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Karwa Chauth 2022: करवा चौथ का व्रत से पहले गर्भवती महिलाएं इन बातों का जरूर रखें ध्यान

Karwa Chauth 2022: कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिनें पति की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। करवा चौथ व्रत को चांद को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है। इस साल करवा चौथ व्रत 13 अक्टूबर को […]

Edited By : Pankaj Mishra | Updated: Oct 9, 2022 09:08
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Karva Chauth Vrat

Karwa Chauth 2022: कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ व्रत रखा जाता है। इस दिन सुहागिनें पति की लंबी आयु की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। करवा चौथ व्रत को चांद को अर्घ्य देने के बाद व्रत खोला जाता है। इस साल करवा चौथ व्रत 13 अक्टूबर को है।

देशभर में करवा चौथ के व्रत को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। यह त्योहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन उपवास रखती हैं और शाम को पूजन करने के बाद चांद और पति को छलनी में से देखने के बाद जल ग्रहण करती है।

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इस दिन कुंवारी कन्याएं भी व्रत रखती हैं, जिनकी सगाई हो गई हो और शादी में समय हो। इसी तरह गर्भवती महिलाएं भी अपने पति की मंगलकामना में व्रत करती हैं। लेकिन क्या उनके लिए करवाचौथ का व्रत करना सेहतमंद हो सकता है। इस व्रत में ना ही किसी चीज का सेवन किया जाता है और ना ही पानी के एक भी घूंट को लिया जाता है।

व्रत से पहले गर्भवती महिलाएं इन बातों का रखें ध्यान

व्रत के दिन भर भूखे-प्यासे रहने पर आपको कोई भी परेशानी हो सकती है, चक्कर भी आ सकते हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए उपवास रखना न रखना उनकी शारीरिक क्षमता पर निर्भर करता है। अगर आप शारीरिक रुप से मजबूत नहीं हैं तो करवाचौथ का व्रत ना करें। इससे आपके साथ बच्चे को भी परेशानी हो सकती है। फिर भी आप व्रत करना चाहते हैं तो जरुर कर सकती हैं। लेकिन व्रत करने से पहले एक बार इन बातों का जरुर ध्यान रखना चाहिए।

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डॉक्टर से सलाह लें- ऐसा किसी भी रिसर्च में साबित नहीं हुआ है कि गर्भवस्था में व्रत करना बच्चे के लिए हानिकारक होता है। लेकिन करवाचौथ ऐसा व्रत है जिसमें पानी की एक भी बूंद नहीं ली जा सकती है जो शरीर में पानी की कमी कर देती है जिससे बच्चा असहज हो सकता है और उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो सकती है।

सरगी के ऐसा भोजन दौरान लें जो जल्दी ना पचे। भोजन के बाद एक बड़ा गिलास दूध का अवश्य लें।

निर्जला (बिना जल के) उपवास ना करें। नियमित जल ग्रहण करें।

अगर शरीर में कमजोरी हो तो नियमित अंतराल से फलों व मान्य खाद्य पदार्थों का सेवन अवश्य करें, ताकि मां एवं शिशु को ग्लूकोज व आवश्यक तत्वों की कमी ना हो।

व्रत उपरांत सरलता से पचने वाले भोजन ही ग्रहण करें व अति-गरिष्ठ भोजन से बचें।

व्रत की अवधि में कमजोरी, चक्कर या बेहाशी के कारण गिरने का भय बना रहता है।

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Written By

Pankaj Mishra

Edited By

Manish Shukla

First published on: Oct 09, 2022 09:08 AM

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