Chhatrapati Shivaji Maharaj 12 Forts: छत्रपति शिवाजी महाराज के 12 किले यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किए गए हैं। पेरिस में आयोजित विश्व धरोहर समिति (WHC) के 47वें सेशन में यह ऐलान किया गया। सेशन में यूनेस्को में भारत के राजदूत विशाल शर्मा और भारतीय पुरातत्व एवं संग्रहालय निदेशालय से हेमंत दलवी भी उपस्थित थे।महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इसे ऐतिहासिक उपलब्धि और गौरवशाली पल बताया। उन्होंने एक ट्वीट लिखकर महाराष्ट्र के सभी नागरिकों को हार्दिक बधाई दी। उन्होंने लिखा कि भारत की सांस्कृतिक विरासत के लिए सचमुच गौरव का दिन है। अत्यंत गर्व के साथ घोषणा करता हूं कि यूनेस्को ने मराठा साम्राज्य के 12 प्रतिष्ठित किलों को विश्व धरोहर की सूची में शामिल कर लिया है। देश के गौरवशाली अतीत का संरक्षण करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं।
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क्या हैं किलों के नाम और कहां स्थित हैं?
छत्रपति शिवाजी महाराज के विश्व धरोहर बने 12 किले 17वीं-19वीं सदी में बनाए गए थे। इनमें से 11 किले रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, पन्हाला, शिवनेरी, लोहागढ़, साल्हेर, सिंधुदुर्ग, विजयदुर्ग, सुवर्णदुर्ग, खंडेरी महाराष्ट्र में हैं और 1 किला तमिलनाडु में है।
रायगढ़ किला
महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित यह किला एक पहाड़ी पर बना है। छत्रपति शिवाजी महाराज जब मराठा साम्राज्य के शासक बने तक उन्होंने रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया। अपने शासन काल में उन्होंने रायगढ़ की कई इमारतों का निर्माण और विकास कराया, जिनमें रायगढ़ किला भी शामिल है। किले तक पहुंचने के लिए 1737 सीढ़ियां लोगों को चढ़नी पड़ती हैं। किले तक पहुंचने के लिए रोपवे भी बना है।
राजगढ़ किला
महाराष्ट्र के पुणे जिले में एक पहाड़ी पर बना यह किला मुरुम्बदेव के नाम से जाना जाता था। यह किला जिस पहाड़ी पर बना है, उसे देवी मुरुम्बा का पहाड़ कहा जाता है। रायगढ़ राजधानी बनने से पहले 26 साल तक यह किला छत्रपति शिवाजी महाराज की राजधानी रहा। राजगढ़ किले में शिवाजी महाराज ने अपने जीवन के सबसे ज्यादा दिन बिताए। उनके बेटे राजाराम का जन्म इस किले में हुआ। उनकी पत्नी सईबाई की मौत भी राजगढ़ किले में हुई थी।
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प्रतापगढ़ किला
महाराष्ट्र के सतारा जिले में शहर से 20 किलोमीटर दूर महाबलेश्वर के पास बने प्रतापगढ़ किले का निर्माण छत्रपति शिवाजी महाराज ने वर्ष 1656 में कराया था। इस किले के अंदर मां भवानी और भगवान शिव का मंदिर है। अफजल खान से युद्ध जीतकर शिवाजी महाराज इसी किले में लौटे थे। आज यह किला टूरिस्ट प्लेस है।
पन्हाला किला
महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में सह्याद्री की पहाड़ियों पर 3177 फीट की ऊंचाई पर पन्हाला किला बना है। इस किले का निर्माण 12वीं सदी में राजा भोज ने कराया था, लेकिन 1659 में छत्रपति शिवाजी महाराज ने इस किले को आदिलशाही से जीत लिया था। इस किले में शिवाजी महाराज युद्धों की योजना बनाते थे। इस किले के पास ही मराठों और बीजापुर के बीच युद्ध हुआ था। यह किला करीब 7 किलोमीटर के एरिया में फैला हुआ है।
शिवनेरी किला
महाराष्ट्र के पुणे जिले के जुन्नर गांव के पास बना यह किला छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्मस्थान है। शिवाजी महाराज के पिता शाहाजी राजे ने युद्धों से सुरक्षित रखने के लिए अपनी गर्भवती पत्नी जीजाबाई को परिवार के साथ शिवनेरी में भेज दिया, जहां उन्होंने शिवाजी को जन्म दिया। इसी किले में उनका बचपन बीता। किले के अंदर शिवाजी महाराज के नाम पर माता शिवाई का मंदिर है। किले के बीचों-बीच बादामी तालाब बना है। किले के अंदर गंगा-जमुना नामक मीठे पानी के 2 झरने भी हैं।
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लोहागढ़ किला
महाराष्ट्र के पुणे जिले से 52 किलोमीटर दूर उत्तर पश्चिमी दिशा में लोनावाला के पास लोहागढ़ किला बना है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1648 और 1670 में 2 बार कब्जा किया और अपना खजार रखने के लिए इस्तेमाल किया। एक किले के अंदर एक बड़ा तालाब और बावड़ी बनी है।
साल्हेर किला
महाराष्ट्र के नासिक जिले की सताना तहसील में सह्याद्री की पहाड़ियों पर बना साल्हेर किला मराठा साम्राज्य के मशहूर किलों में से एक है। सूरत में छापेमारी से बरामद खजाने को मराठा सेना ने इसकी किले में छिपाया था। साल्हेर की लड़ाई के लिए यह किला मशहूर है। साल्हेर की लड़ाई शिवाजी महाराज ने जीती थी। पौराणिक कथा के अनुसार, इस किले में भगवान परशुराम ने भी तपस्या की थी।
सिंधुदुर्ग किला
सिंधुदुर्ग किला महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में अरब सागर में बना है। इस किले को वर्ष 1664 में बनाय गया था। 3 साल इस किले को बनाने में लगे। इस किले को छत्रपति शिवाजी महाराज ने कमीशन किया था। किला अरब सागर में खुर्ते नामक द्वीप पर बनाया गया है और इसे बनाने में पुर्तगाली इंजीनियरों ने मदद की थी।
विजयदुर्ग किला
महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले के देवगढ़ तालुका में समुद्र के तट पर यह किला बना है। इस किले को पूर्वी जिब्राल्टर भी कहा जाता है। यह किला छत्रपति शिवाजी महाराज की नौसेना का ठिकाना था। इस किले को 12वीं शताब्दी में शिलाहार राजाओं ने बनवाया था। 17वीं शताब्दी में मराठाओं की नौसेना ने इसे अपना अड्डा बनाया था। इस किले के अंदर 2 सुरंगें हैं। यह किला आज एक टूरिस्ट प्लेस है।