Raksha Bandhan 2022: भाई-बहन के प्यार का प्रतीक त्योहार रक्षाबंधन हर साल श्रावण महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस पवित्र दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, वहीं भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देते हैं। इस दौरान बहन-भाई एक दूसरे को मिठाई खिलाते हैं और उपहार देते हैं। यह
रक्षाबंधन की पौराणिक प्रचलित कथाएं (Raksha Bandhan Katha)
सबसे पहले पति-पत्नी ने बांधी थी राखी
भविष्य पुराण में रक्षाबंधन को लेकर एक रोचक कथा बताई गई है। रक्षाबंधन सिर्फ भाई-बहन के प्यार के प्रतीक के रूप में नहीं था। इंद्र और इंद्राणी की पौराणिक कथा मुताबिक, देवताओं और राक्षसों के बीच चल रहे युद्ध के दौरान इंद्र राजा बलि से हार रहे थे, तब इंद्र की पत्नी इंद्राणी ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने इंद्राणी को एक पवित्र धागा दिया, जिसे उन्होंने इंद्र की कलाई पर बांध दिया। इसके बाद युद्ध में इंद्र की विजय हुई। वह धागा किसी भी बुराई के खिलाफ उनकी सुरक्षा बन गया।
माता लक्ष्मी ने राजा बलि को बांधी थी राखी
पौराणिक कथा के मुताबिक दैत्यों का राजा बलि महापराक्रमी था और वह स्वर्ग पर अधिकार करना चाहता था। इसके लिए दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य ने उनसे एक विशेष यज्ञ करने का संकल्प करवाया। ये बात जब देवताओं को पता चली तो वे भगवान विष्णु के पास गए। भगवान विष्णु वामन रूप में राजा बलि के पास गए और उनसे 3 पग भूमि दान में मांगी। राजा बलि जान चुके थे कि ये ब्राह्मण कोई और नहीं बल्कि साक्षात नारायण हैं, फिर भी उन्होंने तीन पग भूमि दान करने का वचन दे दिया। तब वामन रूपी भगवान विष्णु ने अपने दो पग में धरती और आकाश को नाप दिया। तीसरा पग रखने की बारी आई तो राजा बलि ने कहा कि अब अपना तीसरा पग मेरे ऊपर रख दीजिए।
भगवान विष्णु द्वारा राजा बलि के उपर पांव रखने से वो पाताल लोक जा पहुंचे। भगवान विष्णु ने उन्हें पाताल का राजा बना दिया और वरदान मांगने के के लिए कहा। राजा बलि ने उनसे कहा कि आप भी मेरे साथ पाताल में निवास कीजिए। वचन देने के कारण भगवान विष्णु राजा बलि के साथ पाताल में रहने के लिए चले गए। इस बीच जब ये बात देवी लक्ष्मी को पता चली तो वे अत्यंत चिंतित हो गई और वे भी पाताल जा पहुंची। देवी लक्ष्मी को राजा बलि को रक्षा सूत्र बांधकर अपना भाई बना लिया। जब राजा बलि ने देवी को उपहार देना चाहा तो उन्होंने अपने पति यानी भगवान विष्णु को ही मांग लिया। इस तरह देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु को फिर से बैकुंठ लोक लेकर लौट आईं। तभी से रक्षाबंधन का पर्व मनाया जा रहा है।
भगवान श्रीकृष्ण ने दौपदी को दिया रक्षा का वरदान
एक अन्य कथा के मुताबिक जब भगवान कृष्ण शिशुपाल का वध करने के लिए चक्र चलाया तो इस दौरान उनकी अंगुली कट गई और उनका खून टपकने लगा। तब भगवान कृष्ण का खून रोकने के लिए द्रौपदी ने अपनी साड़ी से एक टुकड़ा फाड़कर भगवान की अंगुली पर बांध दिया। तब कृष्ण ने द्रौपदी को वचन देते हुए कहा कि जब भी वह संकट में होंगी तो उनकी सहायता के लिए हमेशा पहुंच जाएंगे। द्रौपदी के चीरहरण के दौरान उन्होंने अपना वचन पूरा भी किया।
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