Government Can Give Relief To Taxpayers : मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट जुलाई में पेश किया जाएगा। इस बार बजट से सैलरीड पर्सन को काफी उम्मीदें हैं। इस बात की चर्चाएं काफी तेज हैं कि इस बार बजट में इनकम टैक्स में छूट सीमा बढ़ाई जा सकती है। हालांकि इसे लेकर अभी तक सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। लेकिन संकेत मिल रहे हैं कि सरकार निम्न आय वाले टैक्सपेयर्स को खुश कर सकती है। लेकिन जो भी बदलाव के संकेत मिल रहे हैं, वे नई टैक्स व्यवस्था के लिए हैं।
इस बजट से नई टैक्स व्यवस्था में बदलाव के मिल रहे ये संकेत
- टैक्स छूट की सीमा को 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जा सकता है।
- इस समय नई व्यवस्था में कुल 6 स्लैब हैं। इन्हें कम करके 5 किया जा सकता है।
- दूसरे स्लैब में अगर बदलाव नहीं होता है तो 5 से 9 लाख रुपये सालाना इनकम वालों को धारा 87A के अंतर्गत इनकम टैक्स में छूट दी जा सकती है।
NEW REGIME FOR AY 2024-25- for Individuals
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— CA Harshil sheth (@CA_HarshilSHETH) June 6, 2024
लोगों के पास ज्यादा बचेगा पैसा
टाइम्स नाउ में प्रकाशित खबर में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि अगर बजट में राहत मिलती है तो इससे टैक्सपेयर्स के हाथ में ज्यादा पैसा बचेगा। इससे वह ज्यादा रकम खर्च कर पाएगा। खबर के मुताबिक सरकार के इस कदम से उन लोगों की टैक्स देनदारी 10,400 रुपये तक कम हो जाएगी जो सालाना कमाई 7.6 लाख रुपये से 50 लाख रुपये की रेंज में आते हैं। वहीं 50 लाख से 1 करोड़ रुपये के टैक्स स्लैब में आने वाले लोगों को 11,400 रुपये तक कम टैक्स चुकाना होगा।
अभी दो तरह की हैं व्यवस्था
इनकम टैक्स भरने की अभी देश में दो तरह की व्यवस्थाएं पुरानी व्यवस्था (Old Regime) और नई व्यवस्था (New Regime) है। पुरानी व्यवस्था उन लोगों के लिए सही है जो होम लोन की ईएमआई दे रहे हैं या कहीं इंश्योरेंस/हेल्थ इंश्योरेंस या दूसरे टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं। वहीं नई व्यवस्था उनके लिए ठीक है जिनकी नई जॉब लगी है। जिनकी डिडक्शन सेक्शन 80 में कम है या न के बराबर है और जिसपर होम लोन या ब्याज की देनदारी नहीं है।
किसके लिए फिट है पुरानी व्यवस्था
- जो अपनी बचत को लाइफ इंश्योरेंस, हेल्थ इंश्योरेंस या दूसरी टैक्स सेविंग्स स्कीम्स में इन्वेस्ट करते हैं।
- 80G के तहत दान देकर डिडक्शन हासिल कर सकते हैं।
किसके लिए बेहतर है दूसरी व्यवस्था
- नई नौकरी है। सैलरी कम है और पैसा इन्वेस्ट नहीं किया है।
- पुराने एम्प्लॉई, जिन्होंने किसी भी प्रकार का निवेश नहीं किया है और न ही उनके ऊपर किसी भी प्रकार का कोई लोन है।
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