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हिंदू- मुस्लिम भाईचारे की मिशाल पेश करती हैं तीन जगहों की रामलीला, यहां जाति-धर्म नहीं आते आड़े

मुस्लिम समुदाय के लोग वर्षो से रामलीला के अलग- अलग किरदार निभाते आ रहे हैं। उनके बीच कभी उनकी जाति और धर्म आड़े नहीं आया है

Edited By : Swati Pandey | Updated: Oct 13, 2023 18:35
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Hindus and Muslims celebrate Ramlila together: धर्म, सभ्यता व संस्कृति को एक दूसरे के नजदीक लाता है। आज जहां देश में धर्मों और मान्यताओं के चलते लोग कई भागों में बंटे हुए हैं. वहीं कुछ जिलों में रामलीला मुस्लिम समुदाय के लोग करते हैं। जिला डिंडौरी में होने वाली गोरखपुर रामलीला समिति साम्प्रदायिक एकता की सच्ची मिसाल पेश करती है। रामलीला में लगभग मुसलमान समाज के दर्जन से भी ज्यादा लोग रामायण के पात्र बनते हैं। इसके अलावा इस कस्बे में हिन्दू और मुस्लिम एक दूसरे के पर्वों को भी सौहाद्रपूर्वक मनाते चले आ रहे हैं। चाहे मुहर्रम हो या बकरीद सारे त्योहार यहां सब मिल जुलकर मनाए जाते हैं।

मुस्लिम समुदाय के लोग वर्षो से रामलीला के अलग- अलग किरदार निभाते आ रहे हैं। उनके बीच कभी उनकी जाति और धर्म आड़े नहीं आया है और न कभी आएगा। गोरखपुर रामलीला समिति के अध्यक्ष कृष्ण लाल हस्तपुरिया ने बताया कि उनके गांव में जैसे होली, दीवाली और दशहरा मनाया जाता है। ठीक उसी तरह से मोहर्रम, ईद और बकरीद का त्यौहार मनाया जाता है। हिंदू और मुस्लिम एक दूसरे का त्यौहार भाईचारे और सदभाव के साथ मनाते हैं। यही वजह है कि गोरखपुर में आज तक हिंदू और मुस्लिम के बीच कोई मामूली मनमुटाव तक नहीं हुआ है।

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गोरखपुर की रामलीला

गोरखपुर रामलीला समिति लगभग 45 वर्षों से रामलीला आयोजित कर रही है। बर्षों पुरानी इस रामलीला में लगभग 50 सदस्य हैं, यह रामलीला लगभग दस दिन तक चलती है। पूर्वजों के जमाने से चली आ रही रामलीला की इस परंपरा को आज के नौजवान भी कायम रखे हुए हैं। रामलीला में परशुराम, वाल्मीकि, ऋषि विश्वामित्र, अंगद, नारद, और सूर्पणखा जैसे अहम किरदार मुस्लिम समुदाय के लोग निभाते हैं। रामायण के श्लोक इन्हें कंठस्थ याद हैं। रामलीला में किरदार निभाने वाले ये लोग देश को आपसी भाईचारे और साम्प्रादायिक सौहाद्र का संदेश दे रहे हैं। गोरखपुर की इस रामलीला की यही खासियत है कि रामायण के दृश्य और किरदार को संजीदगी से तैयार किया जाता है। रामलीला की करीब एक महीने पहले से ही तैयारी शुरू कर दी जाती है। मुस्लिम लोगों की मानें तो जाति और धर्म से बढ़कर भाईचारा है, जो उन्हें संस्कारों से मिला है।

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फरीदाबाद के सेक्टर 15 में आयोजित रामलीला

औद्योगिक नगरी की आधुनिकतम कही जाने वाली सेक्टर-15 की इस रामलीला में हमेशा नए प्रयोग देखने को मिलते हैं। इस बार भी दर्शकों को कुछ नया करके दिखाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। यहां कई मुस्लिम कलाकार विभिन्न रूपों में रामलीला में किरदार निभाते है। इन कलाकारों से सीख लेने की जरूरत सभी धर्म के लोगों को है। श्रद्धा रामलीला में कलाकारों का मेकअप मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के जानेमाने मेकअप आर्टिस्ट शमीम आलम और उनकी टीम करती है। शमीम आलम फिल्म इंडस्ट्री में पिछले कई सालों से अपनी टीम के साथ काम कर रहे हैं। वह अपनी टीम के साथ रामलीला में किरदार निभाने वाले राम, सीता, लक्ष्मण सहित मुख्य किरदारों का मेकअप कर उनको फिल्मी अदांज में तैयार करते है।

मुहम्मदावाद में आयोजित रामलीला

रामायण के किरदारों का चयन करने की महज एक ही पात्रता है। बेहतर अभिनय। इसके अलावा हिंदू और मुसलमान का कोई वर्गीकरण नहीं है। हिंदू समाज के अति पिछड़े जाति के युवाओं को भी अपने मंचीय कला को दिखाने का अवसर दिया जाता है। झन्ने ने बताया कि ग्रामीणों की ओर से मिले पुरस्कार की राशि उस किरदार को निभाने वाले कलाकार को दे दी जाती है,जिसे वह पुरस्कार देते है। बाकी जनरेटर आदि की व्यवस्था ग्रामीणों से मिले चंदे से किया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि 2005 में रामलीला मंचन के लिए पक्के मंच का निर्माण कराया गया। जिसमें समाज के सभी वर्ग सभी धर्म के साथ ही जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग मिल रहा।

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Edited By

Swati Pandey

First published on: Oct 13, 2023 06:16 PM

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