ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान में पल रहे आतंकवाद पर भारत का रुख अंतर्राष्ट्रीय मंच पर स्पष्ट करने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। 59 सदस्यों का एक डेलिगेशन बनाया गया है, जिसमें 51 राजनेता और 8 राजूदत शामिल हैं। 59 सदस्यों में 31 नेता NDA के हैं। 3 नेता कांग्रेस के और 20 अन्य पार्टियों के हैं, जो दुनियाभर के बड़े देशों, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के मेंबर देशों में जाकर भारत का रुख स्पष्ट करेंगे।
पाकिस्तान को बेनकाब करेंगे। भारत की देखा-देखी पाकिस्तान में ऐसा ही कदम उठाने जा रहा है। भारत जैसा अभियान शुरू करने की पाकिस्तान की प्लानिंग का संकेत पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने दिया है, जिन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए उनसे संपर्क किया था। बिलावल भुट्टो जरदारी ने सोशल मीडिया पोस्ट लिखकर प्लानिंग का खुलासा किया।
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प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन होगा शामिल?
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) की एक प्रमुख सहयोगी है। बिलावल भुट्टो जरदारी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के अध्यक्ष हैं, जिन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मुझसे संपर्क किया और अनुरोध किया कि मैं अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान का पक्ष पेश करुं और प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करूं।
श्हालांकि पाकिस्तान सरकार की ओर से इस खुलासे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है, लेकिन पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिनिधिमंडल में पूर्व उप-विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार, पूर्व रक्षा मंत्री खुर्रम दस्तगीर खान, पूर्व विदेश सचिव जलील अब्बास जिलानी शामिल हो सकते हैं। पाकिस्तान सरकार अमेरिका में पूर्व राजदूत तारिक फातमी को रूस भेज सकती है।
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विदेश मंत्री डार कर चुके प्लानिंग की पुष्टि
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल यूरोप का दौरा करेगा। यूरोपीय देशों को भारत के साथ पाकिस्तान के ताजा सैन्य संघर्ष के बारे में जानकारी देगा। उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने प्रमुख देशों में प्रतिनिधिमंडल भेजने की योजना की पुष्टि की। डार ने मीडिया को बताया कि पाकिस्तान की कूटनीति अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, फ्रांस, रूस के सामने भारत के साथ पाकिस्तान की शत्रुता को उजागर करना है।
यह कदम पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ द्वारा कश्मीर विवाद, सिंधु जल संधि और आतंकवाद सहित अन्य मुद्दों पर भारत को बातचीत का निमंत्रण देने के बाद उठाया गया है, जबकि भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत पाकिस्तान के साथ केवल आतंकवाद के मुद्दे पर बातचीत करने को तैयार है और सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी, जब तक इस्लामाबाद द्वारा समर्थित आतंकवाद को पूरी तरह रोक नहीं दिया जाता।
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