्रीति ने जिले में टॉप किया, तो उनके पिता की आंखें खुशी के आंसुओं से भर आईं। यह न सिर्फ एक बेटी की जीत थी, बल्कि एक पिता के सपनों की भी जीत थी, जिसने मुश्किल हालातों में भी अपनी बेटी की पढ़ाई का साथ नहीं छोड़ा।
अनुशासन और मेहनत से लिखी सफलता की कहानी
प्रीति का दिन सुबह-सुबह मां के घरेलू कामों में हाथ बंटाने से शुरू होता और फिर स्कूल के बाद घंटों तक पढ़ाई चलती। जब गांव के दूसरे बच्चे खेल-कूद में मस्त होते, तब प्रीति अपनी किताबों में डूबी रहती। मैथ, फिजिक्स और केमिस्ट्री जैसे कठिन विषयों को समझने के लिए वह हमेशा अपने टीचर्स से गाइडेंस लेती। इस परीक्षा के लिए अनुशासन और समर्पण ही उसकी सबसे बड़ी ताकत बनी।
गांव में जश्न, सबके चेहरे पर मुस्कान
प्रीति की सफलता ने सिर्फ उसके परिवार को ही नहीं, बल्कि पूरे गांव को गर्व महसूस कराया। हर कोई उन्हें देखकर अपने बच्चों को प्रेरणा देने लगा है। उनकी उपलब्धि ने यह संदेश दिया कि छोटे गांवों और सीमित संसाधनों से भी बड़ी ऊंचाइयों को छूना संभव है।
अब IAS या साइंटिस्ट बनने का है सपना
प्रीति का अगला लक्ष्य है कि वह एक साइंटिस्ट या फिर IAS/IPS अधिकारी बने। वह चाहती है कि उसके जैसे गांव के और भी बच्चों को शिक्षा के बेहतर अवसर मिलें। उसका मानना है कि माता-पिता ने उसके लिए जो बलिदान दिए हैं, अब उन्हें गर्व महसूस कराना उसका फर्ज है।