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देश में इकलौता मंदिर, जहां 9 देवियां एक साथ विराजमान, दर्शन करने मात्र से दूर हो जाएंगे सारे कष्ट

Navratri Special Mysterious Temple: देश का एक मंदिर जो करीब 1200 साल पुराना मंदिर है, जहां लोग 9 देवियों के एक साथ दर्शन कर सकते हैं। आइए इस मंदिर के इतिहास और इसकी मान्यताओं के बारे में जानते हैं...

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Oct 15, 2023 13:09
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Shree Nausar Mata Temple
Shree Nausar Mata Temple

Rajasthan Unusual Shree Nausar Mata Temple: नवरात्रि चल रहे हैं। इन दिनों में लोग माता के दर्शन करने शक्तिपीठों का ट्रिप प्लान करते हैं। यूं तो देशभर में माता के कई मंदिर और 52 शक्तिपीठ हैं, लेकिन क्या आप माता के उस मंदिर के बारे में जानते हैं, जहां सभी 9 देवियां एक साथ विराजमान हैं। जी हां, ऐसा एक मंदिर है। यह देश का ऐसा इकलौता और करीब 1200 साल पुराना मंदिर है, जहां लोग 9 देवियों केएक साथ दर्शन कर सकते हैं और यहां 9 देवियां एक साथ विराजमान हैं। आइए इस मंदिर के इतिहास और इसकी मान्यताओं के बारे में जानते हैं…

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पद्म पुराण में किया गया मंदिर का जिक्र

राजस्थान में अजमेर-पुष्कर के बीच नाग पहाड़ी पर करीब 1200 साल पुराना नौसर माता मंदिर है, जहां मां दुर्गा अपने 9 रूपों के साथ विराजमान हैं। मंदिर के महंत रामकृष्ण देव ने बताया कि यहां मां अपने 9 रूपों में एक साथ एक ही पाषाण पर विराजित हैं। यहां माता के 9 सिर वाली प्रतिमा है, जिस कारण इस मंदिर को नौसर माता मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां हर बार नवरात्रि में मेले जैसा माहौल रहता है। हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां मां के दर्शन करने आते हैं। इस मंदिर का जिक्र पद्म पुराण में मिलता है। इसमें बताया गया है कि सृष्टि यज्ञ की रक्षा के लिए जगतपिता ब्रह्मा ने नवदुर्गा का आह्वान किया था, तब मां अपने नवरूपों में नाग पहाड़ी पर विराजमान हुई। आज भी नौसर माता ब्रह्मा की नगरी पुष्कर की रक्षा करती हैं।

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तालाब कभी सूखता नहीं, पहाड़ी से आता पानी

महंत रामकृष्ण देव बताते हैं कि मां का ऐसा अद्भुत मंदिर देश ही नहीं, बल्कि दुनिया में कहीं और नहीं है। 64 सेंटीमीटर ऊंचाई वाली पाषाण में नव दुर्गा के साथ 64 योगिनियों का वास भी माना जाता है। 9वीं देवी मां सिद्धदात्री सभी माताओं के बीच में विराजमान हैं। मान्यता है कि यहां माताओं के एक साथ दर्शन करने मात्र से ही सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। सारे काम सिद्ध हो जाते हैं। यहां मां के एक भक्त ने करीब 135 साल पहले एक तालाब बनवाया था। इस तालाब में पहाड़ी से 2 जगहों से पानी आता है, लेकिन यह मां का ही चमत्कार है कि चाहे कैसा भी अकाल पड़ा हो, यह तालाब कभी नहीं सूखता। यह हमेशा पानी से भरा रहता है और पानी भी काफी साफ है। मंदिर में मां की पूजा-अर्चना के लिए पानी इसी तालाब से लिया जाता है।

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पांडवों और पृथ्वीराज चौहान ने की थी अराधना

पद्म पुराण के अनुसार, द्वापर युग में वनवास काल में पांडवों ने भी यहां नव शक्तियों की आराधना की थी। यहां पांडवों ने पांडेश्वर महादेव को स्थापना किया था। पांडवों ने पुष्कर में नाग पहाड़ की तलहटी में पंचकुंड का निर्माण भी करवाया था, जो आज भी 5 पांडवों के नाम से जाना जाता है। 11वीं शताब्दी में जब पहली बार सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी के साथ तराइन का युद्ध लड़ा था, तो युद्ध से पहले उन्होंने राज कवि चंदबरदाई के साथ इस मंदिर में माता की आराधना की थी। कहा जाता है कि इस युद्ध में सम्राट पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गौरी को हराया था। मुगलकाल में औरंगजेब ने जब हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया था, तब माता के इस मंदिर को भी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की थी, लेकिन वह माता के नवरूपों वाली प्रतिमा को नुकसान नहीं पहुंचा पाया।

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मराठों ने मंदिर का फिर से स्थापित करके उद्धार किया

मराठा काल में मंदिर फिर से स्थापित किया गया। उन्होंने मंदिर का निर्माण कराने के साथ इसका रखरखाव भी किया। इसके बाद करीब 135 साल पहले संत बुधकरण महाराज ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, लेकिन सही जगह नहीं मिल रही थी। इस बीच एक दिन माता ने उन्हें सपने में दर्शन देकर कहा कि मंदिर के नीचे विशाल पत्थर है, जिसे हटाने पर जलधारा निकलेगी। संत बुधकरण ने माता के आदेश पर उस विशाल पत्थर को हटाया तो वहां पानी से भरा तालाब मिला। यह तालाब आज भी है। संत बुधकरण के बाद संत ओमा कुमारी और उनके बाद उनके शिष्य रामकृष्ण देव मंदिर के पीठाधीश्वर हैं। नौसर माता हिंदू धर्म के अनुसार, कई जातियों की कुलदेवी हैं। वे यहां आने वाले भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं।

First published on: Oct 15, 2023 01:04 PM

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