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निकोलस मादुरो कौन? बस चालक से बने राष्ट्रपति, वेनेजुएला में तीसरी बार जीता चुनाव

President Nicolas Maduro: निकोलस मादुरो ने 2013 में वेनेजुएला के राष्ट्रपति की कमान अपने हाथ में ली थी। क्रांतिकारी समाजवादी नेता ह्यूगो शावेज का आकस्मिक निधन हो गया था। जिसके बाद किसी को नहीं लगा था कि मादुरो इतने लंबे समय तक सत्ता में रहेंगे। अब 28 जुलाई को फिर उन्होंने फिर से इतिहास दोहरा दिया है।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Jul 29, 2024 22:12
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Nicolas Maduro
वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो। फाइल फोटो

Venezuela New President: निकोलस मादुरो ने तीसरी बार वेनेजुएला में विवादास्पद राष्ट्रपति चुनाव में खुद को विजयी घोषित कर दिया है। यह उनका लगातार तीसरा कार्यकाल होगा, वे अगले 6 साल तक फिर राष्ट्रपति की जिम्मेदारी संभालेंगे। पहली बार 2013 में क्रांतिकारी समाजवादी नेता ह्यूगो शावेज की आकस्मिक मौत के बाद उनको राष्ट्रपति बनाया गया था। तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि वे इतने लंबे समय तक राष्ट्रपति रहेंगे। 61 साल के मादुरो बस चालक से इस पद पर पहुंचे हैं। दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला का चुनाव काफी विवादास्पद रहा है। विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो इस बार चुनाव परिणामों को खारिज कर चुके हैं।

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गलत तरीके से चुनाव जीतने का आरोप

बता दें कि मारिया को मादुरो के शासन ने चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर दिया था। बाद में विपक्ष की ओर से एडमंडो गोंजालेज को उतारा गया था। विपक्ष का दावा है कि गोंजालेज ने 70 फीसदी वोट हासिल किए हैं। लेकिन कभी बस चालक रहे मादुरो फिर से वेनेजुएला के ‘प्रमुख ड्राइवर’ की सीट पर मजबूती से नजर आ रहे हैं। जो तीसरी बार राष्ट्रपति कार्यकाल के लिए तैयार दिख रहे हैं। आपको बता दें कि उनका जन्म कराकास के रोमन कैथोलिक परिवार में हुआ है। पिता मजदूरी करते थे। प्रमुख ट्रेड यूनियनिस्ट के तौर पर उनकी पहचान थी।

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मादुरो पहले बस चालक थे। जो बाद में दिवंगत मादुरो ह्यूगो शावेज की यूनाइटेड सोशलिस्ट पार्टी के लिए काम करने लगे। 2000 में वे पहली बार जीतकर सांसद बने। धीरे-धीरे वे शावेज के राइट हैंड बन गए। वे चे ग्वेरा के समर्थक माने जाते हैं। इन्होंने चुपचाप सरकार का तख्तापलट कर दिया। जिसके बाद मादुरो 2005-06 के बीच नेशनल असेंबली अध्यक्ष रहे। बाद में 2006-2013 तक विदेश मंत्री का पद संभाला। 2012-13 में वे उपराष्ट्रपति घोषित किए गए। लेकिन शावेज की कैंसर से मौत के बाद वे राष्ट्रपति बने। बाद में विशेष चुनाव भी जीता। पूर्व बस चालक के लिए इस तेल समृद्ध देश की सत्ता संभालना आसान नहीं था।

अमेरिका करता रहा वेनेजुएला में हस्तक्षेप

बताया जा रहा है कि कई साल तक वेनेजुएला अमेरिका के इशारे पर काम करता रहा। क्यूबा, चिली और शीत युद्ध के दौरान कई बार अमेरिका ने मादुरो को हटाने की कोशिशें की, लेकिन सफलता हासिल नहीं हुई। अमेरिका और कई देशों ने वैकल्पिक नेताओं को आगे लाने की कोशिश की, जिसमें पूर्व अध्यक्ष गेइदो का नाम भी आता है। जिन्होंने एक समय मादुरो को कड़ी चुनौती दी थी। मादुरो ने जब सत्ता संभाली तो तेल संपदा के बाद भी वेनेजुएला गरीब था। लेकिन कामकाजी वर्गों के कारण मादुरो की पकड़ लोगों पर अच्छी रही। वेनेजुएला में तेल जैसे प्राकृतिक संसाधनों को राष्ट्रीयकरण किया जा चुका है। लेकिन फिर भी यहां भारी मुद्रास्फीती का सामना करना पड़ रहा है।

70 लाख लोग कर चुके हैं पलायन

कई लोग यहां से कोलंबिया पलायन कर चुके हैं। अनुमान है कि मादुरो के शासन में 70 लाख लोगों ने पलायन किया है। 20 हजार लोगों की हत्या का आरोप मादुरो पर है। देश में आवश्यक वस्तुओं की कमी है। आरोप है कि 2015 में विपक्ष जीता था। लेकिन मादुरो ने गलत ढंग से सत्ता पर कब्जा कर लिया। उनके शासन में 2014 में बड़ा आंदोलन भी हो चुका है। एक समय यहां दो राष्ट्रपतियों की स्थिति हो गई थी। 2018 चुनाव में मादुरो ने भी शपथ ले ली। वहीं, नेशनल असेंबली ने गुएडो को राष्ट्रपति घोषित कर दिया। यह स्थिति चार साल रही थी। गुएडो को यूएस का समर्थन था।

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Written By

Parmod chaudhary

First published on: Jul 29, 2024 10:12 PM

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