Marriage Rituals: 16 संस्कारों में 15वें स्थान पर विवाह संस्कार आता है। विवाह किसी व्यक्ति के जीवन का वह पल होता है, जिसका बेसब्री से इंतजार करता है। आपने देखा होगा जब लड़के की शादी होती है, तो वह बारात ले जाते समय घोड़ी पर सवार होकर जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है आखिर दूल्हा घोड़ी पर ही क्यों बैठकर बारात ले जाता है। अगर नहीं तो आज इस खबर में जानेंगे कि बारात में दूल्हा घोड़ी ही क्यों चढ़ता है।
घोड़ी चढ़ने का ज्योतिष महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सूर्य देव के रथ सात घोड़े मिलकर चलाते हैं। कहा जाता है कि सात घोड़े सात इन्द्रियों का प्रतीक होते हैं। मान्यता है कि सूर्य देव की पत्नी संध्या इन सातों को घोड़ों को नियंत्रित करती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि पिछले जन्म में संध्या घोड़ी का अवतार लिया था और उन्होंने पुत्र को जन्म दिया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि जब दूल्हा घोड़ी पर चढ़ता है तो वह अपनी इंद्रियों को नियंत्रण कर लेता हैं। इसके साथ ही दूल्हा सूर्य देव की पत्नी संध्या का आशीर्वाद भी प्राप्त कर लेता है।
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धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब दूल्हा घोड़ी चढ़ता है, तो सूर्य देव की पत्नी की कृपा प्राप्त होता है और वैवाहिक जीवन में मजबूती प्रदान करती है। साथ ही दूल्हे-दुल्हन का वैवाहिक जीवन सुख-समृद्धि और संपन्नता के साथ बीतता है। ज्योतिषीयों को कहना है कि जब दूल्हा घोड़ी चढ़ता है तो शनि देव की दृष्टि को नियंत्रण में रखता है, ताकि आगे जातक सब चीजें शुभ हो।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।
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