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ईरान में न्यूक्लियर रेडिएशन लीक हुआ तो कितने खौफनाक परिणाम होंगे? इंसानों-पर्यावरण के लिए खतरा

Nuclear Radiation Impact: अमेरिका और इजरायल ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले कर रहे हैं। इससे ईरान में रेडिएशन लीकेज का खतरा पैदा हो गया है, लेकिन अगर ईरान में रेडिएशन लीकेज हुए तो परिणाम गंभीर होंगे। सिर्फ ईरान नहीं, खाड़ी देशों के लिए भी खतरा पैदा हो जाएगा।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Jun 22, 2025 12:08
Nuclear Radiation | Fordow Nuclear Site | Israel Iran War
परमाणु ठिकानों पर हमला होने से ईरान में न्यूक्लियर रेडिएशन लीकेज का खतरा मंडरा रहा है।

Nuclear Radiation Leak Impact: ईरान पर अमेरिका ने हमला कर दिया है। अमेरिका ने ईरान के सबसे बड़े परमाणु ठिकाने फोर्डो पर बंकर बस्टर बम गिराए। नतांज और एस्फाहान परमाणु ठिकाने पर टॉमहॉक मिसाइलें दागीं। इजरायल और अमेरिका के हमले से ईरान में रेडिएशन लीकेज होने का खतरा है। हालांकि ईरान का कहना है कि हमले के बाद तीनों परमाणु ठिकानों से रेडिएशन लीकेज नहीं हुआ है। लीकेज चेक करने वाली मशीनों से एरिया की जांच कर ली गई है। तीनों ठिकानों के पास रहने वाले लोग सुरक्षित हैं।

सऊदी अरब ने भी स्पष्ट कर दिया है कि ईरान पर अमेरिका के हमले के बाद किसी तरह का रेडियोएक्टिव लीकेज नहीं हुआ है। देश के परमाणु और रेडियोलॉजिकल विनियामक आयोग का कहना है कि ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका की बमबारी के बाद सऊदी अरब और पड़ोसी खाड़ी राज्यों पर कोई रेडियोधर्मी प्रभाव नहीं मिला है, लेकिन क्या परमाणु ठिकानों से रेडिएशन लीक हो सकता है? क्या रेडिएशन आस-पास के इलाकों में फैल सकता है? ईरान में रेडिएशन लीक का असर कहां तक पड़ेगा? आइए जानते हैं…

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पूरा मध्य पूर्व और खाड़ी देश चपेट में आएंगे

ईरान की परमाणु ऊर्जा संस्था (IAEA) के प्रमुख रफाएल ग्रोसी कहते हैं कि अगर ईरान के परमाणु ठिकानों से रेडिएशन लीक हुआ तो चेरनोबिल जैसी तबाही मच सकती है। पूरा मिडिल ईस्ट और खाड़ी देश इसकी चपेट में आएंगे। लाखों लोगों की जान को खतरा पैदा हो सकता है। अभी तक हमला फोर्डो, नतांज, एस्फाहान, अराक और खोंदाब न्यूक्लियर साइट पर हमला हुआ है। अराक और खोंदाब में यूरेनियम प्रोडक्शन अभी शुरू नहीं हुआ है।

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फोर्डो और नतांज जमीन के अंदर बनी हैं तो रेडिएशन लीकेज का असर 2 से 5 किलोमीटर के दायरे में ही होगा, लेकिन सबसे ज्यादा खतरा बुशेहर न्यूक्लियर साइट पर हमले से होगा। क्योंकि यह ऑपरेशनल साइट है और खाड़ी के किनारे बनी है। अगर इस साइट पर हमला हुआ तो रेडियोएक्टिव एलिमेंट हवा में फैलेंगे और समुद्र के पानी में मिलेंगे। इससे खाड़ी देशों केा सबसे बड़ा नुकसान होगा, क्योंकि यह देश समुद्र के पानी का इस्तेमाल पीने के लिए करते हैं।

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कैसे लीक होगा रेडिएशन?

एक्सपर्ट कहते हैं कि न्यूक्लियर प्लांट में सेंट्रिफ्यूज लगे होते हैं, जो यूरेनियम को प्रोसेस करते हैं। जब यूरेनियम की प्रोसेसिंग करते समय सेंट्रिफ्यूज घूमता है तो यूरेनियम हेक्साफ्लुरोइड नामक गैस बनती है। यह गैस यूरेनियम और फ्लोरिन का मिश्रण होती है। हमला होने से सेंट्रिफ्यूज ध्वस्त हुए तो इनमें बन रही गैस बाहर निकलेगी, जो रासायनिक विकिरण की सबसे बड़ी वजह बनेगी। इस गैस से धमाके भी हो सकते हैं। अगर यह गैस शरीर में भर गई तो मौके पर मौत होगी।

रेडिएशन फैलने से क्या होगा?

अगर परमाणु ठिकाने से रेडिएशन लीकेज हुआ तो जानलेवा साबित होगा। रेडिएशन हवा, पानी और मिट्टी में फैल सकता है। त्वचा जल सकती है। उल्टियां लगेंगे और बेहोश हो जाएंगे। मल्टी ऑर्गन फेलियर होने से मौत हो सकती है। 1986 में चेरनोबिल में हुए रेडिएशन लीकेज से ऐसा ही असर लोगों पर पड़ा था। कई कर्मचारियों और फायर कर्मियों ने जान गंवाई थी। मृतक एक्यूट रेडिएशन सिंड्रोम (ARS) के शिकार मिले थे। रेडिएशन की चपेट में आने से लोग कैंसर, विकलांगता, बांझपन, थायरॉइड, ल्यूकीमिया जैसी बीमारियों का शिकार हो सकते हैं।

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पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी में परमाणु विज्ञान और इंजीनियरिंग की प्रतिष्ठित प्रोफेसर और नेशनल काउंसिल ऑन रेडिएशन प्रोटेक्शन एंड मेजरमेंट्स की अध्यक्ष कैथरीन एन हिगली का कहना है कि ईरान के परमाणु ठिकानों से रेडिएशन लीक हुआ तो चेर्नोबिल जैसे हालात नहीं बनेंगे। पर्यावरण पर गंभीर असर भी नहीं पड़ेगा, क्योंकि परमाणु ठिकानों में अभी परमाणु हथियार नहीं बन रहे, बल्कि परमाणु हथियार बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री बन रही है।

ईरान पर इजरायल और अमेरिका के हमले का मकसद ईरान की परमाणु हथियार बनाने वाली क्षमता को नष्ट करना है। जब संसाधन ही नहीं रहेंगे तो परमाणु हथियार कैसे बनेंगे? यूरेनियम इतना रेडियोधर्मी पदार्थ नहीं है कि जान के लिए खतरा पैदा कर सके, हां यूरेनियम की प्रोसेसिंग से जो गैस बनती है, वह खतरनाक हो सकती है, लेकिन उसका असर भी ज्यादा एरिया में नहीं होगा। इससे बचने के लिए परमाणु ठिकाने के आस-पास के रिहायशी इलाके खाली कराए जा सकते हैं।

First published on: Jun 22, 2025 12:02 PM

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