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‘वो आग लगा देगा, अरे, गेट बंद करो’ क्यों चिल्ला रहे नेपाल के Gen-Z, प्रदर्शन से मेंटल हेल्थ, डॉक्टरों ने किया खुलासा

Mental Health After Nepal Gen-Z Portest: नेपाल में हुए युवाओं के हिंसक प्रदर्शन की चर्चा पूरी दुनिया में हुई। अब अक्सर राजनीति से दूरी बनाने वाले युवाओं ने नेपाल की सत्ता तक पलट दी। लेकिन अब इन युवाओं प्रदर्शन के साइड इफेक्ट दिखने लगे हैं। युवाओं को लेकर डॉक्टरों कई बड़े खुलासे किए हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट।

Author Written By: Raghav Tiwari Author Published By : Raghav Tiwari Updated: Sep 19, 2025 11:52
नेपाल में प्रदर्शन के बाद अब युवाओं की मेंटल हेल्थ खराब हो रही है।

Mental Health After Nepal Gen-Z Portest: अक्सर कम तार्किक, असामाजिक, कमजोर आदि का तमगा लेकर घूमने वाले Gen-Z ने नेपाल में बड़ा प्रदर्शन करके अपने आप को साबित कर दिया। व्यापक भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ हजारों हजार युवा सड़कों पर उतर आए। जेनजी युवाओं ने प्रदर्शन इतना उग्र किया कि गृहमंत्री, प्रधानमंत्री जैसे दिग्गजों ने दूसरे दिन ही इस्तीफा दे दिया। पूरी सरकार बदल गई, संसद भंग हो गई। जेनजी की पसंद की प्रधानमंत्री सुशीला कार्की नई अंतरिम प्रधानमंत्री भी बन गई। हिंसक प्रदर्शन में अभी तक कुल 74 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं घायलों का आंकड़ा करीब 2000 के पास है।

इस घटनाक्रम ने पूरी दुनिया में जेनजी की ताकत का लोहा मनवाया। यहां तक इससे प्रभावित होकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी लोकतंत्र बचाने के लिए जेनजी युवाओं का आव्हान किया। लेकिन अब युवाओं पर प्रदर्शन का नकारात्मक असर होने लगा है। यह हम नहीं कह रहे, इसके बार में नेपाल के डॉक्टरों ने बताया। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदर्शन के बाद युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य खराब होने की समस्या हुई। धीरे धीरे अब इनमें चिंता और अनिद्रा की समस्या और भी गंभीर होने लगी है। डॉक्टरों का कहना है कि कुछ बच्चों और किशोरों ने खुद तबाही देखी थी, और कुछ ने तो विरोध प्रदर्शनों में भी हिस्सा लिया था।

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मरीजों को दे रहे दवाएं

डॉ. कुंवर ने कहा कि पिछले हफ्ते हुए जेन-जी विरोध प्रदर्शन के कारण मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे बच्चों और किशोरों की संख्या हमारे अस्पताल में काफ़ी बढ़ गई है। कई मरीजों में तीव्र तनाव प्रतिक्रियाएं होती हैं, जिससे अनिद्रा होती है। हमने कुछ मरीजों को नींद की दवाएं भी दी हैं।

हर पल डरे रहते हैं युवा

द काठमांडू पोस्ट के अनुसार, बाल एवं किशोर मनोचिकित्सक डॉ. अरुण कुंवर ने बताया कि काठमांडू की एक 8 साल की बच्ची को रात में नींद न आने और हर समय बेचैनी महसूस होने से हॉस्पिटल ले जाया गया। बच्ची अपने माता-पिता से घर से बाहर जाने के लिए कह रही थी, क्योंकि उसे डर था कि कोई उसे आग लगा देगा। बताया कि लड़की के माता-पिता ने शिकायत की कि जब वे शौचालय जाते हैं और दरवाजा बंद करते हैं, तब भी वह चीखती-चिल्लाती रहती है। उसके माता-पिता चिंतित थे कि आस-पास लोगों की बातचीत की हल्की-सी आवाज या शोर भी उसे डरा देता है। लड़की को स्कूल जाने में भी डर लगता था।

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सदमें से आम हो गई समस्या

डॉक्टरों ने बताया कि नेपाल में कई लोग पिछले सप्ताह के जनरेशन जेड विरोध प्रदर्शन से हुई मौतों और तबाही से अभी भी सदमे में हैं, यह उन सैकड़ों बच्चों और किशोरों के बीच एक आम बात बन गई है, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया या समस्याओं के बावजूद घर पर ही रखा गया।

दोस्त की मौत से आत्महत्या का विचार

नेपाल के मनोचिकित्सक डॉ. बासुदेव कार्की ने बताया कि प्रदर्शन में एक मरीज के एक दोस्त की मौत हो गई। मरीज के मन में आत्महत्या के विचार आ रहे थे। उसने शिकायत की कि अब जीने का कोई मतलब नहीं है। डॉक्टरों ने बताया कि युवा बार-बार इन घटनाओं को याद करते हैं और इस बात से चिंतित रहते हैं कि कहीं ये घटनाएं दोबारा न हो जाएं। कुछ युवाओं को घर से निकलने या स्कूल जाने में डर लगता है।

डॉक्टरों ने किया अलर्ट

नेपाल में मनोवैज्ञानिकों और मनोचिकित्सकों का कहना है कि बड़ी आपदाओं के बाद मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का उभरना एक आम बात है। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को इन जोखिमों के प्रति सचेत किया और इनसे निपटने के लिए समय रहते कदम उठाने का आह्वान किया। डॉ. कार्की ने कहा कि संबंधित एजेंसियों को इसके लिए तैयार रहना चाहिए।

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First published on: Sep 19, 2025 10:50 AM

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