भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स आज अंतरिक्ष से धरती पर लौट रही हैं। पूरी दुनिया की नजर इस वापसी पर टिकी है। सुनीता विलियम्स को लेकर आ रहा ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से डॉक हो चुका है और 27000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से धरती की तरफ बढ़ रहा है, लेकिन वापसी के इस मिशन में खतरा भी है, क्योंकि पहली चुनौती सेफ लैंडिंग की है। दूसरा चैलेंज अंतरिक्ष से लौटने के बाद सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर की हेल्थ और जिंदगी का है, जो नॉर्मल करने और धरती की ग्रैविटी के अनुसार ढलने में कई महीने लग जाएंगे।
अंतरिक्ष की दुनिया में पिछले कई दिन से चर्चा चल रही है कि अंतरिक्ष से 9 महीने 13 दिन बाद लौटने वाली सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर अगर सुरक्षित लैंड हो जाते हैं तो उन्हें नया जीवन मिलेगा। उनका फिर से जन्म होगा, क्योंकि उनका शरीर एक नवजात बच्चे जैसा होगा, जो बच्चे की तरह ही विकसित होगा और कुछ महीनों में वे दोनों नॉर्मल हो जाएंगे। यह स्थिति ठीक वैसे होगी, जैसे 9 महीने मां के गर्भ में रहने के बाद बच्चे का जन्म होता है, उसी तरह की स्थिति दोनों अंतरिक्ष यात्रियों की होगी। आइए नवजात जैसे शरीर वाली थ्योरी पर विस्तार से बात करते हैं…
.@NASA+ is live as four @SpaceX #Crew9 members board Dragon before closing the hatch and undocking from the station at 1:05am ET on Tuesday. https://t.co/mQZkNe8wxe
---विज्ञापन---— International Space Station (@Space_Station) March 18, 2025
नवजात बच्चों जैसे पैर हो जाएंगे
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री लेरॉय चियाओ बताते हैं कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर के पैर 9 महीने 13 दिन अंतरिक्ष में रहने के कारण बेबी फीट बन गए हैं। इसलिए वे धरती पर खुद से चल नहीं पाएंगे। यह ठीक वैसे होगा, जैसे मां के गर्भ से निकलकर बच्चे को चलना नहीं आता। उसे खड़ा होना और चलना सीखने में कई महीने लग जाता हैं, ठीक उसी तरह सुनीता और बुच को भी खुद से खड़े होने और चलना सीखने में समय लगेगा।
अंतरिक्ष में बहुत ज्यादा समय तक रहने के कारण अंतरिक्ष यात्री के पैर नवजात के पैरों की तरह नरम हो जाते हैं। जब इंसान धरती पर चलता है तो पैरों को गुरुत्वाकर्षण और घर्षण के रूप में प्रतिरोध झेलना पड़ता है, जिससे तलवों की त्वचा मोटी हो जाती है, जो चलना आसान बनाती है, लेकिन अंतरिक्ष में वह मोटी त्वचा उतर जाती है और तलवे बेहद नरम कोमल हो जाते हैं, जैसे नवजात के होते हैं। इस नरम त्वचा को कठोर त्वचा बनने या बनाने में कुछ हफ़्ते से लेकर महीनों तक लग सकते हैं, जैसे बच्चे को लगते हैं।
Live now on @NASA+. Watch the @SpaceX #Crew9 mission undock from the station aboard the Dragon spacecraft at 1:05am ET on Tuesday. https://t.co/zasw23Ni84
— International Space Station (@Space_Station) March 18, 2025
कमजोर हड्डियां और मांसपेशियां
रिपोर्ट के अनुसार, सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर के न केवल पैर बच्चों जैसे होंगे, बल्कि उनकी हड्डियां, ऊत्तक, कोशिकाएं और मांसपेशियां भी कमजोर होंगी, जैसे नवजात बच्चे की हड्डियां, ऊत्तक, कोशिकाएं और मांसपेशियां कच्ची होती हैं। जरा-सी झटका लगते ही टूट जाती हैं, क्योंकि अंतरिक्ष में हर गुजरते महीने के साथ उनके शरीर में हड्डी का घनत्व एक प्रतिशत कम होता गया। दोनों अंतरिक्ष यात्रियों में खून की कमी हो सकती है। उनका दिल और दिमाग भी नॉर्मल नहीं होगा।
उनकी नजर भी कमजोर होगी, वे साफ-साफ नहीं देख पाएंगे। वे मस्तिष्क पर दबाव बढ़ने से स्पेसफ्लाइट एसोसिएटेड न्यूरो-ऑकुलर सिंड्रोम (SANS) नामक विकार का शिकार हो सकते हैं। अंतरिक्ष में रहने के कारण उनका दिल भी अंडाकार से गोल हो चुका होगा। उनकी नसें सिकड़ चुकी होंगी। ब्लड की कमी के कारण ब्लडप्रेशर कंट्रोल करना मुश्किल हो सकता है। इसलिए चक्कर आ सकते हैं, उल्टियां लग सकती हैं और वे बेहोश हो सकते हैं।