22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में 22 पर्यटकों की जान चली गई थी। इस दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव पैदा हो गया। इसी बीच भारत सरकार ने आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर चलाया। भारतीय सेना ने कई आतंकियों को ठिकाने लगाया। बता दें कि गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तालिबान के कार्यवाहक विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी से पहली बार फोन पर बातचीत की। बातचीत के दौरान आमिर ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की। जयशंकर ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करने के लिए मुत्ताकी को धन्यवाद भी दिया। बता दें कि पाकिस्तान, जो कभी तालिबान का सहयोगी था, अब तालिबान के लिए तनाव का स्त्रोत बन गया है। भारत को अफगानिस्तान में अपने समर्थकों को एकजुट करने के लिए तालिबान के साथ जुड़ने के लिए प्रेरित किया।
भारत-तालिबान संबंध
तालिबान शासन(1996-2001) में भारत ने तालिबान के साथ औपचारिक राजनयिक संबंध स्थापित नहीं किये थे, लेकिन भारत ने तालिबान के विरोधी समूह नॉर्दर्न एलायंस का समर्थन किया। बता दें कि तालिबान ने साल 1999 में इंडियन एयरलाइंस की उड़ान 814 के अपहरणकर्त्ताओं के साथ बातचीत में भारत की मदद की थी। जिससे बंधकों की सुरक्षित वापसी में मदद मिली थी।
भारत के लिए अफगानिस्तान का क्या महत्व?
बता दें कि मध्य एशिया में महत्वपूर्ण आर्थिक और ऊर्जा संसाधन हैं और अफगानिस्तान, भारत को पाकिस्तान और चीन पर निर्भरता से बचते हुए इन संसाधनों तक पहुंचने के लिए चाबहार बंदरगाह के माध्यम से एक बेहतर मार्ग प्रदान करता है। एक खास बात बता दें कि भारत ने अफगानिस्तान में विभिन्न परियोजनाओं जैसे सड़कें, बांध, स्कूल, अस्पताल और संसद भवन आदि में करीब 3 बिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है जिससे अफगान लोगों के लिए बेहतर जीवन मिलने के साथ भारतीयों और अफगानियों को पारस्परिक लाभ मिल सकता है।
भारत-अफगानिस्तान व्यापारिक संबंध
भारत-अफगानिस्तान के बीच व्यापारिक संबंध काफी अच्छे हैं। भारत कई चीजें भारी मात्रा में अफगानिस्तान से खरीदता है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि भारत-अफगानिस्तान से भारत में कई तरह की चीजें आती हैं, जिनमें फल, मसाले, सूखे मेवे और प्याज शामिल हैं। इसके साथ-साथ ताजे फल जैसे अनार, सेब, चेरी, खरबूजा और तरबूजा, मसाले जैसे हींग, जीरा और केसर और सूखे मेवे जैसे किशमिश, अखरोट, बादाम, अंजीर, पाइन नट, पिस्ता और खुबानी भी आयात करता है।
भारत-तुर्की संबंध
तुर्की ने पाकिस्तान का साथ देकर भारत के साथ अच्छा नहीं किया है। आतंक के अड्डों पर भारतीय सेना की एयर स्ट्राइक के विरोध में तुर्की ने पाकिस्तान को ड्रोन देकर मदद की। जब भारत ने तुर्की को एक दोस्त का दर्जा दिया था। बता दें कि 2023 में जब भूंकप आया था, तब भारत ने भरपूर मदद की थी, उससे पहले कोविड महामारी में भी वैक्सीन भेजकर सहयोग किया और मानवीय सहायता पहुंचाई, लेकिन आतंकवाद का विरोध करने के मुद्दे पर तुर्की भारत का साथ देने की बजाय पाकिस्तान का मददगार बना रहा। तुर्की ने जिस तरह दुनिया में कई मौके पर अपना रंग बदला, उससे तो उसे इंटरनेशनल अय्यार कहें तो शायद गलत नहीं।
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