Education Loan: वित्तीय संस्थानों से ऋण के संवितरण के लिए सुचारू प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए एक प्रमुख कदम में, केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को फैसला सुनाया कि छात्रों से शिक्षा ऋण के लिए आवेदन बैंकों द्वारा केवल इसलिए खारिज नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि एक छात्र का CIBIL स्कोर खराब था।
न्यायमूर्ति पी.वी. कुन्हीकृष्णन ने छात्र द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘सिर्फ इसलिए कि छात्र का सिबिल स्कोर कम है, जो शिक्षा ऋण की मांग कर रहा है तो मेरा मानना है कि बैंक द्वारा शिक्षा ऋण आवेदन को अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।’
शिक्षित छात्र लोन चुकाने में सक्षम होगा
याचिकाकर्ता, जो एक छात्र है, उसके द्वारा दो ऋण लिए गए थे, जिनमें से एक में 16,667 रुपये अतिदेय थे और दूसरा ऋण बैंक द्वारा बट्टे खाते में डाल दिया गया था। इन कारणों से याचिकाकर्ता का सिबिल स्कोर कम था। याचिकाकर्ता के वकीलों द्वारा यह बताया गया कि अगर राशि तुरंत प्राप्त नहीं होती तो याचिकाकर्ता मुश्किल में पड़ जाएगा।
वकीलों ने कहा कि एक छात्र के माता-पिता का असंतोषजनक क्रेडिट स्कोर शैक्षिक ऋण को अस्वीकार करने का आधार नहीं हो सकता है, क्योंकि शिक्षा के बाद छात्र की चुकौती क्षमता अच्छी बन जाएगी। इस मामले में वकीलों का कहना है कि याचिकाकर्ता को एक बहुराष्ट्रीय कंपनी से नौकरी का प्रस्ताव मिला है और इस तरह वह पूरी ऋण राशि चुकाने में सक्षम होगा।
प्रतिवादियों के वकीलों ने क्या कहा?
वहीं दूसरी ओर, प्रतिवादियों के वकीलों ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत के अनुसार इस मामले में एक अंतरिम आदेश देना, भारतीय बैंक संघ द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्देशित योजना के खिलाफ होगा।
आगे यह कहा गया कि साख सूचना कंपनी अधिनियम, 2005, साख सूचना कंपनी नियम, 2006 और भारतीय स्टेट बैंक द्वारा जारी परिपत्र वर्तमान याचिकाकर्ता की स्थिति में ऋण के संवितरण पर रोक लगाते हैं।
अदालत ने दिया ये आदेश!
हालांकि अदालत ने प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता के कॉलेज को 4,07,200 रुपये की राशि तुरंत वितरित करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा, ‘यहां एक मामला है, जहां याचिकाकर्ता को नौकरी की पेशकश भी मिली है। बैंक अति तकनीकी हो सकते हैं, लेकिन कानून की अदालत जमीनी हकीकत को नजरअंदाज नहीं कर सकती है।’