South Facing Bedroom Benefits : परिवार के मुखिया का शयन कक्ष दक्षिण में क्यों? रश्मि चतुर्वेदी ब्रह्मांड का संचालन करने वाली प्रकृति अपने उदयकाल से लेकर आज तक एक अनुशासनबद्ध तरीके से गतिमान है। इसी प्रकार की अनुशासित दिनचर्या वैदिक ऋषियों ने मनुष्य के लिए बनाई थी, जिसमें प्रातः काल जगने से लेकर सोने तक का समय निर्धारित किया गया था।
कहते हैं कि अनुशासनबद्ध दिनचर्या में दिन भर कार्यों को संपन्न करने से ही कोई इंसान प्रगति की राह पर बढ़ सकता है। ऐसी दिनचर्या नरंतर चलने पर व्यक्ति सल दर साल तरक्की की राह पर बढ़ता चला जाता है। लेकिन आज के भौतिकवादी युग में अत्याधुनिक सुख-सुविधाओं से साए में जीने के बावजूद भी इंसान को चैन की नींद हासिल नहीं है। परिणामस्वरूप व्यक्ति तनाव, अनिद्र और रक्तचाप जैसी बीमारियों से घिर जाता है। हालांकि व्यक्ति को व्यक्ति को व्यवस्थित जीवन जीने के लिए भवन निर्माण को लेकर खास व्यवस्था बनाई गई है, जिसको वास्तु शास्त्र के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं तनाव, अनिद्र और रक्तचाप जैसी समस्याओं से वास्तु की किन नियमों की मदद से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा यह भी जानतें है कि आखिर परिवार के मुखिया का शयन कक्ष दक्षिण दिशा में होना क्यों शुभ है।
दक्षिण दिशा में होने के क्या फायदे हैं?
वास्तुशास्त्र में दक्षिण दिशा में परिवार के मुखिया के शयन कक्ष के निर्माण का निर्देश दिया गया है। दरअसल इस दिशा के स्वामी देवता यम हैं तथा ग्रह मंगल है। यम का स्वभाव आलस्य और निद्रा को उत्पन्न करना है। सोने से पहले शरीर में आलस्य और निद्रा की उत्पत्ति होने से मनुष्य को अच्छी नींद आती है। भरपूर नींद के बाद शरीर फिर से तरोताजा हो जाता है। जबकि यदि व्यक्ति भरपूर नींद न ले तो उसके शरीर में आलस्य भरा रहता है, जिससे उसके कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, दक्षिण दिशा में स्थित मंगल परिवार के मुखिया को सेनापति की भांति चुस्त और चैकन्ना रखने में सहायक होता है। जिससे व्यक्ति की निर्णय लेने की क्षमता मजबूत होती है। परिवार का मुखिया यदि सही समय पर सही निर्णय करे तो परिवार उन्नति की ओर अग्रसर होता है।
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दक्षिण दिशा में घर के मुखिया का शयनकक्ष होना की वजह क्या है?
दक्षिण दिशा में शयनकक्ष बनाने के पीछे एक कारण यह भी है कि दक्षिण में चंुबकीय शक्ति के प्रभाववश मनुष्य को तनावरहित नींद आती है। जैसा कि हम सभी जानते हैं, चुंबक के समान ध्रुवों में विकर्षण तथा विरोधी ध्रुवों में आकर्षण होता है। अतः दक्षिण में स्थित शयनकक्ष में दक्षिण की तरफ सिर रखकर सोने से पृथ्वी एवं शरीर का विपरीत ध्रुव होने के कारण आकर्षण उत्पन्न होता है जिससे मनुष्य पूर्ण विश्राम करता है तथा तन एवं मन दोनों से चुस्त एवं दुरुस्त रहता है और रक्त का प्रवाह सही होने के कारण तनाव मुक्त रहता है।
डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।