नई दिल्ली: सरकारी स्वामित्व वाली एसबीआई और निजी ऋणदाताओं कोटक महिंद्रा बैंक और फेडरल बैंक ने फंड आधारित उधार दर (एमसीएलआर) की सीमांत लागत के तहत अपनी उधार दरों को संशोधित किया है, जिससे उपभोक्ता ऋण जैसे व्यक्तिगत, घर और ऑटो महंगा हो गया है।
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देश के सबसे बड़े ऋणदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने बेंचमार्क एक साल की अवधि के लिए एमसीएलआर को संशोधित कर 7.95 प्रतिशत कर दिया है, जो पिछली दर से 25 आधार अंक अधिक है। एसबीआई ने कहा कि नया एमसीएलआर 15 अक्टूबर 2022 से प्रभावी है। एक साल की अवधि वाली एमसीएलआर वह दर है, जिस पर अधिकांश उपभोक्ता ऋण जुड़े होते हैं।
इसके अलावा, एसबीआई ने भी दो और तीन साल के एमसीएलआर को बढ़ाकर क्रमशः 8.15 प्रतिशत और 8.25 प्रतिशत कर दिया है। रातोंरात, एक-, तीन- और छह महीने की दरों में 7.60-7.90 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।
कोटक महिंद्रा बैंक ने कहा कि विभिन्न अवधि के लिए एमसीएलआर 16 अक्टूबर, 2022 से 7.70-8.95 प्रतिशत की सीमा में निर्धारित किया गया है। उसकी संशोधित एक साल की एमसीएलआर दर 8.75 प्रतिशत है।
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दक्षिण स्थित फेडरल बैंक ने कहा कि ऋण और अग्रिम पर उसके एक साल के एमसीएलआर को 16 अक्टूबर से संशोधित कर 8.70 प्रतिशत कर दिया गया है। बता दें कि पिछले महीने आरबीआई की रेपो दर में बढ़ोतरी के बाद, कई बैंकों ने अपनी उधार दरों को ऊपर की ओर संशोधित किया है।
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