Indian Economy News: रिकवरी मोड में पहुंच चुकी भारत की अर्थव्यवस्था अब तेज रफ्तार से दौड़ेगी। डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ का खौफ और उससे उत्पन्न वैश्विक अस्थिरता जैसी चुनौतियां भारत की GDP ग्रोथ को नहीं रोक पाएंगी। ग्लोबल रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने भारत की अर्थव्यवस्था पर विश्वास दर्शाते हुए इसके वित्त वर्ष 26 में 6.5 प्रतिशत की रफ्तार से दौड़ने का अनुमान जताया है।
बढ़ेगा मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र
क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को लेकर यह पूर्वानुमान मुख्यरूप से दो मान्यताओं पर आधारित है – मानसून का सामान्य रहना और कमोडिटी की कीमतों में नरमी का जारी रहना। रिपोर्ट में कहा गया कि घटती महंगाई, आम बजट 2025-26 में इनकम टैक्स पर मिली छूट और नीतिगत ब्याज दरों के कटौती से खपत बढ़ने की उम्मीद है। क्रिसिल को उम्मीद है कि भारत का मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र वित्त वर्ष 2025 और वित्त वर्ष 31 के बीच औसतन 9% प्रति वर्ष की दर से बढ़ेगा, जो महामारी से पहले 6% था।
मजबूती की फिर परीक्षा
क्रिसिल का कहना है कि हाई फ्रीक्वेंसी डेटा जैसे परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) दर्शाता है कि भारत प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के बीच अपना शीर्ष स्थान बनाए हुए है। वित्त वर्ष 31 तक सकल घरेलू उत्पाद में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी बढ़कर 20% होने का अनुमान है। क्रिसिल के मैनेजिंग डायरेक्टर एवं सीईओ अमीश मेहता ने कहा कि भारत की मजबूती की फिर से परीक्षा हो रही है। पिछले कुछ सालों में तेज आर्थिक विकास, कम चालू खाता घाटा, बाहरी सार्वजनिक ऋण और पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार ने देश को बाहरी झटकों से सुरक्षित रखने में मदद की है। इनसे भारत को नीतिगत मोर्चे पर पर्याप्त समर्थन मिल रहा है।
और कम होगी महंगाई
अमीश मेहता ने आगे कहा कि भले ही ग्रामीण क्षेत्र खपत का नेतृत्व कर रहा है, लेकिन छोटी अवधि की वृद्धि के लिए शहरी मांग में इजाफा भी जरूरी है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि वित्त वर्ष 2031 तक मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस दोनों सेक्टर्स ग्रोथ को सपोर्ट करेंगे। रिपोर्ट में महंगाई को लेकर कहा गया है कि गैर-खाद्य कीमतों के कारण चालू वित्त वर्ष में महंगाई कुछ कम हुई है। खाद्य कीमतों में नरमी जारी रहेगी, जिससे मुख्य महंगाई को नीचे लाने में सहायता मिलेगी।
रेपो रेट में फिर होगी कटौती!
क्रिसिल का कहना है कि महंगाई के मोर्चे पर नरमी से भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए रेपो दर में एक और कटौती की राह आसान हो सकती है। उम्मीद है कि 2025-26 में रेपो रेट में 0.50 से 0.75 फीसदी तक की कटौती हो जाए। बता दें कि पांच साल के लंबे इंतजार के बाद RBI ने पिछले महीने हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट में कटौती का फैसला लिया था।
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