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Shaniwar Ke Upay: शनिदेव की कृपा पाने के लिए करें शनि कवच का पाठ, जीवन हो जाएगा खुशहाल

Shaniwar Ke Upay: सनातन धर्म में सप्ताह के सातों दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित हैं। इस सात दिनों में अलग-अलग भगवान की पूजा की जाती है। आज का दिन शनिवार हैं और शनिवार शनिदेव को समर्पित होता है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन कुछ उपाय करने से जातक को कभी भी […]

Edited By : Raghvendra Tiwari | Updated: Sep 30, 2023 09:56
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Shaniwar Ke Upay
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Shaniwar Ke Upay: सनातन धर्म में सप्ताह के सातों दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित हैं। इस सात दिनों में अलग-अलग भगवान की पूजा की जाती है। आज का दिन शनिवार हैं और शनिवार शनिदेव को समर्पित होता है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन कुछ उपाय करने से जातक को कभी भी जीवन में कष्टों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके साथ ही शनिदेव अपनी कृपा भी बनाए रखते हैं। तो आइए शनिवार के उपाय को जानते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनिवार के दिन शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन शनि कवच का पाठ करते हैं, तो आपके जीवन में खुशहाली बनी रहेगी। इसके साथ ही जीवन कष्टों से मुक्त हो जाएगा। तो आइए शनि कवच के बारे में जानते हैं।

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शनि कवच का चमत्कारी पाठ

विनियोग – अस्य श्री शनैश्चरकवचस्तोत्रमंत्रस्य कश्यप ऋषिः, अनुष्टुप् छन्दः, शनैश्चरो देवता, शीं शक्तिः,

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शूं कीलकम्, शनैश्चरप्रीत्यर्थं जपे विनियोगः

नीलाम्बरो नीलवपु: किरीटी गृध्रस्थितत्रासकरो धनुष्मान्।

चतुर्भुज: सूर्यसुत: प्रसन्न: सदा मम स्याद्वरद: प्रशान्त:।।

श्रृणुध्वमृषय: सर्वे शनिपीडाहरं महंत्।

कवचं शनिराजस्य सौरेरिदमनुत्तमम्।।

कवचं देवतावासं वज्रपंजरसंज्ञकम्।

शनैश्चरप्रीतिकरं सर्वसौभाग्यदायकम्।।

ऊँ श्रीशनैश्चर: पातु भालं मे सूर्यनंदन:।

नेत्रे छायात्मज: पातु कर्णो यमानुज:।।

नासां वैवस्वत: पातु मुखं मे भास्कर: सदा।

स्निग्धकण्ठश्च मे कण्ठ भुजौ पातु महाभुज:।।

स्कन्धौ पातु शनिश्चैव करौ पातु शुभप्रद:।

वक्ष: पातु यमभ्राता कुक्षिं पात्वसितस्थता।।

नाभिं गृहपति: पातु मन्द: पातु कटिं तथा।

ऊरू ममाSन्तक: पातु यमो जानुयुगं तथा।।पदौ मन्दगति: पातु सर्वांग पातु पिप्पल:।

अंगोपांगानि सर्वाणि रक्षेन् मे सूर्यनन्दन:।।

इत्येतत् कवचं दिव्यं पठेत् सूर्यसुतस्य य:।

न तस्य जायते पीडा प्रीतो भवन्ति सूर्यज:।।

व्ययजन्मद्वितीयस्थो मृत्युस्थानगतोSपि वा।

कलत्रस्थो गतोवाSपि सुप्रीतस्तु सदा शनि:।।

अष्टमस्थे सूर्यसुते व्यये जन्मद्वितीयगे।

कवचं पठते नित्यं न पीडा जायते क्वचित्।।

इत्येतत् कवचं दिव्यं सौरेर्यन्निर्मितं पुरा।

जन्मलग्नस्थितान्दोषान् सर्वान्नाशयते प्रभु:।।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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Edited By

Raghvendra Tiwari

First published on: Sep 30, 2023 08:58 AM

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