Nepal Gen-Z Protest: भारत के एक और पड़ोसी देश में नया राजनीति संकट खड़ा हो गया है। जी हां, हम बात रहे हैं नेपाल की। नेपाल में नेताओं के बच्चों की राजशाही के विरोध में ‘नेपो किड’ कैंपेन शुरू हुआ। इस कैंपेन में मंत्रियों के बच्चों की लग्जरी लाइस्टाइल के वीडियो शेयर होने लगे। एक वीडियो पीएम ओली की बेटी की थी, जिसमें वह हाथ में करोड़ों की घड़ी पहने थी। बताया जा रहा है कि इस पर लगाम के लिए नेपाल सरकार ने बीते 3 सितंबर को सोशल मीडिया ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया। हालांकि सरकार ने बैन के पीछे कंपनियों को देश में रजिस्टर्ड न कराने की वजह बताई। बैन लगने से नेपाल के युवाओं में आक्रोश और बढ़ गया।
नतीजतन, अक्सर स्मार्टफोन में घुसे रहने से जाने वाले Gen-Z सड़क पर आ गए। प्रदर्शन के ऐलान पर एकजुट होकर 8 सितंबर को युवा राजधानी काठमांडू में जमा होने लगे। सड़कों से शुरू हुआ विरोध प्रदर्शन संसद की तरफ बढ़ गया। पुलिस से झड़प हुई और आंदोलन कब हिंसक हो गया पता नहीं चला। पहले नेपाल की इंटेलिजेंस की असफलता से काठमांडू में हजारों की संख्या में लोग जमा हो, फिर पुलिस की गोली चलाने के गलत फैसले ने आंदोलन को उग्र बना दिया। पुलिस की गोलीबारी में 19 युवाओं की मौत हो गई और 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इसी घटना ने प्रदर्शनकारियों को हिंसक बनने पर मजबूर कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू में संसद भवन को आग लगा दी। पुलिस से भीषण झड़प हुई।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इमरजेंसी बैठक बुलाई। इसके बाद गृहमंत्री रमेश लेखक ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया। अगले दिन 9 सितंबर को प्रदर्शनकारियों ने आगे बढ़ते हुए राष्ट्रपति भवन, सुप्रीम कोर्ट, पूर्व प्रधानमंत्री, मंत्रियों तक के आवास में आग लगा दी। 9 सितंबर को केपी शर्मा ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दिया, इसके बाद राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने भी इस्तीफा दे दिया। सेना सड़क पर आ गई और लोगों से शांति की अपील कर रही है, लेकिन लोग अभी भी शांत नहीं हो रहे हैं। नेपाल में युवाओं की अब एक ही मांग है- युवाओं की सरकार।
इस आंदोलन से एक नहीं बल्कि 3 बड़े चेहरे निकलकर सामने आए हैं। नेपाल में युवाओं की मांग के हिसाब से पीएम बनने की रेस में सबसे बड़ा चेहरा हामी नेपाल संगठन के प्रमुख सुदन गुरुंग का है। सोशल मीडिया ऐप्स पर बैन का विरोध प्रदर्शन का जनक इन्हीं को माना जा रहा है। गुरुंग अक्सर मानवीय मदद के लिए काम से सक्रिय रहते थे, पहली बार उन्होंने सियासी प्रदर्शन में भाग लिया। प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा वर्ग रैपर और काठमांडू के मेयर बालेंद्र शाह को अंतरिम प्रधानमंत्री बनाने की मांग की। इसके अलावा प्रदर्शनकारियों ने नेशनल इंडिपेंडेंट पार्टी के अध्यक्ष रवि लामिछाने को जेल से छुड़वा लिया। रवि एक सहकारी मामले में जेल में बंद था। ये 3 प्रमुख चेहरे हैं, जिन्हें नेपाल के युवा देश का अगले प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। अब देखना यह है कि देश की कमान किसके हाथों में आती है।
सुदन गुरुंग
उम्र– 36 साल
पेशा– हामी नेपाल संगठन के प्रमुख
गुरुंग ने आंदोलन के लिए एकजुट किए युवा
सुदन गुरुंग का जन्म काठमांडू में हुआ। इन्होंने इवेंट मैनेजमेंट में अपने करियर की शुरुआत की। साल 2015 में भीषण भूंकप में सुदन ने अपने बच्चे को खो दिया था। तब गुरुंग ने हामी नेपाल नामक एनजीओ की स्थापना की। यह संस्था आपदाओं के समय राहत और बचाव कार्य करती है। इसके बाद यह संगठन छात्रों और प्रवासी नेपाली नागरिकों के मुद्दों पर काम करने लगा। हामी नेपाल संगठन के प्रमुख सुदन गुरुंग ने सोशल मीडिया बैन होने पर 8 सितंबर को युवाओं को इकठ्ठा करने के लिए डिस्कॉर्ड और वीपीएन जैसे डिजिटल टूल्स का इस्तेमाल किया। इसमें ग्रुप चैट के माध्यम से गुरुंग ने इतनी बड़ी संख्या में लोगों को इकठ्ठा किया। ‘विरोध कैसे करें’ विषय पर वीडियो बनाकर युवाओं को ट्रेनिंग दी गई।
बालेंद्र शाह
उम्र- 35 साल
पेशा– रैपर और काठमांडू मेयर
सामाजिक मुद्दों में है खास रुचि
बालेंद्र शाह को उनके समर्थक बालेन कहकर भी बुलाते हैं। बालेंद्र शाह का जन्म 1990 में काठमांडू में हुआ था। उन्होंने सिविल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। आगे की पढाई के लिए वह भारत आ गए। यहां उन्होंने कर्नाटक के बेलगावी स्थित विश्वेश्वरैया इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी से स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में पोस्ट ग्रेजुएशन की पढाई की। पढ़ाई के बाद उनका रुझान रैप और संगीत की तरफ बढ़ा। उन्होंने भ्रष्टाचार और असमानता जैसे मुद्दों पर रैप और गाना गाने शुरू किए। कहते हैं कि लोगों की फरमाइश पर बालेंद्र ने राजनीति में कदम रखा। साल 2022 में काठमांडू मेयर के चुनाव में निर्दलीय रूप से उतरे। रिकॉर्ड 61 हजार के अंतर से जीत भी दर्ज की। इसके बाद से बालेंद्र जनता से जुड़े मुद्दों पर अक्सर चर्चा करते दिख जाते हैं। बालेन सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय रहते हैं। फिलहाल वह काठमांडू मेट्रोपॉलिटन शहर के मेयर हैं। सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहने के क्रम में बालेंद्र ने भारत के प्रति भी अपनी कड़ा रुख दिखाया है। आदिपुरुष फिल्म पर माता सीता को भारत की बेटी कहने पर आपत्ति जताई थी। भारतीय संसद में लगे अखंड भारत के नक्शे पर भी बालेंद्र शाह आपत्ति जता चुके हैं।
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रवि लामेछानी
उम्र– 50 साल
पेशा– पत्रकार और राजनेता
पत्रकारिता, जेल, विदेश नागरिकता और राजनीति का गहरा अनुभव
रवि लामेछानी का जन्म 11 जून 1975 को काठमांडू में हुआ था। रवि की शादी ईशा लामिछाने से हुई लेकिन 2019 में तलाक हो गया। दूसरी शादी निकिता पौडेल से हुई। लामिछाने के पास 2007 से 2017 तक अमेरिका की नागरिकता भी रही। 2022 में आम चुनाव में उतरने के लिए रवि को अमेरिका की नागरिकता छोड़नी पड़ी। लामिछाने ने पत्रकारिता से अपना करियर शुरू किया था। 2013 में एक न्यूज चैनल पर एक शो की सबसे लंबी मैराथन 62 घंटे तक एंकरिंग करके विश्व रिकॉर्ड बनाया था। रवि ने अपने करियर में कई राजनेताओं, पत्रकारों और मशहूर हस्तियों का इंटरव्यू किया।
2019 में पत्रकार शालिकराम पुडासैनी की आत्महत्या के मामले में पुलिस ने लामिछाने को उनके ऑफिस से गिरफ्तार कर लिया। पुडासैनी भी रवि के साथ काम करता था, उसने आत्महत्या के लिए प्रेरित करने के लिए लामिछाने का भी नाम लिया था। रवि की गिरफ्तारी के विरोध में नेपाल भर में विरोध रैलियां निकली थीं। लोगों ने सरकार पर रवि की पत्रकारिता को दबाने के आरोप लगाए थे। हालांकि बाद में कोर्ट ने लामिछाने को आरोपों से क्लीन चिट दे दी थी।
2022 में लामिछाने ने चुनाव लड़ने के लिए एक टेलीविजन से इस्तीफा दे दिया। नई राजनीतिक पार्टी ‘राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी’ बनाई। चितवन-2 सीट से सांसदी का चुनाव लड़ा। नेपाली कांग्रेस के राज्य मंत्री उमेश श्रेष्ठ और मौजूदा सांसद कृष्णा भक्त पोखरेल को भारी मतों से हराया। बाद में रवि ने गठबंधन करके उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री पद संभाला। साल 2024 में रवि पर स्वर्णलक्ष्मी सहकारी समिति की बचत के गबन और संगठित अपराध का आरोप लगाया गया। सहकारी सदस्यों की बचत के कुल 1.19 अरब 95 लाख रुपये के गबन का आरोप लगा। इससे वह फिर जेल चले गए और उनकी सांसदी निलंबित हो गई। अब प्रदर्शनकारियों ने उन्हें जेल से छुड़ा लिया है।
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