World Latest News: एक ट्रैवल इन्फ्लुएंसर को अफगानिस्तान यात्रा के दौरान तालिबान लड़ाकों के साथ फोटो खिंचवाना महंगा पड़ गया। अब सोमाली अमेरिकी इन्फ्लुएंसर को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। मैरियन अब्दी नाम की इन्फ्लुएंसर ने अपने फोटो अफगानिस्तान में एक महिला को पत्थर मारकर मौत की सजा सुनाए जाने के कुछ ही देर बाद शेयर किए थे। जिसके बाद वे आलोचकों के निशाने पर आ गईं। उनको तालिबानी लड़ाकों के साथ ‘Fangirling’ करना महंगा पड़ गया।
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अफगानिस्तान में तालिबान के दोबारा सत्ता में लौटने के बाद महिलाओं को उनके बुनियादी अधिकारों से वंचित कर दिया गया है। जिसके बाद तालिबान की आलोचना दुनियाभर में हो रही है। मैरियन अब्दी को online gianyda mado के नाम से भी जाना जाता है। अब्दी को अफगानिस्तान यात्रा पर अति उत्साही होने और सपना सच होने का नाम देने के लिए ट्रोल किया जा रहा है।
Met with the Tali*an 🇦🇫 #Afghanistan #afghan #kabul #travel #explore #viral #viral2024 pic.twitter.com/EidJwZ0y0y
---विज्ञापन---— Geenyada Madow (@GeenyadaM) August 18, 2024
40 साल से जल रहा है ये देश
अफगानिस्तान पिछले 40 साल से युद्ध जैसी स्थितियों का सामना कर रहा है। अब्दी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट अपलोड की। जिसमें लिखा कि वे अगले कुछ दिन और यहां रुकेंगी और इस देश के भोजन, संस्कृति और लोगों के बारे में जानकारियां हासिल करेंगी। 13 अगस्त को अब्दी ने ‘I Heart Afghanistan’ साइन के साथ अपना एक फोटो शेयर किया। इसके बाद लोगों ने उनकी ऑनलाइन खिंचाई शुरू कर दी। इसके बाद भी अब्दी ने कई फोटो और वीडियो शेयर किए। अब्दी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर AK-47 से लैस तालिबानी लड़ाकों के साथ फोटो शेयर किया। जिसमें वह मुस्कुराती दिख रही हैं।
अफगानिस्तान में महिलाओं का दमन
लोगों ने उनसे सवाल पूछा कि क्या अब्दी ने तालिबान से उसके महिलाओं के प्रति व्यवहार को लेकर बात की? पत्थर मारकर महिलाओं को मारा जा रहा है। उनको शिक्षा से वंचित किया जा रहा है। अफगानी महिलाओं के मुद्दों पर काम कर रहीं मानवाधिकार कार्यकर्ता निलोफर नईमी ने कहा कि अब्दी की हरकत बेहद परेशान करने वाली है। महिलाओं का अफगानिस्तान में दमन किया जा रहा है। अब्दी की यह हरकत लाखों अफगानी महिलाओं की पीड़ा और दर्द की अनदेखी करती है। तालिबान की इस तरह अब्दी को प्रशंसक होने का दिखावा नहीं करना चाहिए। वहीं, अब्दी ने बाद में दावा किया कि तालिबानी लड़ाकों से उन्होंने सवाल किया था कि वे बच्चियों को छठी कक्षा से आगे क्यों नहीं पढ़ने दे रहे? जिसके बाद उनको अलग-अलग जवाब मिले।
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