भारत और अमेरिका के बीच तनाव चल रहा है, यह कहना शायद गलत होने लगा है। भारत और ट्रंप के बीच मतभेद हैं, यह साबित होने लगा है। केवल भारत ही नहीं बल्कि हर देश के साथ मतभेद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्यक्तिगत होते नजर आ रहे हैं। इस वाशिंगटन में इसकी चर्चा तेज हो गई है। ट्रंप के उतार-चढ़ाव के व्यवहार के बाद भी ट्रंप प्रशासन लगातार भारत के लिए अच्छे संबंध रखने की कोशिश कर रहा है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि भारत एक अच्छा मित्र और एक साझेदार, और वास्तव में भविष्य का साझेदार बना रहेगा। अधिकारी का बयान तब आया है, जब आए दिन ट्रंप भारत पर वीजा, टैरिफ, रूसी तेल जैसे मुद्दों पर दबाव बनाने का प्रयास करते हैं।
‘हम भारत से बैर नहीं चाहते’
अमेरिका के एनर्जी सेक्रेटरी क्रिस राइट ने कहा है कि भारत दुनिया के किसी भी देश से तेल खरीद सकता है। हमारा यह कहना है सिर्फ रूस से तेल ना खरीदे। कहा कि हम भारत से किसी तरह का बैर नहीं चाहते लेकिन हम यह भी नहीं चाहते कि भारत किसी ऐसे देश को पैसे दे जो पैसों का इस्तेमाल युद्ध के लिए कर रहा हो। कहा कि भारत ने अब तक स्वतंत्र ऊर्जा नीति का पालन किया है।
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मुलाकातों का दिया तर्क
विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों देश अपने संबंधों को कितना महत्व देते हैं, यह उच्च-स्तरीय बैठकों की से स्पष्ट होता है। पदभार ग्रहण करने के बाद विदेश मंत्री मार्को रुबियो का पहला आधिकारिक कार्य क्वाड समूह जिसमें अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। साथ बैठक करना था, जिसके तुरंत बाद उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ द्विपक्षीय वार्ता की। अधिकारी ने आगे कहा कि ट्रंप के शपथ ग्रहण के बाद व्हाइट हाउस आने वाले पहले विदेशी नेताओं में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे, जिन्होंने दो सप्ताह के भीतर ओवल ऑफिस में राष्ट्रपति से मुलाकात की।
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